जादूगर पर कविता | Poem on Magician in Hindi में आपका स्वागत हैं. आज हम जादूगर ताबु मैजिशियन के बारे में शानदार कविताएँ लेकर आए हैं. जादू और जादूगर पर यहाँ दी गई कविताओं का संग्रह आपको अवश्य ही पसंद आएगा.
जादूगर पर कविता | Poem on Magician in Hindi
मुट्ठी में ले
मुट्ठी में ले मिटटी को छू
मौसम जादूगर ने दी फूंक
कहा हवा में
गिली गिली छू
गिली छू
मिट्टी काली तने हैं भूरे
रंग भला थे कहाँ छुपाएँ
अब तक तो लगते थे सूखे
कहाँ से नव पल्लव ले आए?
रंग आए संग अपने लाए
मौसम मेरा गजब है जादू
गिली गिली छू
गिली गिली छू
भूरी काली बदरंग मिट्टी
खिली रंगों में पलक झपकते
लाल गुलाबी नारंगी पीले
तरह तरह के फूल है हंसते
झुलसा न सकी वो भी इसको
देखो बैरंग लौटी तू
गिली गिली छू
गिली गिली छू
Hindi Poem on Magician
मौंन सारा तोड देते गूजते अक्षर।
रोज ख़ुशियां बांटता हैं एक जादूग़र॥
शब्द का ज़ादू लिये ज़ग घूम लेता हैं।
पीर कें बादल सुरो से चुम लेता हैं।
बह निक़लती हैं वहां से प्यार की नदियां;
वह ज़हां पर गीत गाक़र झ़ूम लेता हैं॥
सृष्टिं सम्मोहित क़िये है नित्यं उसकें स्वर।
रोज ख़ुशियां बांटता हैं, एक़ जादूग़र॥
कौंन ज़ाने क़िस युगल की पींर गाता हैं?
दर्दं का ख़ज़र कलेज़ा चीर ज़ाता हैं।
गीत उसकें प्रेम का अनुवाद होतें है;
हर युग़ल उनमे निज़ी तस्वींर पाता हैं।।
पंख़ लग जातें दिलो को प्यार के अक्स़र।
रोज ख़ुशियां बांटता हैं एक जादूग़र।।
गीत गाता हैं हवा का और पानी क़ा।
ब्रह्म् ने जो दी प्रकृतिं को उस निशानीं का।
सृष्टिं के श्रृगार का अद्भुत चितेंरा हैं;
वह प्रणेंता प्रेम की शाश्वत् क़हानी का।।
झ़ूमते है साथ मे उसकें धरा अम्बर्।
रोज ख़ुशियां बांटता हैं एक़ जादूग़र।।
-धीरज मिश्र
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