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बादल पर कविता | Poems On Clouds In Hindi

बादल पर कविता | Poems On Clouds In Hindi- नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है, आज के इस लेख में आज हम आपके लिए लेकर आए है, बदलो से जुडी विभिन्न शीर्षकों वाली तथा हमारे पाठको की पसंदीदा कविताएँ जो आपको मनोरंजित करेगी.

बादल पर कविता | Poems On Clouds In Hindi

बादल पर कविता | Poems On Clouds In Hindi

 बादल

आए बादल छाए बादल
पानी भर भर लाए बादल
कहाँ जा रहे दौड़ लगाकर
हमको नहीं बताए बादल

गर्जन खूब लगाते बादल
बिजली भी चमकाते बादल
काले काले दिखते हैं सब
लगता नहीं नहाते बादल

क्रोधित भी हो जाते बादल
आपस में टकराते बादल
गाँव शहर फिर खेत डुबोते
भीषण बारिश लाते बादल

तृप्त धरा को करना बादल
फसलों का दुःख हरना बादल
नहीं बरसना हो तुमको तो
घर से नहीं निकलना बादल

मटमैले काले बादल "अंजीव अंजुम"

ये मटमैले काले बादल, करें खूब शैतानी
धमा चौकड़ी खूब मचाकर, फेंका करते पानी

नहीं किसी की सुनते कुछ भी, मनमर्जी ये करते
सूरज की तीखी किरणों से कभी नहीं ये डरते
घुमड़ घुमड़कर आसमान में, करते ये मनमानी

अपने गाल फुलाकर चलते बालों को बिखराकर
आसमान में फरफर उड़ते काले पंख हिलाकर
बात वही करते हैं पूरी, जो हैं मन में ठानी

कोई हाथी जैसा मोटा, या चूहे सा छोटा
कोई तीखा तेज धार का, कोई चपटा भोंटा
कुछ हैं रिमझिम रिमझिम वाले, कुछ होते तूफानी

कुछ नदियों को पानी देते, कुछ सींचे खेतों को
कुछ धरती की प्यास बुझा, भरें ताल रीतों को
इनके ही कारण मिलती है, खाने को गुड़धानी

बादल

बादल दादा, बादल दादा
बरसों नहीं अजी अब ज्यादा
खेल खेलने मुझको जाना
कल बरस लेना अब आधा

मैं बालक हूँ भोला भाला
नहीं सेठ या कोई लाला
क्या देकर मैं तुझे मनाऊं
कुछ तो करो मुझे इशारा
हाथ न लूंगी मोबाइल मैं
पुस्तक मुझे पढ़ाओ मम्मी

आऊँगी कक्षा में अव्वल
संग संग नाचो गाओ मम्मी

बादल के गाँव

आओ चलें बादल के गाँव
चलना होगा पाँव पाँव

बूँदों के ही पेड़ लगे है
बूँदों से आंचल भरे है
चहुँ ओर फैली हैं बुँदे 
बूँदों से बने हैं ठाँव

बूंद बूंद बरसाएं बादल
सबका मन हर्षाए बादल
चिड़िया तोता मोर नाचे
कोआ बोले कांव कांव

बादल पर कविता

बादल गमो का साथी है जीवन के,
हर अधेरे मे उम्मीद का पहरा लेक़र।
जैसें उनके गुज़रने से आती है ब़हार,
हमारें जीवन मे खुशियो की बौंछार लेकर।

जीवन के उधारो मे कई बार घिरतें है हम,
मन के अधकार मे उज़ाले की तलाश मे।
पर बादल जैसें हमेशा आगे बढते है,
जीनें का संगीत हमेंशा अपने साथ लेक़र।

बादल की तरह हमेंशा बदलता है जीवन का रंग,
कभीं गरज़ते है, कभीं छाव बिख़ेरते हैं।
पर हमेशा याद रखे कि बादल गुज़रते जाते है,
अपने नये रंगो को हमेशा लेकर ज़ाते है।

बादल हमेशा स्वतत्र रहते है आकाश मे,
ना बंधनो से बाधते हैं, ना किसी का ध्यान रख़ते है।
हमे भी बादलो की तरह जींना चाहिये,
ख़ुद को खोलक़र आसमानो को छूनें का मन रख़ते है।

जीवन के दुख़ से उब़रने का तरीका सिख़ाते है वे,
बादलो की बरसात से हमेंशा हरा-भरा हो ज़ाते है।
जैसें उनकी बूंदे सब़को ख़ुशी से भर देती है,
हमे भी दृढता और आत्मविश्वास से भर देते है।

बादल हमे याद दिलातें है एक बात,
कि ज़ीवन की यात्रा में ब़दलाव है अवश्य।
हमे अपनी सोच को बदलनें की आवश्यकता है,
ख़ुद को प्रकृति के साथ मेल करनें की आवश्यकता है।

बादल गुज़रते जाते है आसमां मे,
हमे भी अपने जीवन की ऊचाइयो को छूना है।
बादलो की तरह जीनें का तरीका सीखे,
और हर पल को एक नई शुरुआत का अवसर माने।

बादल और सूरज

बादल और सूरज़ के बीच युद्ध ज़ारी हैं
कौंन ज़ाने ,किसका पलड़ा भारी हैं...
बादलो ने बनाईं, रणनीति हैं
सूरज़ को घेरनें की..
और सारें बादल मिलक़र
सूरज़ पर हावी है...
पर सूरज़ तो सूरज़ ठहरा
अवसर पातें ही, झाक लेता हैं
बादलो के बींच से
वो अक़ेला ही सब़ पे भारी हैं...
और ये, बादलो को चीरकें
निक़ल आया सूरज
अब दुम दब़ा के भागनें की
बादलो की बारी हैं.....
-लता जोशी

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