Short Poem In Hindi Kavita

तम्बाकू पर कविता | Poem On tobacco in Hindi

 बाबा क्यों तम्बाकू खाते?

बाबा क्यों तम्बाकू खाते
कहते रोज चुनौटी लाओ
चूना रगड़ों खूब मिलाओ
मलते परेशान होता हूँ
पढ़ने का अवसर खोता हूँ
पिचिर पिचिर नित थूका करते
तम्बाकू भी सदा उगलते
मुझको परेशान वो करते
गंदे मुहं पर ध्यान न धरते
बोलो क्या आनन्द उठाते
बाबा क्यों तम्बाकू खाते?

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