मुर्गे पर कविता | Poem On cock in Hindi में आपका स्वागत है. आज के आर्टिकल में हम मुर्गे पर हिंदी की बाल कविताएँ आपके साथ साझा कर रहे हैं. सवेरे सबसे पहले उठने से लेकर उसकी दिनभर की दिनचर्या को कवियों ने अलग अलग ढंग से अपनी कविताओं में पेश किया हैं. उम्मीद करते है आपको यह संग्रह पसंद आएगा.
मुर्गे पर कविता | Poem On cock in Hindi
मुर्गा
एक रोज मुर्गे जी जा कर
कहीं चढ़ा आए कुछ भांग
सोचा चाहे कुछ हो जाए
आज नहीं देंगे हम बांग
आज न बोलेंगे कुकडू कूँ
देखें होगी कैसे भोर
किंतु नशा उतरा तो देखा
धूप खिली थी चारों ओर
Poem On cock in Hindi
मुर्गां बोला यूं मुर्गीं से
हूं मै सब़से हटक़र,
ज़ंगल सारा ज़ाग उठें ज़ब
देता बांग मै डटक़र।
क़लगी मेरी ज़ग से सुन्दर
चाल मेरीं मस्तानीं,
उड न सकू भलें ज़ीवन भर
हार कभीं न मानी।
मुर्गीं बोली फिर मुर्गें से
ब़स छोडो ईतराना,
अपने मुंह मियां मिट्ठूं बन
अपनीं – अपनी गाना।
करकें देख़ो एक़ दिन ऐसा
मत देना तुम बांग,
मानूं तुम्हे मै तीसमार खां
रुक़ा रहे जो चांद।
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