Short Poem In Hindi Kavita

खरगोश पर कविता | Poem on rabbit in Hindi

 खरगोश "राजेन्द्र पंजियार"

पशु पक्षी की दुनिया सचमुच
होती बड़ी निराली
उन्हें गौर से देख हमेशा
छा जाती खुशियाली

मैंने पाले थे पिंजड़े में
दो खरगोश निराले
उछल कूद वे खूब मचाते
खाते खूब निवाले

एक दूध सा था सफेद औ
दूजा था चितकबरा
पिंजड़े से जब बाहर रहते
देना होता पहरा

बिल्ली कहीं पहुँच जाए तो
उनकी कठिन सुरक्षा
वे भी भयवश चौकन्ना रह
करते अपनी रक्षा

उन्हें गोद में लेकर हरदम
रोएँ सहलाता था
उनको यह सुखकर लगता था
मैं भी सुख पाता था

हरी घास पर फुदक फुदक कर
बड़े चाव से खाते
थक जाते तो पिंजड़े में ही
घुसकर वे सुस्ताते

एक दिवस की बात भूल से
पिंजड़ा लगा न पाया
बिल्ली थी बस इसी ताक में
उनका किया सफाया

सुबह देख खाली पिंजड़े को
आँखे थी भर आई
थोड़ी सी गलती के कारण
उसने जान गँवाई

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