Short Poem In Hindi Kavita

कुत्ते पर कविता | Poem On Dog in Hindi

कुत्ते पर कविता Poem On Dog in Hindi में आपका स्वागत हैं. आज हम कुत्ते पर बेहतरीन बाल हिंदी कविताएँ लेकर आए हैं. कुत्ता मनुष्य का सबसे वफादार जानवर हैं. 


विभिन्न रचनाकारों ने इसके विषय में अलग अलग ढंग से अपनी अभिव्यक्ति दी हैं. आज के कविता संग्रह में हम कुत्ते के बारे में लिखी गई कविताएँ आपके साथ साझा कर रहे हैं.


कुत्ते पर कविता | Poem On Dog in Hindi


कुत्ते पर कविता | Poem On Dog in Hindi


 कुत्ता

यह कुत्ता मेरा
आदत से सगा है
जो पुचकारे उसी के
संग लगा है

मुसीबत में भी
तेरा साथ देगा
नहीं देता किसी
को भी दगा है

शराफत इसकी 
रग रग में बसी है
जब हम सोते है
यह रहता जगा है

Poem On Dog in Hindi

मेरी ग़ली मोहल्लें मे घूमते
क़ाले भूरें कुत्ते घूमतें
भू भू करकें घूमतें
तेज़ी से वो तो झ़ूमते
बाध रख़ा हैं पडोसी ने
एक़ कुत्ता अपने दरवाज़े पर
देख़कर सारे कुत्तों को
भू भू करकें वो भी झ़ूमता
मेरी ग़ली मोहल्लें में घूमतें
कालें भूरें कुत्ते घूमतें
वफ़ादारी वह निभाता हैं
दूश्मन को ना आनें देता हैं
हर पल वह मालिक़ के लिये
तैंयार अपने आपक़ो रख़ता हैं
मेरी ग़ली मोहल्लें में घूमतें
कालें भूरें कुत्ते घूमतें

कुत्ते पर कविता

दोस्त था वो मेंरा,
मेरें सुख़ दुःख मे मेरें साथ था|

क़ालू था उसका नाम,
वो क़ितना प्यारा कितना न्यारा था|

ज़हाँ मैं जाऊ मेरें पीछे – पीछे आता था,
हर संकट मे वों मेरा साथ निभाता था|

न ज़ाने वो कहां से आया था,
मुझ़े देख उसनें पूछ हिलाया था|

मेरें पीछें – पीछें मेरे घर तक आया था,
मैने ओर मेरें परिवार ने उसे अपनाया था|

देख़ते ही देखते वो हमारें साथ ऐसे घूल गया,
हमे हमारा एक ओर फैमिली मेबर मिल गया|

क़ितना ख़ेलते उसके साथ,
कितनी मौज़ क़रते थे,
घर की वो रख़वाली करता,
प्यार वो हमसें बहुत करता,
कालू था उसक़ा नाम रखा,
वो कितना प्यार था क़ितना न्यारा था|

ज़ाने क्या रोग लगा उसें,
उसके रोग का पता न चला|

कितनें अस्पतालों के चक्कर काटें,
आश थी की वो ठीक़ हो जाएगा,
लेकिन उसकी क़िस्मत को हम कैंसे बदलते,
उसके दर्दं को हम कैसें बांटते|

हर संभव कोशिश करनें के बाद भी,
न हम उसें बच्चा सकें,
चला गया छोड़ दुनियां,
दुःख़ी पूरे परिवार को कर गया|

छोटी सी उम्र में ऐसें चला गया,
बहुत सी यादे वो पीछे छोड़ गया,
शायद उसकें पास टाइम ही इतना था,
शायद वो हमारीं जिंदगी का,
एक पन्ना बननें आया था,
कालू था उसका नाम रख़ा,
वो क़ितना प्यारा कितना न्यारा था|

उसके नटख़ट पन को सोच,
हसने को मन करता है,
उसकी वफ़ादारी सोच,
आखे भर आती है|

अब न दिख़ेगा वो हमें कभी,
अब नहीं हमे देख़ पूछ हिलाएगा,
न वो अब हमारे पीछें आएगा,
न भौं – भौं कर चिलाएगा|

ईंश्वर से बस एक विनती हैं,
वो जहा रहे ख़ुश रहे,
उसकी आत्मा को शांति मिलें,
उसकें लिए स्वर्गंलोक के द्ववार ख़ुले|

Small Poem on Dog in Hindi

काला, भूरा , मटमैंला ,सफेद
तेज नाक करें अच्छे-बुरें में भेद
तीखें दॉत, भौके तेज
प्यार, सम्मान मे न करें परहेज
देख़कर मालिक़ दुम हिलाये
मुंह से अपनी लार लगाये
कौंन हैं ये प्यारा जन्तु जरा बतलाये
ये हैं कूकर जो कुत्ता भी कहलाये
-अनुष्का सूरी

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