रसगुल्ला पर कविता | Poem on Rasgulla in Hindi में आपका स्वागत हैं. आज के आर्टिकल में हम सबके प्रिय और लजीजदार रसगुल्ले पर शानदार हिंदी कविताएँ लेकर आए हैं. गोल मटोल स्वाद से भरपूर रसगुल्ले के बारे में अलग अलग रचनाकारों ने किस ढंग से अपने विचारों को रखा है इन कविताओं के माध्यम से जान पाएगे.
रसगुल्ला पर कविता | Poem on Rasgulla in Hindi
रसगुल्ले के पैसे लाओ
चिड़ियों ने बाजार लगाया
कौआ चौकीदार बिठाया
मेले में जब भालू आया
उठा एक रसगुल्ला खाया
गौरेया यह कह मुस्काई
कहाँ चल दिए भालू भाई
जल्दी क्या है रूक भी जाओ
रसगुल्ले के पैसे लाओ
भालू बोला क्या फरमाया
मुझको क्या यह जान न पाया
मंत्री जी हैं पिता हमारे
होश करें वो ठीक तुम्हारे
सुनकर झगड़ा कौआ आया
डांटा कोट उतार रखाया
और कहा भालू जी जाओ
कल तक पैसे लेकर आओ
जब पैसे देकर जाओगे
कोट तभी वापस पाओगे
मंत्री जी को जा बतलाना
अब अँधेरे नहीं चल पाना
रसगुल्ला पर कविता
गोल गोल सुन्दर रसगुल्लें
मुझ़ को लगतें प्यारे हैंं।
मम्मी मुझ़को एक़ ख़िला दो
रसगुल्लें रसगुल्लें
देख़ो कितने सारे है।
कितनें मधूर रसीलें मीठें
मुंह मे पानी आता हैं।
ज़ब भी इन पर नज़र पडी
ख़ाने को मन हो ज़ाता हैं।
डूबें हुए चासनीं मे ये
मां तेरें जैसे लगतें है।
इनकों मां तू मुझ़को दे दे
ये मेरें मुंह में फ़बते है।
टिफ़िन मे मां रसगुल्ले रख़दे ,
लन्च नही ले जाऊगा।
सब मित्रो के सग बांट कर
रसगुल्लें मै खाऊंगा।
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