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कबूतर पर कविता | Poem on Pigeon in Hindi
एक कबूतर "पुष्प लता शर्मा"
मम्मी मम्मी देखो ऊपर
एक कबूतर बैठा छुपकर
बड़ी देर से हाँफ रहा है
सर्दी से वह काँप रहा है
उसको लाओ घर के भीतर
और जलाओ जल्दी हीटर
गर्माहट वो जब पाएगा
मेरे जैसा मुस्काएगा
पहना दो तुम उसको स्वेटर
उड़ जाएगा ऊँचे अम्बर
नन्ही सी जान और इतनी अकड़ फु
हैं नन्हीं सी ज़ान और इतनी अकक फु
गुटूर गु गुटूर गु गुटूर गु
जहां भी मिला दाना तिनक़ा ना छोडा
कबुतर का जोडा कबुतर का जोडा
उडे साथ दोनो तो देख़ो अदाए
कभीं ऊचे नीचें कभीं दाये बाये
फिज़ा झिलमिलाई जरा रुख़ जो मोडा
कबुतर का जोडा कबुतर का जोडा
कला बाज़िया कैसी ख़ाते है दोनो
जो तेजी से पर फ़ड़फड़ाते हैं दोनो
पर्दो की दमक जैसे बिज़ली का कोडा
कबुतर का जोडा कबुतर का जोडा
वो बच्चो को उडना सिख़ाने का फ़न
ऊचाई पर गोता लगाने का फन
है डर बिल्लियों का मगर थोड़ा थोड़ा
कबुतर का जोडा कबुतर का जोडा
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