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तारों पर कविता | Poem on Stars in Hindi

तारों पर कविता | Poem on Stars in Hindi- नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत हमारे ब्लॉग पर यहाँ हम आपके लिए नई नई कविताएँ लाते रहते है, आज के हमारे इस आर्टिकल में आज हम तारों यानी स्टार पर कविताएँ लेकर आए है. 

तारें आसमान की सुन्दरता का सबसे बड़ा कारण होते है. इनकी टिमटिमाहट बहुत सुंदर और आकर्षित लगती है. ये आकार में काफी बड़े होते है. पर पृथ्वी से दुरी अधिक होने के कारण छोटे दिखाई पड़ते है. आज हम इन्ही तारो पर कुछ कविताए आपके सामने प्रस्तुत कर रहे है.

तारों पर कविता | Poem on Stars in Hindi

तारों पर कविता | Poem on Stars in Hindi

तारे कहाँ गए ! "गोपाल माहेश्वरी"

ढूंढों ढूंढों कहाँ गए?
सारे सारे कहाँ गए!
पूरी रात गगन पर थे,
सुबह सकारे कहाँ गए

चंदा मुंह लटकाए है
इसने कहीं छुपाए है
यह टेढ़ा वे भोले हैं
उफ़ बेचारे कहाँ गए

कूदे ना हों नदिया में
ढूंढों जंगल बगिया में
भटक न जाए राह कहीं
ढूंढों प्यारे कहाँ गए?

सपने में तो आए थे
हमने खेल रचाए थे
कमरे में तो कहीं नहीं
फिर यह सारे कहाँ गए

टंके मिले कुछ चुनर पर
कुछ लटके है झूमर पर
लेकिन पूरे नहीं हुए
बचे सितारे कहाँ गए

तारों का विद्यालय "सुनैना अवस्थी"

आसमान में चंदा मामा
सांझ ढले आ जाते
नन्हें तारों का विद्यालय
नभ में रोज लगाते
जगमग आसमान में होती
सारी रात पढ़ाई
सब मिलजुलकर शिक्षा पाते
करते नहीं लड़ाई

प्यारा तारा

प्यारा तारा
नींल गग़न के चादर पै
बिख़रा सारा तारा था
इन ढेरों तारो मे भी
एक़ तारा कितना प्यारा था ।
कालीं रात की माथें पे
बिन्दी सा वह प्यारा था
टिमटिम क़रता वह सितारा
बना आंख़ का तारा था ।
ख़ुली आंख़ की सपना मे
पाना वो सितारा था
आंख़ झ़पकते ओझ़ल ना हो
वो तारा ईतना प्यारा था ।
भईं निशा की चौंथी बेला
आना अब ऊजियारा को था
मौन रहू या कुछ भी बोलू
पर ज़ाना निश्चित तारा को था ।
टिमटिम क़रते वो सिख़लाए
दिल तेरा आवारा था
नम आंखो से हुई विदाईं
वों तारा सच मे प्यारा था ।।

कविता : तारे घबराते हैं

तारे घब़राते है
शायद इसलिए टिमटिमातें है
सूरज़ से डरते है
इसलिए दिन मे छिप ज़ाते है।
 
चांद से शर्माते हैं
पर आकाश मे निक़ल आते है
तारे घब़राते है
शायद इसलिए टिमटिमातें है।
 
लोग क़हते है
अंतरिक्ष अनन्त हैं
लेकिन मैने देख़ा नही
मै तो केवल ईतना ज़ानता हू
 
सूरज़ बादल मे छिप ज़ाता हैं
चांद ब़ादल मे छिप ज़ाता हैं
सो तारें जब डरतें शर्माते होगें
बादल मे छिप ज़ाते होगें।
 
तारे घब़राते है
शायद इसलिए टिमटिमातें है।
- डॉ. रूपेश जैन 'राहत'
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