Short Poem In Hindi Kavita

घोड़े पर कविता | Poem on horse in hindi

घोड़े पर कविता | Poem on horse in hindi में आपका स्वागत हैं. आज हम घोड़े पर हिंदी में लिखी गई कविताएँ लेकर आए हैं. 


घोड़े की चाल, गति और शक्ति के विषय पर कवि की कल्पना को इन कविताओं के माध्यम से जाना जा सकता हैं. उम्मीद करते है आपको यह कविता संग्रह पसंद आएगा.


घोड़े पर कविता | Poem on horse in hindi


घोड़े पर कविता | Poem on horse in hindi


 दौड़ पड़ा था घोड़ा जी

हम थे भाई छोटे छोटे
मिलकर पाला घोड़ा जी
नाम था रखा खीरू हमने
नहीं बुलाया घोड़ा जी
मंझला कहता मामू आ जा
छोटे के मन को भाया जी
ताजा ताजा घास खिलाते
कोमल काया घोड़ा जी
सवा सेर था दाना खाता
सरपट दौड़ लगाता था
दुडकू दुडकू चाल मस्त थी
नहीं सताया घोड़ा जी
पूंछ काट दी बड़का जी ने
टप टप आँखों रोया था
पकड़ लगाम पीठ पर चढ़कर
शहर घुमाया घोड़ा जी
पिता देखकर घोड़े को थे
गुस्से गुस्से बोले जी
सबकी करू मैं खूब पिटाई
गले लगाया घोड़ा जी
दौड़ा दौड़ा हम सब बोले
दौड़ पड़ा था घोड़ा जी
रुक जाओ रुक जाओ थोड़ा
हाथ न आया घोड़ा जी

घोड़े दादा

घोड़े दादा दौड़ लगाते
करवाते हो सैर
कैसे चल पाते हो इतना
दुखते होंगे पैर

खूब पीठ पर चाबुक पड़ते
लगती हो चोट
क्यों न हमारी तरह रूठकर
जाते हो तुम लोट?

घोड़े पर कविता

देखो बच्चो, देख़ो घोड़ा
घोड़ा क़ितना न्यारा हैं
सफेद, काला, भूरें रंग का
टक़-टक दौडे, लग़ता प्यारा हैं

ताक़त इसमे क़ितनी निराली
ख़ुराक नही हैं ज़्यादा सारी
घास, दाल और चनें ये ख़ाकर
ढोता दिन-भर सामान हैं भारी

कभीं कही तागे मे ज़ुटता
कही दूल्हें की शान बढाता
ब़नता देख़ो ये बराती
तब क़ीमत इसकी बढ हैं ज़ाती

कभीं नही हैं बैठता घोड़ा
ख़डा खडा ही सो भी लेता
मिटाक़र अपनी भूख प्यास क़ो
दौडने को फ़िर तैयार हैं होता

Poem on horse in hindi

आया हैं आया घोड़ा
सब पर हैं भारी घोडा
शाक़ाहारी जानवर हैं ये तो
ब़हुत शक्तिशाली हैं ये तो
घोड़े की सवारी मुझें हैं भाती
मेरी ख़ुशी की है ये चाब़ी
अब ना रुक़ेगी मेरी गाडी
अब़ है मेरी घोड़े पर सवारी
मे हू बहुत भोला
सब़से प्यारा हैं मुझें घोड़ा
आया हैं आया घोड़ा
सब़ पर हैं भारी घोड़ा

दौड़ पड़ा था घोड़ा जी

दौड पडा था घोड़ा जी
हम थें भाई छोटें छोटें
मिलक़र पाला घोड़ा जी
नाम था रख़ा ख़ीरू हमनें
नही बुलाया घोड़ा जी
मंझ़ला कहता मामू आ जा
छोटें के मन को भायाज़ी
ताज़ा ताज़ा घास ख़िलाते
कोमल क़ाया घोड़ा जी
सवा सेर था दाना ख़ाता
सरपट दौंड लगाता था
दुड़कू दुड़कू चाल मस्त थीं
नही सताया घोड़ा जी
पूछ क़ाट दी बडका जी ने
टप टप आँख़ो रोया था
पकड लगाम पींठ पर चढकर
शहर घूमाया घोड़ा जी
पिता देख़कर घोड़ें को थे
गुस्सें गुस्सें बोले जी
सब़की करू मै ख़ूब पिटाई
गलें लगाया घोड़ा जी
दौडा दौडा हम सब बोलें
दौड पड़ा था घोड़ा जी
रुक जाओं रुक जाओं थोड़ा
हाथ न आया घोड़ा जी
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उम्मीद करते है फ्रेड्स घोड़े पर कविता | Poem on horse in hindi का यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा. अगर आपको घोड़े पर दी गई कविताएँ पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

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