Short Poem In Hindi Kavita

मुर्गे पर कविता | Poem On cock in Hindi

 मुर्गा

एक रोज मुर्गे जी जा कर
कहीं चढ़ा आए कुछ भांग
सोचा चाहे कुछ हो जाए
आज नहीं देंगे हम बांग

आज न बोलेंगे कुकडू कूँ
देखें होगी कैसे भोर
किंतु नशा उतरा तो देखा
धूप खिली थी चारों ओर

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