गेहूं की बालियाँ
हरी भरी बालियाँ
बजा रही तालियाँ
ओलों में अड़ि रहीं
कुहरे से जूझ गई
पाले में खड़ी रही
पत्थर की बालियाँ
जीत गई बाजियाँ
पकी पकी बालियाँ
खुशियों की तालियाँ
सूरज ने गर्मी दी
पूरी हमदर्दी दी
सोने की वर्दी दी
महक उठीं थालियाँ
चहक उठी बालियाँ
Short Poem In Hindi Kavita
गेहूं की बालियाँ
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