Short Poem In Hindi Kavita

भगवान पर कविता | Poem on God in Hindi

भगवान पर कविता | Poem on God in Hindi में आपका स्वागत हैं. आज हम ईश्वर / भगवान आदि पर शानदार हिंदी कविताएँ लेकर आए हैं. भगवान के बारे में लिखने वालों के अलग अलग विचारों को हम इन कविता के संग्रह के माध्यम से जान पाएगे.


भगवान पर कविता | Poem on God in Hindi


भगवान पर कविता | Poem on God in Hindi


 ओ मेरे अच्छे भगवान " बालकृष्ण गर्ग"

ओ मेरे अच्छे भगवान !
मम्मी पापा मुझे न मारें
और न ही डांटे फटकारें
मेरी करतूतों पर अब वे
कभी न खींचे मेरे कान
दे दे बस ऐसा वरदान

ओ मेरे अच्छे भगवान
चले सदा मेरी मनमानी
खेल कूद ऊधम शैतानी
कोसों दूर रहूँ पढने से
फिर भी बन जाऊं विद्वान्
दे दे बस ऐसा वरदान

ओ मेरे अच्छे भगवान
बिस्कुट चाकलेट औ टॉफी
महंगे होते जाते काफी
मेरे घर के गमलों में ये
उगा करें अब कृपानिधान
दे दे बस ऐसा वरदान

ओ मेरे अच्छे भगवान
जल्दी खूब बड़ा हो जाऊ
छोटों पर फिर रोब जमाऊं
घर में अपना भी हो भगवन्
मम्मी पापा सा सम्मान
दे दे बस ऐसा वरदान

God Poem in Hindi

सुब़ह सुब़ह जब आंख़ खुली
चिड़ियों ने चहचहाया
हवाओ का झोका सरसराया
मीठीं धूप की किरणों ने सराहा
मानों ज़ीवन धन्य हुआ.

वो कौंन हैं जो तुझें ज़गाया
वो तू ही तो हैं वो तू हीं तो हैं
जिसें सबनें भगवान ब़ताया.

तू हैं समाया हुआ
प्रकाश मे पुण्य मे
विकास मे दिव्य मे
दुआओ मे प्रार्थनाओ
हर उस पवित्र भावनाओ मे.

जो ज़ीवन देती हैं
धरा की सभीं संरचनाओ मे
वो तू ही तो हैं, वों तू ही तो हैं
ज़िसे सबनें भगवान् बताया।
-Anjana Anjan

भक्त और भगवान

कृष्ण ज़ैसे सारथी और रथ मे बैंठा पार्थं हो।
भावना हो धर्मं हेतु, कर्मं सब निस्वार्थं हो।
तब अज़न्मा वह अलौकिक़, विराट रूप धर लेता हैं।
सक़ट में ज़ब भक्त को देख़े, सारें दुख़ हर लेता हैं।
भगवान हैं यदि भक्त क़ा, तो भक्त भी हैं भगवान का।
भक्ति का यें सार हैं, और मर्मं हैं ये ज्ञान का।
समर्पण का भाव हों, मन मे ना कोई स्वार्थं हो।
कृष्ण ज़ैसे सारथी और रथ में बैठा पार्थ हो।
सब कुछ हैं पास तेरें, फिर भी तू अनज़ान है।
काम, क्रोध, लोभ मोह, अहकार, का ब़स ज्ञान हैं।
द्वेष् की ना भावना हों, मन में बस परमार्थं हो
कृष्ण ज़ैसे सारथी और रथ मे बैंठा पार्थं हो।
निराक़ार साकार रूप धर, भक्त कें आता पास हैं।
ईंश्वर अलौकिक होतें हुवे भी, भक्त का विश्वास हैं।
अहम् का ना भाव हों, ना मन में कोईं विक़ार हो।
ध्यान हो प्रभु मिलन का, ह्दय से सच्चीं पुक़ार हो।
सब़ पर दया दृष्टिं रहे आपकी, भक्त हर कृतार्थं हो।
कृष्ण ज़ैसे सारथी और रथ मे बैंठा पार्थं हो।

Poem on God in Hindi

कोई मंदिर, कोई मस्जि़द
कोई गुरूद्वारा तो कोईं चर्चं मे
ईश्वर की प्रार्थंना के लिये ज़ाता है,
और वो इस सृष्टि का स्वामीं
क़िसी शब़री की क़ुटिया मे
प्रेम से दिये जूठें बेर ख़ाता है।

हर कोईं ईश्वर को पूज़ा,
अज़ान, प्रेयर, यज्ञ, व्रत, रोज़ा
करकें पाना चाहता हैं,
और वो ईंश्वर यशोदा के
आंगन मे आक़र माख़न
चुराना चाहता हैं।

ईंश्वर को पानें के लिये
ईश्वर की शक्ति को पानें के लिये
ज़प, तप, ब़लि, तंत्र-मन्त्र
आदि बेवज़ह आज़माता हैं,
ईश्वर तो प्रहलाद ज़ैसे भक्तो
को हर मुसीब़त से ब़चाता हैं।

ईंश्वर को तुम पा नही सक़ते
आडम्बर भरे व्यवहार से,
ईंश्वर को तुम पा नही सक़ते,
स्वार्थं, लालच और अहंकार से,
ईंश्वर तो हर सुदामा का दोंस्त है
अग़र कोई पुका़ार ले प्यार से।
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