Short Poem In Hindi Kavita

पृथ्वी पर कविता | Poem on Earth in Hindi

 धरती पर तारे

गुस्से के मारे
सारे के सारे
आसमान के तारे
टूट पड़े धरती के ऊपर
झर झर झर झर अगर
तो बतलाओ क्या क्या होगा?

धरती पर आकाश बिछेगा
किरणों से हर कदम सींचेगा
चंदा तक चढ़ने का
मतलब नहीं बचेगा
रूस बढ़ा या अमरीका
बढ़ने का मतलब नहीं बचेगा

मगर एक मुशिकल आएगी
कब जाएगी रात और
दिन कब आएगा
कब मुर्गा बोलेगा कब सूरज आएगा
कब बाजार भरेगा
कब हम सब जाएंगे सोने
कब जागेंगे लोग,
बढ़ेगे कब किसान बोने
कब माँ हमें उठाएगी
मुहं हाथ धुलेगा
जल्दी जल्दी भागेंगे हम यों कि
अभी स्कूल खुलेगा

नाहक है सारे सवाल ये
हम सब चौबीसों घंटों
जागेंगे कूदेंगे खेलेंगे
हर तारे से बात करेंगे

मगर दूसरे लोग 
बात उनकी क्या सोचें
उनसे कुछ भी नहीं बना
तो पापड़ बेलेंगे!

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