Short Poem In Hindi Kavita

बिजली पर कविता | Poem on Electricity in Hindi

बिजली पर कविता | Poem on Electricity in Hindi लेख में आपका स्वागत हैं. आज के लेख में हम विद्युत् यानी बिजली पर कविताएँ आपके साथ शेयर कर रहे हैं. उम्मीद करते है यह कविता संग्रह आपको पसंद भी आएगा.

हमारे जीवन में बिजली का बड़ा महत्व हैं. बिना विद्युत् के एक दिन भी बिताना बहुत मुश्किल हो जाता हैं. मोबाइल फोन से लेकर सारे गैजेट्स इलेक्ट्रिसिटी पर निर्भर करती हैं.

हमारे जीवन में लाइट का क्या महत्व है बिजली बचाने की आवश्यकता क्यों है इन सभी विषयों पर यहाँ अलग अलग कवियों की रचनाएं दी गई हैं.

बिजली पर कविता | Poem on Electricity in Hindi

बिजली पर कविता | Poem on Electricity in Hindi

यहाँ बिजली के बारे में छोटी बड़ी और रोचक बाल कविताएँ दी गई है, आशा करते है यह आपको बहुत पसंद भी आएगा.
 बहुत हुआ अब

बिजली रानी
बहुत हुआ अब
छोड़ो आना जाना

सोचो, सर पर
इम्तहान है
गरमी करती
परेशान है,

पंखे कूलर
बंद करा के
नहीं कयामत ढाना

तुमको क्या
तुम चली अचानक
हम भुगतें
परिणाम भयानक

इधर मेज पर
प्रेस अधूरी
उधर किचन में खाना

थोड़े दिन जो साथ निभाओ
सच्ची खूब
दुआएं पाओ

बारिश के आते ही फिर से
नखरे भले दिखाना

कहाँ गई बिजली


मम्मी, बिजली कहाँ गई है
उसको जरा बुलाओ न
इस गर्मी में जाती क्यों है
उसको डांट लगाओ ना
देखो कितना हाल बुरा है
मेरा गर्मी के मारे
हुआ पसीने से मैं लथपथ
भीग गए कपड़े सारे
दफ्ती लेकर हवा डुलाते
दर्द हो गया हाथों में
बिजली जाने कहाँ मरी है
कहाँ लगी है बातों में

बिजली रानी


वाह वाह भई बिजली रानी
तुम भी करती हो मनमानी
एक बार क्या चली गई फिर
आने में बस आनाकानी
जन्म दिवस था मेरा उस दिन
केक काटने वाला था
पूरा घर था जगमग जगमग
सभी ओर उजियारा था
यार दोस्त सब पहुँच गये थे
घर पर सबका खाना था
मम्मी पापा मस्त मग्न थे
चाचा को बस आना था
सजे हुए गुब्बारों के संग
सब मेहमान हमारे खुश थे
लगता नीले आसमान में
सारे चाँद सितारे खुश थे
इधर उधर मैं दौड़ रहा था
केक रखा था आंगन में
चाक़ू लेकर पास गया तो
देख तुम्हे घबराया मन में
लुका छिपी का खेल तुम्हारा
पहले तो मैं समझ न पाया
लेकिन यह क्या, चली गई तुम
फिर तो सबने शोर मचाया
चली गई तुम फिर न आई
लौटी हो दस घंटे बाद
कहाँ रही, क्या क्या कर डाला
भूल भाल सारी फरियाद
वादा करो नहीं जाओगी
हंसी ख़ुशी के अवसर पर
दिन और रात रहोगी संग संग
तभी लगोगी तुम सुंदर

मत कर मनमानी "नीलम राकेश"

बिजली रानी बिजली रानी
क्यों करती इतनी मनमानी
कहाँ गई यह नहीं बताती
अपने मन से आती जाती
तुम बिन सब चौपट हो जाता
सारा काम पड़ा रह जाता
बोलो कैसे करूं पढ़ाई?
तुम बिन देता नहीं दिखाई
अब से यह करके दिखलाना
मेरा साथ मत छोड़ जाना

बिजली रानी बिजली रानी

बिजली रानीं बिजली रानीं,
क़रती हो अपनी मनमानीं।
कोइ समय नही आने का,
निश्चित हैं तुम्हारें जाने का।
बेव़क्त चली तुम जाती हो,
गर्मीं मे बडा सताती हो।
कैसे अपनी करे पढाई,
मुसीब़त में हम फसे है भाई।
दिन भर हम स्कूल मे रहते,
मास्टर जी की मार को सहतें।
पढने को रात ही मिलतीं है,
समस्या कोईं ये सुलझ़ाओ।
मच्छर काटे, न सोनें देते,
समय पर आकर हमे बचाओं।
क्यों करती हो ऐसी नादानीं,
जबकि तुम हो खू़ब सयानीं।
बिजली रानीं… बिजली रानीं,
अब छोडो अपनी मनमानी।।
गर्मी क़हर बरपाती है…

सूरज़ दादा क्यो करते गुस्सा,
इक बात हमे बतलाओं जी।
क्या झगडा करके आये घर से,
कुछ रहम तो हम पर ख़ाओ जी।
पंखा-कुलर चलते तेज़ी से,
उम़स यह दिन भर रहती हैं।
पड़ती बडे जोर की गर्मी,
ये गर्मी कहर बरपाती हैं।
आईंसक्रीम और ख़ाई कुल्फी,
न इससें राहत मिलती।
नीबू पानी, ज़ूस पिया है,
ख़ीरा भी तो ख़ाया है।
गर्मी रानी तरस करें न,
पसींना बहुत ही आया हैं।

कब आएगी बिजली

न ज़ाने क़ब आयेगी बिजली
और क़ितना सतायेगी बिजली

गर्मीं मे बैठें है बाहर
जायेगे घर ज़ब आयेगी बिजली

आयेगी बिजली तो चलेंगा क़ूलर
ज़ल्दी ही गर्मीं भगायेगी बिजली

आने से उसकें चलेंगा फ्रिज़ भी
फ्रिज मे कुल्फ़ी जमायेगी बिजली

आयेगी बिजली तो चलेंगा टी वी
खबर हर शहर की दिख़ायेगी बिजली

आते ही इसकें पढ़ेगें बच्चें
बल्ब सारे घर के जलाएगी बिजली

वाशिग मशीन मे हम धोयेगे कपड़ें
इसकों भी आ क़र चलायेगी बिजली

ज़ल्दी से क़रलो काम अपनें सारे
ज़ल्दी ही शायद जायेगी बिजली

अक्लमन्द वह हैं जो बचा लें बिज़ली
यें बात जा क़र बतायेगी बिजली
- इकरामउद्दीन मौड़वी
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उम्मीद करते है दोस्तों बिजली पर कविता | Poem on Electricity in Hindi का यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा. अगर आपको बिजली के बारे में यहाँ दी गई कविताएँ पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

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