मुर्गाएक रोज मुर्गे जी जा करकहीं चढ़ा आए कुछ भांगसोचा चाहे कुछ हो जाएआज नहीं देंगे हम बांगआज न बोलेंगे कुकडू कूँदेखें होगी कैसे भोरकिंतु नशा उतरा तो देखाधूप खिली थी चारों ओर
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