चूहे पर कविता | Poem On rat in Hindi दोस्तों आइए हम आपको लेकर चलते हैं एक ऐसी कविता कि ओर लेकर जो बेहद हन्समुख् और अनोखी है। यह कविता है शरारती चूहे पर जो बेहद हि नट खट अंदाज में अपने शरारतें बतलाता है। चूहे से तो आप सभी परिचित् होंगे क्यों कि हर घर में नुकसान को अंजाम देने के लिए आते हैं। इनके नुकीले दांत और फुर्तिले शरीर कि वजह से ये हर जगह परिचित हैं।
चूहे पर कविता | Poem On rat in Hindi
इस कविता में चूहे ने खुद अपने बारे में बताने कि कोशिश् कि है कि कैसे वो इतना शरारती है। वैसे तो चूहा यानी कि मूसक गणेश जी का वाहन माना जाता है और कई स्थानों पर तो गणेश जी के वाहन मूसक् कि पूजा भी होती है। पर आज हम आपको चूहे के शरारती अंदाज के बारे में बताने आए हैं।
काफी दिलचस्प् लगेगा आपको यह कविता पढ़कर, क्यों कि चूहा एक ऐसा जीव है जो शातिर होने के साथ साथ एक फुर्तिला जीव भी है। आपने बचपन में चूहे और बिल्ली कि कविताएं और कहानियां जरूर पढ़ी होंगी।
इस लेख में 4 कविताएं हैं जो अलग अलग मुद्दे पर हैं एक में चूहे कि गप्प का जिक्र किया गया ,दुसरे में पाँच चूहे , तीसरे में नन्हे चूहे तो चौथे में गिल्लु चूहे के बारे में बताया गया है। आप सबको इन कबिताओ को पढ़ने में बहुत मज़ा आएगा।
सुन चूहे की गप्प
लाल किले में रहूँ नहाऊं
जमुना जी के जल में
महरौली में रोटी खाऊं
सोऊ ताजमहल में
सुबह सुबह उठकर लंदन भागू
हडबड हडबड हप्प
सुन चूहे की गप्प
भालू मेरी बगिया सींचे
बन्दर पलंग बिछाए
लोरी गाकर गधा सुलाए
हाथी पाँव दबाए
दूर खड़ी छज्जे पर बिल्ली
चुए लार टपटप्प
सुन चूहे की गप्प
बाल पकड़कर शेर बब्बर के
मैं वह मजे चखाऊं
याद करे नानी को अपनी
बोले म्याऊं म्याऊं
कर जाऊं मैं उस पाजी का
सारा राज हड़प्प
सुन चूहे की गप्प
पाँच चूहे
पांच चूहे घर से निकले
करने चले शिकार
एक चूहा पीछे छुटा
बाकी रह गये चार
चारों ने मस्ती में आकर
बजाई पीपी बीन
एक चूहे को बिल्ली खा गई
बाकी रह गये तीन
तीनों ने मिलकर ठानी
चलो चलें अब घर को
एक चूहे ने बात न मानी
बाकी बच गये दो
बचे खुचे जो दो चूहे थे
वे थे बड़े ही नेक
चील झपट ले गई एक को
बाकी रह गया एक
वह चूहा था बड़ा रंगीला
बना फिल्म का हीरो
वह भी फोटो बन गया भैया
बचा अजी बस जीरो
नन्हा चूहा
नन्हा चूहा दौड़ रहा था
मेरे पूरे घर भर में
उसके पीछे भाग रहा था
सोनू घर आंगन में
चूहा था शैतान बड़ा
झट चढ़ता पर्दों पर
कभी टांड पे मूँछ हिलाता
कभी भागता टीवी पर
परेशान हो सोनू बोला
माँ दे दो चूहेदानी
कैद करूँगा जब उसमें तो
याद आएगी इसको नानी
रोटी की लालच में चूहा
भूला सोनू की चालाकी
कुतर के रोटी ज्यों ही घूमा
बंद हुई खट चूहेदानी
गिल्लू 'भावना शेखर"
यह है मेरा नन्हा गिल्लू
पकड़े जब तब माँ पल्लू
पतली पतली इसकी मूँछ
झाड़ू सी है इसकी पूंछ
पैरों का यह स्टूल बनाता
झट से उस पर बैठ जाता है
दोनों हाथ में काजू पकड़े
कूट कुट कर फिर मुँह से कुतरे
गोल गोल है आँख नचाता
गोदी में फट से चढ़ जाता
पापा जब भी घर पर आते
पैरों में लिपटा ही जाता
घुड़की दे जब उसे भगाते
खाली जूते में घुस जाता
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चूहे पर कविताओं के शौक़ीन खासकर बच्चे होते हैं उन्हें देखकर बच्चे अक्सर उछ्ल् पड़ते हैं। अगर आप बच्चों को ये कविता सुनाएंगे तो उन्हें बहुत पसंद आएगा। चूहे का शरारती अंदाज कविता के माध्यम में बेहद हि सुरीला होता है।
हम आपको हंसाने का और आपका मंनोरंजन करने के लिए हमेशा प्रयासरत हैं आपको ये कविता खासकर बच्चों को जरूर भाई होगी आप ऐसे हि हमारे साइट पर् निरंतर बने रहिये हम आपको ऐसे हि खुश करते रहेंगे।
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