मीठे है अंगूर "तरुण कुमार दाधीच"
एक लोमड़ी जंगल में
कर रही थी विहार
लटके थे अंगूर बेल पर
देखा, किया विचार
पाने को अंगूर उसने
लम्बी छलांग लगाई
फिर उठकर उछली
नई तरकीब लगाई
कई बार गिरकर भी
उसने हार नहीं मानी
अंगूरों को पा लेने की
गहरी मन में ठानी
गुजरा एक भालू पास से
उसको आवाज लगाई
भालू पर बैठ उछलकर
फिर एक छलांग लगाई
तोड़कर अंगूर का गुच्छा
लोमड़ी हर्ष से मुस्काई
कहाँ पर हैं अंगूर खट्टे?
कहावत को झुठलाई
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