Short Poem In Hindi Kavita

हड़ताल पर कविता | Poem on Hadtal in Hindi

 कर दो हड़ताल "योगेन्द्रकुमार लल्ला"

कर दो जी, कर दो हड़ताल
पढ़ने लिखने की हो टाल
बच्चे घर पर मौज उड़ाएं
पापा मम्मी पढ़ने जाए

मिट जाए जी का जंजाल
कर दो जी, कर दो हड़ताल

जो न हमारी माने बात
उसके बांधों कस कर हाथ
कर दो उसको घोटम घोट
पहनाकर केवल लंगोट

भेजो उसको नैनिताल
कर दो जी, हड़ताल

राशन में भी करो सुधार
रसगुल्लों का हो भरमार
दो दिन में कम से कम एक
मिले बड़ा सा मीठा केक
लड्डू हो जैसे फुटबाल
कर दो जी, कर दो हड़ताल

हम भी सब जाएंगे दफ्तर
बैठेंगे कुर्सी पर डटकर
जो हमको दे बिस्कुट टोफी 
उसको सात खून की माफ़ी

नल की हड़ताल "वीणा भाटिया"

अपनी दशा उदास बनाए
चौराहे पर मुंह लटकाए
आज सुबह से नल था मौन
पता नहीं था कारण कौन?

मैंने पूछा तनिक पास से
भैया दीखते क्यों उदास से
बोले क्या बतलाऊं तुमको
रोज सहन करता हूँ मार

कान ऐंठता जो भी आता
टांग बाल्टी मुझे सताता
लड़ते मेरे पास खड़े हो
बच्चे हों या मर्द बड़े हो

नहीं किसी को दूंगा पानी
इसलिए हड़ताल मनानी
पास रखी बोली तब गागर
हम हैं रीते तुम हो सागर

जल्दी प्यास बुझाओ मेरी
सोच रहे क्या कैसी देरी
नली को दया घड़े पर आई
पानी की झट धार लगाई

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