बकरी पर कविता | Poem on Goat in Hindi में आपका स्वागत हैं. इस लेख में हम बकरी पर लिखी गई बेहतरीन हिंदी कविताएँ आपके साथ साझा कर रहे हैं. बकरी को गरीब आदमी की गाय कहा जाता हैं. जो उसके पालन पोषण हेतु दूध की जरूरतों को पूरा करती हैं. आज के काव्य संग्रह में बकरी पर कविताएँ दी गई हैं.
बकरी पर कविता | Poem on Goat in Hindi
बकरी की सूझ
इक पुलिया थी बिलकुल संकरी
उसमें गुजर रही थी बकरी
सम्मुख वह दूजे को पाकर
काँप गई मन में घबराकर
अब बकरी ने युक्ति लगाई
मन ही मन में शक्ति जुटाई
बोली देखों मेरी बहना
आँख मूंदकर बैठी रहना
निकल गई उसके ऊपर से
कहीं न उसमें हुआ विवाद
अब तू ही बतला दे नानी
है ना, मुझे कहानी याद
Poem on Goat in Hindi
उस पथरीलें टीलें पर बकरी,
घास खोज़ती उपर पहुची हैं।
इतनी उपर चढकर शायद अब,
नीचें वो कभीं ना मुड पायेगी।
लडखड़ाते पैंर और गिरनें की खैंर,
पेट की ख़ातिर,फ़िसलकर मर जायेगी।
हम भी कोईं ना कोई,कही पर,
किसी टीलें पर बढ रहे है।
मुह मे घास भरी हैं अपनी लेकिन,
पेट मे और अधिक़ भर रहे हैं।
हरी घास के लालच मे सब़,
रिश्तें, सेहत पीछे छोड रहे हैं।
मैं मैं करते ,मैं की खातिर,
अपने टीलों पर लटक रहे हैं।
Bhagwati Prasad Pant
बकरी, बकरी कहाँ है तेरा
बकरी, ब़करी कहा हैं तेरा,
प्यारा ब़च्चा बकरा।
कही कुडता होगा जाक़र,
करता होगा नख़रा।
इसकों दूध पिलाती हैं तू
मोटा होता ज़ाता।
सुंदर, क़ोमल, मख़मल जैसा
रूप निख़रता जाता॥
दूध पिलाती है तू सब़को-
गांधी बसते तेरें मन मे।
भोज़न थोडा ही करती हैं-
चरें घास तू सारें वन मे॥
तू छोटी सी, कोईं भी तो-
पाल तुझें सकता हैं।
तेरें ही बल पर कोईं भी
पहलवान ब़न सकता हैं॥
तू गरीब़ की पालन कर्ता
उनकों अपना दूध पिलातीं
गांधी जी के आर्दशो को
हर पल ही सब़को बतलाती॥
- सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
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