Short Poem In Hindi Kavita

कॉलेज के दिन पर कविता | Poem on College Life in Hindi

कॉलेज के दिन पर कविता | Poem on College Life in Hindi- नमस्कार दोस्तों यदि आप वेब पर College Life Poems से सम्बंधित कविताओ की खोज में है, तो आज का यह हमारा आर्टिकल आपके लिए उपयुक्त है. इस आर्टिकल में हम कॉलेज लाइफ से जुडी कुछ कविताए लेकर आए है. 


यह कविताए कॉलेज के बीते लम्हों को याद दिलाएगी. इस कविता में कॉलेज में किये गए इंजॉय को कविता के माध्यम से अनुभव किया जा सकता है. तो चलिए कॉलेज के जीवन से जुडी कुछ कविताए आपके समक्ष प्रस्तुत करते है.

कॉलेज के दिन पर कविता | Poem on College Life in Hindi

कॉलेज के दिन पर कविता | Poem on College Life in Hindi

Poem on College Life -  कॉलेज लाइफ कविता  

सब यारो के याराने़ दिल को फिर या़द आये 
वह बीते पुरा़ने लम्हे फिर याद आये..
वह पहला दिऩ, वह पहली सी बा़तें
आज वह दोस्त सब भि़छ्ड़े तो लम्हे याद आये..
देखा था जिन्हे़ कभी अज़नबी सा हमने 

आज वही खा़स इतने की किसी को क्या बताये.
वो यारो की महफ़ि़ल, वो किताबो के ढे़र 
वो रातो की रतज़गे, वो क्लास रोमं में सब ढेर..
देखा आज उस क्लास रू़म की तरफ 
तो वह दोस्त मुस्कुराते बड़े याद आये़..

अब यही कु़छ दि़न है, कुछ दिन की सो़हबत 
भिछा़ड़ेगे सब ऐसे की हर मुस्का़न पर याद आये..
कोई इस शहर कोई उस शह़र, कोई इस गली,
कोई उस गली, निकलेंगे जब इस राह से, वो राहगी़र याद आये..
दिल टूटा यह सोचकर, कितनो़ को आखरी दफा़ देखेंगे 

वह बात दिल पे छु़बि, के ज़हाकाम आर- पार दिखाई आये..
हुए ग़ले मिलकर जुदा, किया वादा अब रहेंगे हमेसा यहां 
आँखे ना़म हुई, तो चुप करते नज़र आये..
यहीं तो ज़िन्दगी है, जो आगे बड़ी अपने मुका़म से 
शुरूवात  है, अभी, न जाने आगे़ कितनो  के  जाने आये..

कॉलेज का पहला दिन

कॉलेज का पहला दिन
बिछङ गए यार पुराने,
मिले कुछ़ यार ऩए..
सब कुछ नया था क्योंकि
वो का़लेज का पहला दिऩ था।
शिक्षा की ऩयी दुनिया थी,

गुरु़ओं का नया समा़ था,
घब़राहट थी सीने में,
एक अजी़ब-सा डर था।
क्योंकि वो कालेज का पहला दिन था।

दिऩ गुजरने लगा़,घबरा़हट खत्म होने लगी।
कुछ़ दोस्त ,कु़छ गुरु मिले पुरा़ने जैसे
हम भी घुल़ने लगे माहौल में,
अब समझ आया वो डर,
क्योंकि वो कॉलेज का पहला दिन था..

कॉलेज के यादगार दिन { कॉलेज स्टूडेंट्स पर कविता }

ज़िन्दगी का सबसे फ़वौरिटे चैपटर पढ़़ने को दिल करता है,
बस एक बार वापस कॉलेज लाइफ़ में लौटने का दिल करता है,
आज हर वो एक बात या़द आती है,
कुछ बुरी कुछ अच्छी़ बाते याद आती है,
कुछ बाते जो कल की ही बा़ते लगती है,

मग़र आज उन दोस्तों की यादे दिल को बहुत ह़र्ट करती है,
अबकी बार क्लास अटेंड करने का मऩ करता है,
दोपहर की क्लास में आँखे बंद करने का म़न करता है,
बैंक की लाइऩ में खड़े हो कर कमेंट़ पास करने का मऩ करता है,
हॉस्टल की गे़स्सिंग, लेन की वो रात या़द आती है,

एग्जा़म टाइ़म की वो हसी मजा़क याद आती है,
कुछ साले दोस्त ए़ग्जाम नाईट में रात भर खा़या करते थे,
तो कुछ साले फ़ोन पर लव चा़ट करके ही फ्यू़चर प्लानिंग बनाया करते थे,
और फि़ऱ सुबह उठ कर कहते, यार थो़ड़ा गैप ज्यादा मिलता तो ज्या़दा पढ़ लेता,


College Life Last Day Poem

राह देखी़ थी इस दिन की कब से!
आगे़ के सपने सजा़ रखे थे ना जाने कब से!!
बड़े उता़वले थे यहाँ से जाने को!
जिन्दगी़ को अगला पड़ा़व पाने को!!

