Short Poem In Hindi Kavita

इन्द्रधनुष पर कविता | Poem on Rainbow in Hindi

 उड़ते उड़ते

फूलों जैसे इन्द्रधनुष जी
यदि धरती पर खिलते
चुपके से जा पास उन्हें हम
हाथों से छू लेते

और तितलियाँ पर फैलाए
पास जो उनके आतीं
सतरंगी आभा से वे सब
बेसुध सी हो जाती

इतनी मोहक शोभा लेकिन 
गंध नहीं जब मिलती
उड़ लेतीं चुपचाप नहीं कुछ
जरा किसी से कहतीं

उड़ते उड़ते एक बात बस
यही सोचती रहतीं
अच्छी बनीं आज वे उल्लू
मन ही मन में हंसती

रंग बिरंगे फूलों के फिर
पास दूर उड़ जातीं
और सुगन्धों की मनमोहक
दुनियां में खो जाती

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें