Short Poem In Hindi Kavita

रसगुल्ला पर कविता | Poem on Rasgulla in Hindi

 रसगुल्ले के पैसे लाओ

चिड़ियों ने बाजार लगाया
कौआ चौकीदार बिठाया
मेले में जब भालू आया
उठा एक रसगुल्ला खाया
गौरेया यह कह मुस्काई
कहाँ चल दिए भालू भाई
जल्दी क्या है रूक भी जाओ
रसगुल्ले के पैसे लाओ
भालू बोला क्या फरमाया
मुझको क्या यह जान न पाया
मंत्री जी हैं पिता हमारे
होश करें वो ठीक तुम्हारे
सुनकर झगड़ा कौआ आया
डांटा कोट उतार रखाया
और कहा भालू जी जाओ
कल तक पैसे लेकर आओ
जब पैसे देकर जाओगे
कोट तभी वापस पाओगे
मंत्री जी को जा बतलाना
अब अँधेरे नहीं चल पाना

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