पहाड़ी जीवन
हम पहाड़ पर रहते हैं
देवदार की बाँह यहाँ
करती शीतल शांह यहाँ
भेड़ें चरती है घाटी में
झर झर झरने बहते हैं
हम पहाड़ पर रहते हैं
जगह जगह फैला वन है
सीधा सादा जीवन है
कभी कष्ट भी आन पड़े तो
हंसकर के हम सहते हैं
हम पहाड़ पर रहते हैं
हम मेलों में जाते हैं
झूम झूमकर गाते हैं
सबकी बातें सुनते हैं हम
सबसे अपनी कहते हैं
हम पहाड़ पर रहते हैं.
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