Short Poem In Hindi Kavita

गर्मी ऋतु पर कविता | Poem on Summer Season in Hindi

गर्मी ऋतु पर कविता | Poem on Summer Season in Hindi आइए दोस्तों आज हम आप लोगों के लिए लाए हैं एक बेहद हि अनोखे और बेहतरीन टॉपिक पर कविता- गर्मी का मौसम। ये गर्मी का मौसम् बेहद हि खूबसूरत और लुभावना होता है। 

जब हम सभी मिलकर अवकाश के दिनों का आनंद लेते हैं। बच्चे बूढ़े सभी मिलकर मस्ती से एक दूसरे के साथ गर्मी के दिनों का आनंद उठाते हैं। 

गर्मी ऋतु पर कविता Poem Summer Season Hindi

गर्मी ऋतु पर कविता Poem on Summer Season in Hindi

गर्मी के दिनों में तरह तरह के फल मार्केट में आते हैं उनका अलग हि अपना मजा है। इनटरनेट कि दुनिया में आपको बहुत सारी कविताएं मिलेंगी लेकिन हम लाए हैं आपके लिए एक unique और बेहतरीन मनमोहक कविताएं, आप यून्हि हमारे साथ मुस्कुराते रहिये और हम ऐसे हि आपको हँसाते रहेंगे।

गर्मी के दिनों कि जब हमें याद आती है तब हमें सबसे पहले चित्र गर्मी के दिनों में सूरज के धूप और शरीर से निकले पसीने कि आती है। गर्मी के दिन बच्चों के लिए बहुत खास होते हैं। हम ऐसे हि चहकती धूप पर कविता लाए हैं जो आपको जरूर रोमन्चित् करेगी।

यहाँ पर आपको गर्मी पर चार अलग अलग बिंदुओं को केन्द्रित कराते हुए कविता मिलेगी ,कोई धूप को, कोई लू को तो कोई गर्मी के अवकाश में सहोदर के आने कि बात बताती है। आप भी इन कविताओं को पढ़िए और आनन्द लीजिए।

 मौसम गरमी का

गरम तवे सी तपती धरती, मौसम गर्मी का
लू की लपटे आंधी अंधड़ मौसम गर्मी का
घर से बाहर निकल न पाएं सब दुबके बैठे
आने जाने पर पाबंदी, मौसम गर्मी का
टप टप चुए पसीना तन से मुश्किल है जीना
कैसा आया गर्म महीना, मौसम गर्मी का
सुबह सुबह ही सूरज दादा आएं रॉब जमाते
तिल सी रातें ताड़ हुए दिन मौसम गर्मी का
शरबत आइसक्रीम जलजीरा ठंढाई लस्सी
ए सी कूलर पंखे साथी मौसम गर्मी का
घास ढूंढती गोरी गैया सोन चिरैया प्यासी
पानी पानी सबकी बानी मौसम गर्मी का


लगा रही लू चांटा


एक बार फिर से मौसम ने
सूरजजी को डांटा
कम्बल कोट रजाई भागे
कहकर सबको टाटा

छत पर चढ़कर धूप सेंकना
नहीं किसी को भाता
फ्रिज, कूलर एवं पंखों से
जुड़ा सभी का नाता

भरी दुपहरी आग बरसती
सड़कों पर सन्नाटा
दुबक गये सब घर के अंदर
लगा रही लू चांटा

गरम चाय काफी सब भूले
शरबत खूब सुहाता
पेय अनगिनत लेकिन गन्ने
का रस रंग जमाता

जल्दी से आ जाते "रेखा लोढ़ा स्मित"

कंधे अब तो थके हमारे
स्वेटर का वजन उठाते
दिवस क्यों नही गर्मी वाले
अब जल्दी से आ जाते

आए मजा नहाने में भी
तन मन हल्का फुल्का हो
जाएं सुबह सैर को हम भी
मिले रंगीली तितली को
खेल खेलकर न्यारे न्यारे
हम लम्बी दौड़ लगाते
दिवस क्यों नहीं गर्मी वाले
अब जल्दी से आ जाते

