बकरी की सूझ
इक पुलिया थी बिलकुल संकरी
उसमें गुजर रही थी बकरी
सम्मुख वह दूजे को पाकर
काँप गई मन में घबराकर
अब बकरी ने युक्ति लगाई
मन ही मन में शक्ति जुटाई
बोली देखों मेरी बहना
आँख मूंदकर बैठी रहना
निकल गई उसके ऊपर से
कहीं न उसमें हुआ विवाद
अब तू ही बतला दे नानी
है ना, मुझे कहानी याद
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