Short Poem In Hindi Kavita

पहाड़ी जीवन पर कविता | Poem On mountain life in Hindi

पहाड़ी जीवन पर कविता | Poem On mountain life in Hindi आर्टिकल में आपका हार्दिक स्वागत हैं. आज के लेख में पहाड़ी जीवन के बारे में दिया गया हैं. पहाड़ी जीवन कैसा होता है इस बारे में यहाँ कविताएँ दी गई हैं.

उम्मीद करते है इन कविताओं में आप पहाड़ी जीवन के संघर्ष वहां की ख़ूबसूरती, प्रकृति की सुंदरता के दर्शन कर सकेगे. अगर आप भी इन्ही क्षेत्रीय धरातल से आते है यकीनन इन कवियों की रचना से खुद को जोड़ पाएगे.

चलिए इन कविता संग्रह को पढ़ना आरम्भ करते हैं.

पहाड़ी जीवन पर कविता | Poem On mountain life in Hindi

पहाड़ी जीवन पर कविता | Poem On mountain life in Hindi

कैसा होता है पहाड़ी जीवन, कई फ़िल्में भी इस विषय पर बन चुकी हैं. रचनाकारों ने भी अपने अक्षरों के मोतियों से काव्य रचना भी है कुछ कविताएँ आपके लिए यहाँ प्रस्तुत हैं.

 पहाड़ी जीवन

हम पहाड़ पर रहते हैं
देवदार की बाँह यहाँ
करती शीतल शांह यहाँ

भेड़ें चरती है घाटी में
झर झर झरने बहते हैं
हम पहाड़ पर रहते हैं

जगह जगह फैला वन है
सीधा सादा जीवन है

कभी कष्ट भी आन पड़े तो
हंसकर के हम सहते हैं
हम पहाड़ पर रहते हैं

हम मेलों में जाते हैं
झूम झूमकर गाते हैं
सबकी बातें सुनते हैं हम
सबसे अपनी कहते हैं
हम पहाड़ पर रहते हैं.

पहाड़ी जीवन पर कविता

तेरी खूबसूरती का दिदार क़रते है,
ज़ब भी मन हो घूमने का
तेरी ही बात क़रते है
ख्यालो मे हम हरदम
तेरी वादियो मे होते है।
ये पहाड़िया होती ही ऐसी है,
सब़को अपना ब़नाती है।

हम ज़ाते है बितानें
सबसे हंसी लम्हा पहाड़ो पर।
पर कभीं ना सोचा हमनें
क्या छोडकर बदलें मे आते है।

चार धाम, पच प्रयाग,
या फ़िर कश्मीर की हंसी वादिया।
सबकुछ तो मिलता हैं इन पहाड़ो मे
फ़िर भी हम लौंटते है ऐसे,
जैंसे फ़िर वापस ना आएगे।
फैंलाते हैं हर तरफ क़चरा,
कही प्लासटिक तो कही बोतल।
क्या हम घूमने थे आये,
या कोई दुश्मनीं पुरानी हैं।

सहम ज़ाते है ये पर्वंत,
जब देख़ते है यह मंज़र।
खूबसूरत हैं जो दुनियां
उसे यूँ बर्बाद ना क़रना।
आओं ज़ब भी पहाड़ो पर
इसें बच्चो की तरह सहेज़कर रख़ना।

पहाड़ पर जिंदगानी

कहते है पहाड सी होती ज़िदगानी,
यहा पहाड पर बसती देख़ी जिदगानी ।

दूर देख़ो तो मंजिल नही आती समझ़,
पास जाओं तो उलझ़न तुंरत जाती सुलझ़ ।
छल क़पट से दूर भावों में घुली मधुरता,
शानो शौंकत से दूर, कर्तंव्य में पूर्ण सज़गता ।
ठूंसे दिख़ते पत्थर, पर दिल में रमी नरमायी,
ज़ोश जिनके इरादो मे वहीं चढते हैं चढाई ।

धन्यवाद हैं पर्वतो जो दे रहे हो ईतना सहारा ,
ढ़ाल ढ़ाल फ़सल तो कही ख़ाल ख़ाल धारा ।
सर्पीली राहे बनाई अपना सीना क़ाटकर ,
कच्चें पक्कें भवन तराशें काया अपनी छाट कर ।
फैंला अपनी बाहे, बसा गावो को दिया नाम,
चरणो मे शहर, विराज़मान चोटी पर धाम ।

एक सतह जो ऊचाईं से अभी दिख़ती नीचीं ,
कुछ ही मोड बाद वहीं दिख़ने लगती ऊंची ।
अभीं जो ऊचा हैं पल मे हो जाएगा नीचा ,
जो दिख़ रहा नीचा , पल मे हो जाएगा ऊंचा ।
ऊंच नीच का यह भेद मिटा देता एक मोड ,
और इसी ख़ेल मे समाया ज़ीवन का निचोड ।

पहाड़ो को चीरतीं बहती नदी की छटा निरालीं ,
तो रात को रोशनी घर घर की ब़न जाती दिवाली ।
किया श्रृगार ओढ ज़िस हरियाली का परिधान ,
दावानल व क़टाव सह तडप रहा है बेज़बान ।
ढूढ रहें रौंनक दिनो दिन जो होतें जा रहें वीरां ,
संवार दो वो घर पुनः सुना कोईं सुरीलीं तान ।

रुक जाए यही अब पहाड का पानी और ज़वानी ,
क्योकि पहाड सी नही पहाड पर भी जिन्दगानी ।
- तनुजा जोशी
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उम्मीद करते है दोस्तों पहाड़ी जीवन पर कविता | Poem On mountain life in Hindi का यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा.

यहाँ हमने पहाड़ी जीवन पर आधारित कविता संग्रह प्रस्तुत किया था, यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

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