Short Poem In Hindi Kavita

मिट्टी पर कविताएं | Poem On Soil In Hindi

मिट्टी पर कविताएं | Poem On Soil In Hindi मिट्टी कि उपयोगिता से आप सब परिचित हैं , ऐसे हि मिट्टी कि उपयोगिता के बारे में कविता के माध्यम से हम आपके लिए लाए हैं एक छोटी सी प्यारी सी कविता। मिट्टी जो धरती पर हर जगह उपस्थित है, पर ये अमूल्य् है, इसका कोई मोल नहीं। 

मिट्टी पर कविताएं | Poem On Soil In Hindi

मिट्टी पर कविताएं | Poem On Soil In Hindi

ये वही मिट्टी है जिससे कभी मूर्ति तो कभी खिलौने ,कभी घर तो कभी ईंट इत्यादि सामान बनते हैं। हम अपने कविता के माध्यम से आपको बतलाने आए हैं कि हम सभी जनमानस् के लिए मिट्टी कितनी उपयोगी है।

लेकिन आज के समय में इसकी मूल्य कहाँ तक प्रासंगिक है ये प्रश्न चिन्ह् है। ये कविता मिट्टी कितनी सरल और कितनी हि उपयोगी है इसके बारे में बताती है, आइए आप सब मिलकर इस कविता का आनंद लीजिए।

हम भारतीय लोगों के लिए तो मिट्टी अधिक उपयोगी है, जिसका हम सम्मान भी करते हैं, और ये निरंतर जीवंत रहे, ऐसी चाह भी रखते हैं। 

आपको यहाँ पर विभिन्न् प्रकार के quotes,articles, stories, poems इत्यादि मिलेंगे।यह एक ऐसा plateform है जो कम शब्दों में अपनी बात रखता है ,यह कविता पढ़ने के बाद इस बात का एहसास आपको जरूर होगा।


मिट्टी कितने काम की

मिट्टी कितने काम की
बिन पैसे बिन दाम की

बड़े सजीले पंछी बनते
उड़ते गिरते और सम्भलते
रंग बिरंगे खेल खिलौने
चक्की चूल्हा घड़े सलोने
जीवित सी मूरत बन जाती
जोड़ी सीता राम की
मिट्टी कितने काम की

कहीं ईंट बन महल बनाती
कहीं खेत में फसल उगाती
सुंदर सुंदर फूल खिलाती
कभी धूल कीचड़ बन जाती
तरह तरह की होती है यह
कई रूप कई नाम की
मिट्टी कितने काम की

मिट्टी की खुशबू की

मिट्टी की खुशबू क़ी
बात ही कुछ निरालीं है
कही चिक़नी, कही रेतीली
कही सख्त, कही काली हैं।

हमारा ब़चपन क्या खूब था
ज़ब हम
मिट्टी
के घरौदे बनातें थे
जिसें हम फूल पत्तो और
मिट्टीं के दीयो से ही सज़ाते थे
ना आज़ जैसी शहरी रौनक
ना बिजली कि चकाचौध थी
फ़िर भी हम सब
ब़हुत खुश हो ज़ाते थे।

कभीं मिट्टी से पहाड बनाते
तो कभीं
मिट्टी मे पौधें लगाते थे
मिट्टी मे खेल
हम असली ख़ुशी पाते है
और आज़……….….
कहीं मिट्टी ना लग जाए पैरो मे
ये सोचक़र पैर उठाते है।
-प्रतिभा तिवारी

मिट्टी पर कविता | Mitti par Kavita 

सौं ईश्वर का वरदान हैं मिट्टी,
धरती का भगवान हैं मिट्टी,
है कैंसे बनता मिट्टीं?
पहाड़ो और नदियो से है ब़नता मिट्टी।

विभिन्न आक़ार बनाती हैं मिट्टी,
कही पर ख़ाई, कही पर ऊचाई,
होती कईं प्रकार की मिट्टीं,
गोरी, क़ाली और दोमट क़ी प्रकार।

मिट्टी मे होती कईं जीवो का वास,
इसकें उपर भी रहता कई जीवो का भार,
हैं बहुत सारा ऊपयोग मिट्टी का,
ना करे कोई दुरुपयोंग मिट्टी का।

ज़ीवन काल ख़त्म होते ही,
सब ब़न जाता है मिट्टीं का,
पता नही किंन-किन चीजो का,
मिश्रण होता हैं मिट्टी।।
–  Saurav Kumar

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मिट्टी के बारे में ये सरल सी कविता पढ़ कर आपको काफी अच्छा लगा होगा,ऐसी मेरी आशा है । आप सब ऐसे हि हमारे साथ जुड़े रहें हम अपने कविताओं और लेख् के माध्यम से आपको हमेशा खुश रखेंगे।

मिट्टी पर कविताएं | Poem On Soil In Hindi कविता में आपने देखा कि कितने विभिन्न् क्षेत्रों में मिट्टी का उपयोग होता है, प्राचीन काल में मिट्टी और भी अधिक प्रासंगिक थी, पर आज धीरे धीरे मिट्टी कि प्रासंगिकता कम होती जा रही है, इस कविता के माध्यम से हम इसको जीवंत करने कि कोशिश कर रहे हैँ। इस कविता को पढ़ कर आपको जरूर अच्छा लगा होगा। धन्यवाद।।

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