Short Poem In Hindi Kavita

कूलर पर कविता | Poem on Cooler in Hindi

 एक बड़ा सा कूलर

कुक्कू बोला, नानी कूलर
की है कैसी हवा सुहानी
पूरी गरमी हुई उड़न छू
है ना नानी, प्यारी नानी

हाँ, जब बाहर जाता हूँ मैं
तब लगती धरती अंगारा
गरमी तो बढ़ती ही जाती
चढ़ता ही जाता है पारा

हर चौराहे पर यदि नानी
अगर बड़ा सा हो एक कूलर
तो एक दिन भर घुमू घामूंगा
गरमी होगी बस छू मन्तर

हँसकर बोली, नानी कुक्कू
तेरी भी है बात निराली
पर कूलर से ज्यादा अच्छी
होती पेड़ों की हरियाली

अगर ढेर से पेड़ लगाए
तो गरमी से होगी राहत
पेड़ों की ठंडी छाया भी
होगी जैसे मीठा शरबत

ऐसे कूलर अगर लगे हों
मौसम होगा खूब सुहाना
गरमी हो या सर्दी, फिर मन
गाएगा मस्ती का गाना

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें