Short Poem In Hindi Kavita

मच्छर पर कविता | Poem on Mosquito in Hindi

 मच्छर "लक्ष्मी खन्ना सुमन"

घिरे अँधेरा आते मच्छर
कानों में कुछ गाते मच्छर

कितना ही हम ढक ले खुद को
पर हमला कर जाते मच्छर

खुद तो दिन भर सोते रहते
रातों हमें जगाते मच्छर

अपना ही खा जाते थप्पड़
गाल काट उड़ जाते मच्छर

ठहरे पानी वाले घर में
लेकर डेंगू आते मच्छर

हवा धूप, हो खूब सफाई
वरना सुई लगाते मच्छर

सुमन सरीखे बच्चों का भी
खून चूस मुटियाते मच्छर

समझ जा मच्छर !

जूजूजू कर मच्छर बोला
काटा हाय समझ के भोला
अगर पकड़ लूं मैं भी तुमको
छेड़ूँ तुमको थोड़ा थोड़ा ?

हर जगह पैदा हो जाते
जब देखो तब हमें सताते
बहुत बेसुरा गाना गाते
सोते सोते हमें जगाते

कभी कभी तो हद कर देते
बीमारी का दुःख दे देते
क्या माँ ने यह नहीं सिखाया
दुःख किसी को कभी ना देते

जल्दी से अब समझ जा मच्छर
वरना तू ही पछताएगा
गुस्से में जो पकड़ लिया तो
पिट्टी बहुत बहुत खाएगा

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