Short Poem In Hindi Kavita

जंगल पर कविताएँ | Poem on Jungle in Hindi

 जंगल की सैर

जग की हलचल तज उस ओर
जहाँ बसा है जंगल घोर
आओ आज वहां घूमेंगे
खुशियों में भरकर झूमेंगे

घने घने वन बने जहाँ पर
तरु समूह हैं तने जहाँ पर
जहाँ झाड़ियाँ खड़ी हुई हैं
पग पग बेलें पड़ी हुई हैं.

पथ है जहाँ बनाना मुश्किल
आदि अंत कुल पाना मुश्किल
जिसके भीतर जाना मुश्किल
जाकर के फिर आना मुश्किल

जंगल यह पशुओं का घर है
राजा जिनका शेर बबर है
कभी कभी जब वह दहाड़ता
आसमान के कान फाड़ता

इधर खड़ा है देखो चीता
झरने के तट पानी पीता
इसके तन पर काली धारी
यह है हिंसक मांसाहारी

देखों इधर तेंदुआ आता
बिल्ली का वंशज कहलाता
बिल्ली इसकी नानी लगती
किंतु देखते ही है भगती

हाथी सूंड उठाते हैं ये
ढेरों खाना खाते हैं ये
मस्त चाल से जाते हैं ये
वन में रौंद मचाते हैं ये

झाड़ी के अंदर खामोश
देखों बैठा है खरगोश
टूंग टूंग खाता है घास
कभी नहीं आता है पास

उधर हिरन भागे जाते है
चंचल ये मृग कहलाते हैं
पतली पतली इनकी टाँगें
कभी चौकड़ी कभी छंलागे

सुंदर इनके नयन सलौने
प्यारे लगते इनके छौने
सीधे सादे भोले भाले
जो भी चाहे इनको पाले


जंगल पत्र

शेरू जी ने जोश जोश में
जंगल पत्र निकाला
मगर तुरंत ही पड़ा प्रेस पर
भारी भरकम ताला

हाथी का आलेख छपा था
चीते की कविताएँ
मस्त चुटकले बन्दर के भी
सांभर की हंसिकाएं

नीलगाय की नई कहानी
मौलिक गीत हिरण के
पाठक पढ़ते रहे ख़ुशी से
भाव सभी के मन के

तभी लोमड़ी आई दौड़ी
रो रोकर चिल्लाई
हाय, रीछ ने मेरी रचना
अपने नाम छपाई

सुनकर भड़के वन्यजीव सब,
हंगामा कर डाला
बस, फिर क्या, जड़ दिया उन्होंने
प्रेस भवन पर ताला


जंगल में क्रिकेट "निशांत जैन"

जंगल में भी फ़ैल रहा था सचमुच क्रिकेट बुखार
लोमड़ हाथी भालू बिल्ली सब पर चढ़ा खुमार

जंबो हाथी अम्पायर थे चेहरे थे सब खिलते
छक्का लगने पर जब जंबो खड़े थे हिलते

लोमड़ ने तरकीब निकाली, खोजी अद्भुत चाल
बना दिया कीपर भालू को, कैसे निकले बॉल

देख मैच राजा के भीतर जागा जोश अनोखा
छीन बैट अड़ गये क्रीज पर, दिया सभी को धोखा

किसकी हिम्मत इतनी जो राजा को आउट कराएं
उड़ा के गिल्ली शेरसिंह को पवेलियन भिजवाएं

शेरसिंह ने मजे मजे में छक्के खूब जमाए
डबल सेंचुरी जमा के भैया, सबके होश उड़ाएं

बोला बंदर बॉल मुझे दो, इसकी ऐसी तैसी
राजा होगा राजनीति में, यहाँ हेकड़ी कैसी?

बंदर ने जो स्विंग कराकर, बॉल एक बार घुमाई
विकेट के पीछे तीन गिल्लियाँ अलग ही नजर आई

बल्लू बंदर की हिम्मत की देनी होगी दाद
शेरसिंह को सब सिखाकर उसे दिलाई नानी याद


जंगल में मोबाइल

जंगल में मोबाइल आया
बंदर उसे शहर से लाया
बातें करके उस पर उसने
जानवरों पर रौब जमाया

मिली शेर को खबर, तुरंत ही
उसने बंदर को बुलवाया
पूछा फिर उसने बंदर से
चीज शहर से तू क्या लाया

बंदर ने मोबाइल दिखला
उसके सारे गुण बतलाए
शेर खुश हुआ आर्डर देकर
ढेरों मोबाइल मंगवाए

बोला शेर किसी सूरत में
जंगल पीछे नहीं रहेगा
दुनिया अगर बढ़ेगी आगे
वह भी उसके साथ बढ़ेगा

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