Short Poem In Hindi Kavita

नाखून पर कविता | Poem on Nail in Hindi

 नाखून मियाँ

बेशर्मी की हद कर दी है
तुमने तो नाखून मियाँ

गया तुम्हारे कारण फिर मैं
टीचर से डाटा
जबके कुछ दिन पहले ही तो
था तुमको काटा
मुझे रुलाकर लगे समझने
खुद को अफलातून मियाँ

छीना झपटी में मुन्नी का
हाथ लगा मुंह पर
लगीं खरोचे तो फिर चुन्नू
रोया ऊँ ऊ कर
वजह तुम्ही थे फूट गया जो
गुड्डी का बैलून मियाँ

जितना काटों उतना बढ़ते
मनमानी करते
बेमतलब का काम बढ़ाते
नादानी करते
तुम्हें देखकर मन में बजती
है गुस्से की ट्यून मियाँ

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें