सफाई वाला "शैलेन्द्र सरस्वती"
दादाजी! वह सफाई वाला
है वह कितना भोला भाला
सुबह सुबह का मुंह अँधेरे
गली का कचरा कितना बुहारे
दादाजी, कभी उसे बुलाओ
पास बैठा के कुछ बतलाओ
चाय उसे क्या पिला न सकते?
कितना अच्छा काम वह करता
स्वच्छ गली को सदा है रखता
दादीजी, वह सफाई वाला
है वह कितना मस्त निराला
क्यों तुम उससे आँख चुराते?
दादाजी! वह सफाई वाला
हमारा अंकल है मतवाला
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें