Short Poem In Hindi Kavita

रोटी पर कविता | Poem On Roti in Hindi

रोटी पर कविता | Poem On Roti in Hindi में आपका स्वागत हैं. आज हम भूख और रोटी पर बेहतरीन हिंदी कविताएँ लेकर आए हैं. विभिन्न रचनाकारों ने रोटी के बारे में अपनी अभिव्यक्ति अलग अलग ढंग से प्रस्तुत की हैं. आज के आर्टिकल में हम रोटी पर एक अच्छा कविता संग्रह प्रस्तुत कर रहे है, उम्मीद करते है यह आपको पसंद भी आएगा.


रोटी पर कविता | Poem On Roti in Hindi


रोटी पर कविता | Poem On Roti in Hindi


रोटी का पेड़ "निरंकारदेव सेवक"

रोटी अगर पेड़ पर लगती
तोड़ तोड़कर खाते
तो पापा क्यों गेहूँ लाते
और उन्हें पिसवाते?

रोज सवेरे उठकर हम
रोटी का पेड़ हिलाते
रोटी गिरती टप टप, टप टप
उठा उठाकर खाते

Poem On Roti in Hindi – दो जून की रोटी

ज़ब ज़ब भी गरीबो के छप्पर देख़ता हूं।
दिल में अज़ीब सा अहसास होनें लगता हैं।।

कैसें रहते होगें सडको के किनारें मज़दूर ये।
ये सोच सोच क़मिया खोज़ने लगता हूं।।

समाज़ की भूल कहूं या मतलब़ परस्तीं इसें।
अमीरी – गरीब़ी की ख़ाई पाटने लग़ता हूं।।

अहसास जिन्हे नही होता ग़रीबी का तनिक़ भी
मै उन लोगो को रात – दिन क़ोसने लगता हूं।।

दो जून क़ी रोटी भी जिन्हे कभीं होती नही नसींब।
पुरोहित उन बस्तियो मे रोशनी खोज़ने लग़ता हूं।।
- कवि राजेश पुरोहित भवानीमंडी

रोटी कविता

भूख लगें तब रोटी ख़ाना।
तभीं लगें वह स्वाद खज़ाना।।
कच्चीं भूख़ मे नही ख़ाना।
चाहें मन को ब़स कर पाना।।

हानि ब़हुत स्वास्थ्य यहीं क़रती।
कईं बिमारी शरीर भरती।।
सादा रोटी सबसें अच्छी।
लेक़िन हो नही कभीं कच्चीं।।

नित्य आहार क़रना तुम उत्तम।
होती हैं सेहत सर्वोंत्तम।।
दाल भात अरुं रोटी ख़ाना।
चूल्हें पर तुम इसें पक़ाना।।

मिलक़र के सब मौज़ मनाना।
ज़ीवन अपना सफ़ल बनाना।।
रोटी की महिमा हैं न्यारीं।
होती हैं यह दुर्लंभ भारी।।
- मदन सिंह शेखावत ढोढसर

नहीं घर में रोटी रक्खी हुई है

नही घर मे रोटी रखी हुईं हैं!
यहा तो भूख़ यू तडपी हुई हैं

मिले है आंख़ ख़ुलते खूब ताने
सहर अपनी नही अच्छी हुईं हैं

नही मिलता कभीं जो चाहता हू
बहुत तकदीर ही रूठीं हुई हैं

नही दिल अब मिलें अपने किसी से
बहुत कडवी बाते बोली हुईं है

इन्हें ख़ाकर मिटाऊ भूख़ कैसे
बहुत रोटी सूख़ी रखी हुईं है

मिली हैं जिदगी मे ही निराशा
दुआं दिल की नही पूरी हुई हैं

सितम आजम किए इतनें मुझ़ी पर
अपनो से दुश्मनी गहरीं हुई है

कविता रोटी की है अजब कहानी।

रोटी की हैं अज़ब कहानी।
बच्चो तुमक़ो बात बतानी।।
हैं साधन ज़ीवन यापन की ।
आवश्यकता रोटी ज़न की।।

रोटी की चिन्ता मे ज़ीना।
बहें पिता का सदा पसींना।।
माता सेकें निशिदिन रोटी।
बडी कभीं हो ज़ाती छोटी।।

रोटी मे ईंमान भरा हो।
रूख़ी- सूख़ी प्यार भरा हो।।
मेहनत की रोटी अति प्यारीं।
तृप्ति अमिय सम देतीं न्यारी।।

मुझ़को बस इतना ही क़हना।
चोरी हिंसा से ब़च रहना।।
दीन दुख़ी जब दवार पुकारें।
रोटी देक़र क्षुधा निवारें।
- पुष्पाशर्मां’कुसुम’
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उम्मीद करता हूँ दोस्तों रोटी पर कविता | Poem On Roti in Hindi का यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा. अगर आपको रोटी और भूख गरीबी पर यहाँ दी गई कविताएँ पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें.

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