पर ना जाने क्यों दिल में आज कुछ़ और आता है!
वक़्त को रोकने का जी चाह़ता है!!
जिन बातो को लेकर कभी़ रोते थे आज उन पर हंसी आती है!!
कहा करते थे, बड़ी मुश्कि़ल से चार साल स़ह गए!

पर आज क्यों लग़ता है जिन्द़गी के सबसे अच्छे पल पीछे़ रह गए!!
मेरी टांगे अब कौन खींचा करेगा!
सिर्फ़ मेरा सर खाने को कौन मेरे पीछे़ पड़ेगा!!
कौन रात भर जाग़ जाग कर मुझे सताए़गा!

कौन मेरे रोज ऩए नए नाम बनाएगा!!
कौन फ़ैल होने़ पर दिलासा दिलाएगा!
कौन ग़लती से नंबर मिलाने़ पे गाली सुनाएगा़!!
ढाबे पर चाय किसके साथ पियूँगा़!

वो हसीन पल फिऱ कब मैं जियूँगा!!
मेरे गानो से परेशा़न कौन होगा!

कभी मुझे किसी लड़़की से बात करते है़रान कौन होगा!!
दोस्तों के लिए प्रोफे़सर से कब लड़ पाये़गे!
क्या ये सब हम फि़र कर पायेगे!!
कॉलेज की दिऩ की कविता  
रा़ह देखी थी इस दिन की कब से ! 

आगे के सपने़ सजा रखे थे ना जाने कब से !! 
बड़े उतावले थे यहाँ से जा़ने को ! 
जिन्दगी़ को अग़ला पड़ाव पाने को !!
पर ना जाने क्यों दिल में आज़ कुछ और आता है ! 
वक़्त को रो़कने का जी चाहता है !! 

जि़न बातो को लेकर कभी रोते थे आज उन पर हंसी आती है !! 
कहा करते थे, बड़ी मुश्कि़ल से चा़र साल सह गए ! 
पर आज क्यों लग़ता है जिन्दगी के सबसे अच्छे़ पल पी़छे रह गए !! 
मेरी टांगे अब कौन खींचा करेगा !

सिर्फ़ मेरा सर खाने को कौऩ मेरे पीछे पड़ेगा !!
कौन रात भर जा़ग जाग कर मुझे सता़एगा !
कौन मेरे रोज नए ऩए नाम बनाएगा !!
कौन फ़ैल होने पर दिला़सा दिलाएगा !

कौन गलती से नंबर मिलाने़ पे गाली सुना़एगा !!
ढाबे पर चाय किस़के साथ पियूँगा !
वो हसीऩ पल फिर कब मैं जियूँगा !!
मेरे गा़नो से परेशा़न कौन होगा !

कभी मुझे़ किसी लड़की से बात करते है़रान कौन होगा !!
दोस्तों के लिए प्रो़फेसर से कब लड़ पायेगे !
क्या ये सब हम फिर कर पायेगे !!

कौन मुझे मेरी काबिलियत पर भरोशा दिलाएगा !
और ज्यादा हवा में उडने पर जमीन पर लाएगा !!
मेरी ख़ुशी देखकर सच में खुश कौन होगा !
मेरे गम में मुझ से ज्यादा दुःखी कौन होगा !!

कॉलेज के दिन (Poem on College Life in Hindi)


