Short Poem In Hindi Kavita

सब्जी वाला पर कविता | Poem on Sabjiwala in Hindi

 सब्जी वाला

लेकर सब्जी ताज़ी ताज़ी
लो आया है सब्जी वाला

ठेले पर सबसे आगे हैं
ये शिमला के आलू
आलू के संग मटक रहे हैं
अरबी और कचालू

गोभी, बैंगन, मिर्च, टमाटर
ने है घेरा डाला

एक ओर लुक छिपकर बैठी
भिंडी नरम नरक सी
सिमटी है यों मटर कि जैसे
आई बड़ी शरम सी

हाथ लगाते कूदा टिंडा
हरा हरा मतवाला
अलग सभी से रॉब दिखाता
जमकर बैठा कटहल

अदरक नीम्बू, लहसुन की भी
बड़े मजे की हलचल
पूछ रहा है सब्जी वाला
क्या दूं बाबू लाला?

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