जिद्दी पोता "आर पी सारस्वत"
मैं बाबा का जिद्दी पोता
रहता एठा ऐठा
अपने जन्म दिवस पर उनसे
मैं ये जिद कर बैठा
मैंने देखा था कुम्हार को
साथ गधे के जाते
मिट्टी के बर्तन गमले सब
लाद हाट ले जाते
मैं बोला बाबा से मुझको
एक गधा दिलवाना
मेरे जन्म दिवस को अबके
हटकर जरा मनाना
बाबा के संग पूरे घर में
गूंजा एक ठहाका
सुनकर इतना शोर, हो गया
मैं तो हक्का बक्का
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