पापा, दीदी बहुत बुरी है "प्रकाश मनु"
पापा
दीदी बहुत बुरी है !
बिना बात करती है कुट्टी
सीधे मुंह बात न करती
मैं कहती हूँ खेलो मिलकर
मगर चला देती यह लात
हरदम झल्लाया करती है
हरदम इसकी नाक चढ़ी है
मेरे सभी खिलौने लेकर
जिस तिस को दिखलाया करती
मांगू तो कह देती ना ना
मुझ पर रॉब जताया करती
सब दिन कहती पढ़ो पढ़ो बस
आफत मेरे गले पड़ी है
कभी न अपनी चिज्जी देती
उलटे मेरी हंसी उड़ाती
कह देती है सब सखियों से
बुद्धू कहकर मुझे चिढ़ाती
बातें करती मीठी मीठी
पर भीतर से तेज छुरी है!
नोक झोंक "श्याम सुशील"
दीदी मुझे गुस्सा मत दिला
क्या कर लेगा ?
मैं तुझे चुहिया बना दूंगा
मैं तेरी किताबें कुतर डालूंगी
मैं तुझे मधुमक्खी बना दूंगा
मैं तेरे गाल का गोलगप्पा बना दूंगी
मैं तुझे आसमान में फेंक दूंगा
मैं आसमान से तेरे ऊपर गिरुगी
मैं घर में घुस जाऊँगा
डरपोक कहीं का!
अच्छी बात नहीं "नागेश पाण्डेय संजय"
बात बात पर अकड़ दिखाना
अच्छी बात नहीं है दीदी
माना तुम हो बड़ी और तुम
होशियार हो, मान रहा हूँ
समझदार हो, जानकार हो
मैं अच्छे से जान रहा हूँ
लेकिन इसका रोब जताना
अच्छी बात नहीं है दीदी
इतना छोटा नहीं रहा मैं
दीदी मैं भी होशियार हूँ
मुझसे भी छोटे है बच्चे
उनसे करता खूब प्यार हूँ
जो छोटे, उनको धमकाना
अच्छी बात नहीं है दीदी
ऐसा करो करो मत वैसा
मुझको बतलाती हो जी
खुद लेटे लेटे पढ़ती हो
आलस खूब दिखाती हो जी
कभी न माँ का हाथ बंटाना
अच्छी बात नहीं है दीदी!
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