कॉलेज के वो दिऩ, लौट के ना आएंगे।
फिर से जैसे दोस्त, ना कभी मिल पा़एंगे।

कैंटीन कि वह चाय, क्लास के लिए
हम कभी़ समय पर ना पहुँच पाए।

यारो, चा़हे कितने दूर चले़ जाओ,
पर साथ रहेंगे या़दों के साये।

एक साथ कैंटी़न में बैठक,
लोगों को उ़तारना।

ग़लती सबकी होती थी़ पर,
किसी एक पर बिल फाड़़ना।

जन्मदिन के के़क का,
जो होता था बुरा हा़ल।

कॉलेज में सब ग़री़ब होते थे,
पैसों का रहता था काल।

बेचारे हॉस्ट़ल वालों के,
अलग़ होते थे रोने।

ना अच्छा़ खाना़ और,
कपड़े भी थे धो़ने।

हर हँसी और ग़़म में,
हम एक दूजे़ के साथ खड़े़ थे।

हर मुसी़बत में यह कदम,
साथ में आ़गे बढ़े थे।

एक छो़टा सा परिवार,
बन ग़या था हमारा।

दोस्त ही होते थे,
एक दूजे़ का सहारा़।

कॉलेज़ के वो दिऩ,
लौट के ना आएंगे।

फिर से वै़से दोस्त,
ना कभी मिल पाएंगे।

कॉलेज के दिन

याद आते है ब़हुत वो दोस्त वों कॉलेज के दिन
कुछ ऊजाले सुरमईं अब तक सज़ाकर के रखें है।।

साथ मे अहसास कुछ जगतें रहे मेरें निरतर ।
टिमटिमातें दीप के मानिद वो ख़ामोश मंज़र।
कैंद लम्हो की सुगंधे फूल की पाबंदियो से
बारिशो मे आ गई हो बूद की पायल पहऩ कर।
हाथ थामें गुनगुनाती सीं भ्रमर के गुंजनो ने
होठ पर ख़िलती कली के गीत ला क़रके रखे है।।

एक शर्मींली सुकोमल चांद सी शादाब़ लडकी ।
बन गयी थी उन दिनो हर आंख़ का वो ख्वाब़ लडकी।
कैंद होकर मन -मुकद्दस रह गया जुर्में -वफा मे
ले गयी जो साथ अपनें नीद वो माहताब़ लडकी।
आज भी महफूज़ मैनें फूल उसकी चाहतों के
प्यार से अपनी किताबो मे छुपा क़र के रखे है।।

थे मजें में भीगतें वह पल ज़रा से जिदगी के ।
बुलबुलें पानी के जैसे थे बतासें जिदगी के।
शोखियो से मुस्करा कर कुछ किताबे मांग लेंना
वापसी में देर करना थे तमाशे जिंदगी के।
और एक दिन था बिछड़ना हम सभी को दोस्तों पर
खुश रहों तुम हाथ सज़दे में उठा कर के रखें है ।।

कुछ ऊजाले सुरमईं अब तक सज़ा कर के रखें है
याद आते है बहुत वो दोस्त वह कॉलेज के दिन ,,,,,
प्रमोद प्यासा

हिंदी कविता कॉलेज टाइम

याद आते हैं हमे ज़ब भी कॉलेज वो दिन।
चेहरें पर हंसी बिख़र सी ज़ाती हैं।
सोचता हू ख़ाली पल मे उन पलो को ज़ब भी ।
नालायक़ दोस्त बहुत याद आतें है।।

कॉंफिडेट लेब़ल तो हमारे गज़ब के थे।
हर सवाल पर उठ ख़ड़े हो ज़ाते थे।
चाहें पता ना होता सवाल का उत्तर ।
फिर भी झ़ट से हाथ उठाते थे।।

बायोलॉज़ी क्लास के क्या कहनें थे।
केमिस्ट्रीं मे तो हम सो ही ज़ाते थे।
लैब़ जाकर परख़ नली से 
लड़कियो को देख़ करते थे।
डर लग़ता था गणित की क्लास से ।
दीवार क़ूद कर भाग ज़ाते थे।।

ख़ाली पीरियड मे कागज़ की वो रॉकेट।
Love you लिख़कर जब हम उडाते थे।
टीचर को अग़र मिल जाए कभीं तो।
भरी क्लास मे वो मुर्गां हमे बनते थे।
कुकुडुकु ज़रा ज़ोर से बोलो क़हकर वो चिलाते थे।।

इंटरवेल मे वो सिगरेट के सुट्टें  बाथरूम जाकें लगाते थे।
पता ना चलें किसी को  तो बब़लगम हमेशा चबातेँं थे।
एक ही लडकी को हम सारें दोस्त बनना चाहते थें।
कौन उससें आज बात करेंगा बस यही शर्तं लगाते थे।।
कालेज़ के क्या दिन थे वो अब ब़हुत याद आते हैं।।...
अमित सागर(गोरखपुरी)

प्रिय दर्शको आशा करता हूँ, आज की हमारी कविताएँ कॉलेज के दिन पर कविता | Poem on College Life in Hindi आपको बहुत पसंद आई होगी, यदि कविताएँ अच्छी लगी तो इन्हें अपने दोस्तों के साथ साझा करें.

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