गुलाबों से
चलो गुलाबों से
बातें करें
काँटों में खिलकर भी
हँसते है वे
देखो निडर कैसे
खिलते हैं वे?
घूमें हम उपवन में
बातें करें
सप्तरंगी इन्द्रधनुष
रचते हैं वे
खुशबू से पुलकित मन
करते हैं वे
बैठे हम संग साथ
बातें करें
खिले हम भी उन सा ही
कहते हैं वे
बुने स्वप्न मोहक जो
बुनते हैं वे
चलो हम चलें उनसे
बातें करें.
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