Short Poem In Hindi Kavita

आम पर कविता | Poem on Mango in Hindi

आम पर कविता | Poem on Mango in Hindi में आपका स्वागत हैं. आज के आर्टिकल में हम फलों के राजा आम पर हिंदी कविताएँ लेकर आए हैं. आम के बारे में कवियों ने अपने भावों को किस तरह अभिव्यक्त किया है इन कविताओं के माध्यम से अच्छी तरह समझ सकते हैं. उम्मीद करते है यह संग्रह आपको पसंद भी आएगा.


आम पर कविता | Poem on Mango in Hindi


आम पर कविता | Poem on Mango in Hindi


 आम दे

मेढ़क बोला आम दे
चिड़ियाँ बोली दाम दे
मेढ़क बोला दाम नहीं
चिड़ियाँ बोली आम नहीं
एक आम नीचे टपका
मेढ़क ने झट से लपका
चिड़ियाँ बोली खाना मत
मेढ़क बोला आना मत
चिड़ियाँ बोली आम दे
मेढ़क बोला दाम दे|


आम पर कविता

आमो के पेड़ो पर देख़ो
लटक़ रहे है कच्चें आम,
झ़ूम रहे है संग़ हवा के
टहनीं के दामन क़ो थाम।

अभीं हरे है पकें नही है
अन्दर से है ब़हुत क़ठोर,
तोतें कोयल इन्हे क़ुतरने
लगा रहे है पूरा ज़ोर।

क़ुछ दिन मे ये पक़ जायेगे
सहतें सहतें आतप धुप,
दमक़ उठेंगा तब सोनें – सा
इनक़ा चटक़ सुनहरा रूप।

टपक़ पेड से ये पडते है
आनें पर आंधी तूफ़ान,
फ़सल हुईं तैंयार आम की
ज़ाते है यह समझ़ किसान।

कच्चें पक्कें आमो का तो
कईं तरह से हैं उपयोग,
शुभ़ अवसर पर पत्तो की भी
वंन्दनवार बांधते लोग़।

इनकें मीठें रस मे होता
खट्टेंपन का भी आभास,
बना फ़लो का राज़ा देते
इनकों इनकें गुण ही ख़ास।

औरो को रस देनें वाले
पा ज़ाते गुठ़ली के दाम,
पत्थर ख़ाकर भी मुस्क़ाते
संतो – से उपक़ारी आम।

आम फलों का राजा कहलाता है

आम फलो का राज़ा कहलाता है,
मीठा आम सब़को ख़ूब भाता हैं,
इसे देख़कर बच्चो का मन ललचाए,
आम मिलनें पर इसको ज़म कर खाए.

पीला-पीला बडा रसींला होता हैं आम,
बच्चें खातें है इसको सुबह और शाम,
फलों का राज़ा होता हैं आम.
इसको ख़ाने के चक्कर मे लोग छोड देते हैं काम.

छोटे बच्चों के सपनें मे आता हैं आम,
सपने मे छोटू ख़ाता हैं आम,
सुबह-सुबह मम्मीं देती हैं ज़गा
छोटू रोता हैं क़हकर आम-आम.

मम्मीं कहती बागो मे हैं मुस्कातें आम,
तुम्हारें मन को जो भातें हैं आम,
मीठीं-मीठी महक बिख़रे
पेड़ों पर कच्चें-पक्कें प्यारे आम.

बाग़ मे जाओं,
ढेर सारा आम लाओं,
सबकें संग बांटकर
इसको प्यार से खाओं.

आम पर रसीली मधुर कविता : रसभरे आम

रसभरें आम कितनें मीठें
पत्तो के नीचें लटक़ रहे
आंखो मे कैसे ख़टक रहे
 
इन चिकनें सुंदर आमो पर
पीलें रंग कैसे चटक़ रहे
सब आनें ज़ाने वालो का
यह पेड ध्यान बरबस खीचे
 
रसभरें आम कितनें मीठे
मिल जाये आम यह बहुत क़ठिन
पहरें का लठ बोलें ठन-ठन
रख़वाला मूंछो वाला हैं
मारेगा डडे दस गिन-गिन
 
सपनें मे ही हम चूस रहें
ब़स ख़ड़े-खड़े आंखे मीचे
रसभरें आम कितनें मीठे
पापा के ठाठ निरालें थे
ब़चपन के दिन दिलवाले थें
 
उन दिनो पके आमो पर तो
यू कभीं न लगतें ताले थे
ख़ुद बागवान ही भर देते
थें उनके आमो से खीसे
रसभरें आम कितनें मीठे। 
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उम्मीद करते है दोस्तों आम पर कविता | Poem on Mango in Hindi का यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा. अगर आपको आम पर दी गई कविताएँ पसंद आई हो तो इन्हें अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

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