खरगोश पर कविता | Poem on rabbit in Hindi नमस्कार दोस्तों यदि आप वेब पर rabbit Poems से सम्बंधित कविताओ की खोज में है, तो आज का यह हमारा आर्टिकल आपके लिए उपयुक्त है. इस आर्टिकल में हम आपको खरगोश से जुडी कुछ कविताए लेकर आए है.
यह कविताए आपको खरगोश के स्वभाव तथा उसके जीवन को हमारे समक्ष सही ढंग से प्रस्तुत करेंगे. आज हम खरगोश पर विभिन्न शीर्षक वाली कविताएँ आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे है.
खरगोश पर कविता | Poem on rabbit in Hindi
खरगोश "राजेन्द्र पंजियार"
पशु पक्षी की दुनिया सचमुच
होती बड़ी निराली
उन्हें गौर से देख हमेशा
छा जाती खुशियाली
मैंने पाले थे पिंजड़े में
दो खरगोश निराले
उछल कूद वे खूब मचाते
खाते खूब निवाले
एक दूध सा था सफेद औ
दूजा था चितकबरा
पिंजड़े से जब बाहर रहते
देना होता पहरा
बिल्ली कहीं पहुँच जाए तो
उनकी कठिन सुरक्षा
वे भी भयवश चौकन्ना रह
करते अपनी रक्षा
उन्हें गोद में लेकर हरदम
रोएँ सहलाता था
उनको यह सुखकर लगता था
मैं भी सुख पाता था
हरी घास पर फुदक फुदक कर
बड़े चाव से खाते
थक जाते तो पिंजड़े में ही
घुसकर वे सुस्ताते
एक दिवस की बात भूल से
पिंजड़ा लगा न पाया
बिल्ली थी बस इसी ताक में
उनका किया सफाया
सुबह देख खाली पिंजड़े को
आँखे थी भर आई
थोड़ी सी गलती के कारण
उसने जान गँवाई
खरगोश पर कविता
नरम-गुदगुदा, व प्यारा-प्यारा,
जंगल के लिए आँखों का तारा।
नन्हा-नन्हा, प्यारा नटखट-चंचल,
ज्यों उड़े कपास का बादल।
दिन भर उछल-कूद करता हैं,
मस्ती की चौकड़ियाँ है,भरता।
लंबे-लम्बे कान, लाल है, उसकी आँखें,
हर आहट पर दुबके-दुबके झाँके।
झालर वाली पूँछ उठाकर,
घूमे आवारा खरगोश।
हरी दूब कुतर-कुतरकर खाता
यह बेचारा प्यारा खरगोश।
लक्ष्मीनारायण ‘पयोधि’
Poem on Rabbit in Hindi
दौड लगाता हैं ख़रगोश
प्यारा होता हैं ख़रगोश
अपनें हाथो मे लेतें ही
तुरन्त फ़िसलता है ख़रगोश
भोला होता हैं ख़रगोश
चुप्पी साध रहे ख़रगोश
हल्ला ना क़र दौड लगाए
फ़ुदक फ़ुदक भागे ख़रगोश
स्वच्छ धवल होता ख़रगोश
बहुत मुलायम है ख़रगोश
हमला क़रना उसें ना आता
दुब चबाता हैं ख़रगोश
दौड लगी क़छुआ ख़रगोश
आगे निक़ल गया ख़रगोश
ऐसें में झ़पकी लेनें से
पिछड गया हारा ख़रगोश
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प्रिय दर्शको उम्मीद करता हूँ, आज की हमारी कविताएँ खरगोश पर कविता | Poem on rabbit in Hindi आपको पसंद आई होगी यदि कविताएँ अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करें.
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