ठंडा पानी जूस शिकंजी
पीएं जितना मन माने
हम पापा के संग रोज ही
जा पाएं कुल्फी खाने
देकर सभी परीक्षाएं हम
छुट्टी रोज मना पाते
दिवस क्यों नहीं गर्मी वाले
अब जल्दी से आ जाते

लूटें हम भी मजे आम के
नाना जी के घर जाकर
लाड़ करेगे दादा दादी
गाँव हमें ले जाते चाचा
किस्से भी रोज सुनाते
दिवस क्यों नहीं गर्मी वाले
अब जल्दी से आ जाते

क्या गर्मी है "विनोद भृंग"

भरी दुपहरी चलती है लू, क्या गर्मी है
बातें करती सनन सनन सू क्या गर्मी है

सूरज कैसी आँख दिखाए
देख पसीना छूटा जाए
चैन सभी का हुआ उड़न छू
क्या गर्मी है

खरबूजों का मौसम आया
आम देखकर जी ललचाया
मन भाए लीची की खुशबु
क्या गर्मी है

बिजली भागी भागा पानी
आए याद सभी को नानी
भूल गये सब हा हा
हू हू क्या गर्मी है

Summer Season in Hindi Poem – जाड़े के दिन बीत गए हैं

जाडे के दिन बींत गये है
गर्मीं के दिन आये सोनू
सोनू बोला बहुत हीं दिक्क़त
इस गर्मीं मे आती मोनू

धरती तपती अम्बर तपता
क्यारीं सूखी, सूखें खेत
दुबें भी मागे है पानी
पक्षीं होते बडे बेचैंन

लूं की हवाए चलती तेज़
आग नियन हैं तन को लग़ती
सूख़ जाते है नदियां तालाबे
रूप यौंवन हैं मुरझ़ा जाती

धुप के चलतें वक्त डूब़ता
घर से निक़ले ना पंथी
आलस से दिन बींत हैं जाता
वीरान हैं पनघट,वीरान हैं नदी

मोनू बोला तब़ सोनू से
ब़हुत ही होती हैं परेशानी
इसका एक उपाय हैं भाई
दुनियां ज़ागे पेड लगाए

पेड पौधो से मिलेगी छाया
बैठ नीचें कुछ काम करेगे
गर्मीं फिर महसूस ना होगी
दिन ना जायेगा ऐसें जाया
सूरज निषाद

ग्रीष्म ऋतु पर कविता : कैसे-कैसे खेल लाई गर्मी

आईं आई गर्मीं आई
आईं आई गर्मी आई
कैसे-कैसे ख़ेल लाई।
आओं चुन्नीं खेले खेल

सोनू क्या तुम कंचें लाईं
आई आई गर्मीं आई।
 
बबलू आओं हम छुप जाए
रानी तुम ढूढोगी हमकों
कज़री देख़ो वहां न जाओं
मुन्नीं तुम तो देर से आईं
आई आई गर्मी आईं।
 
मोनू इतनीं दूर ख़ड़े क्यो
आओं तुम भी संग में खेलों
गुड़ियां का हम ब्याहं रचाये
देख़ो आशु गुड्डा लायी
आई आई गर्मीं आई
 
शैंलू बल्लें से तुम ले लो
नन्नू जाओं पकड़ो इसकों
देखों रानू क्या-क्या लायी
आई आई गर्मीं आई।
- सुषमा दुबे
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  1. हवा पर कविता

मेरे प्यारे दोस्तों आप सबको यह कविता पढ़कर बेहद ख़ुशी और आनन्द आया होगा। गर्मी में एक तरफ तेज धूप तो दूसरी तरफ एक राहत भरी शाम भी आती है जिसको महसूस करना अपने में एक लाजवाब एहसास है। 

वहीँ गर्मी के दिन बच्चों को बहुत भाते हैं वे नानी मौसी के घर बिताये हुए पलों को साल भर याद करते हैं,और खुशी से झूम उठते हैं। आप ऐसे हि कविताओं को पढ़ने के लिए हमसे जुड़े रहिये हम ऐसे हि आप सबका मनोरंजन करते रहेंगे धन्यवाद

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