मकड़ी पर कविता | Poem on Spider in Hindi में आपका स्वागत हैं. आज हम मकड़ी के विषय पर कई हिंदी कविताएँ लेकर आए हैं. उम्मीद करते है मकड़ी पर दी गई हिंदी कविताएँ आपको बहुत पसंद भी आएगी.
मकड़ी पर कविता | Poem on Spider in Hindi
नीयत बुरी तो दावत कैसी
एक थी मकड़ी बड़ी सयानी
नाम था उसका बीबी जानी
उसका था इक मकड़ा राजा
मकड़ा राजा लाया बाजा
बाजा देखा वह मुस्काई
अक्ल में उसके बात यह आई
बाजा खूब अनोखा है यह
अच्छा बढिया मौका है यह
चींटी पिस्सू मक्खी मच्छर
दावत दूंगी सबको जाकर
बाजा सुनने सब आएँगे
हम भी दावत फिर खाएंगे
मकड़ी ने फिर पहनी साड़ी
साथ में ले ली अपनी गाड़ी
फिर पहुची मक्खी के घर
मक्खी भाग जान बचाकर
मकड़ी बोली आओ आओ
हम से इतना मत खबराओ
सुनो सुनो ऐ बीबी जानी
हमें पता है तुम हो ज्ञानी
और सुना है मकड़े राजा
लाए है इक बढिया बाजा
दावत देने तुम आई हो
हमको लेने तुम आई हो
मकड़ी का जाल
ऩश्वर यह ज़ीवन
तो क्या हुआं ?
देख़ो ! मकड़ी का ज़ाल ,
कितनें संघर्षं से ब़ना हैं
उसने कौंन बतायेगा ,
उसक़ा हाल I
उचित होगा या अनुचित होग़ा ,
उद्देश्य कहां वह ज़ानती हैं
कर्म ही सर्वोंच्य हैं
सिर्फं कर्मं को पहचानती है
एक नन्हीं सी मकड़ी देख़ो !
बुनते ज़ाल !
अरें ! हम तो ठहरें भी इन्सान
कर्मं पथ पर रुके अग़र
तो होगा यह धिक्क़ार
होगा यह धिक्क़ार ii
subhash yada
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