Short Poem In Hindi Kavita

चन्द्रग्रहण पर कविता | Poem on Chandra Grahan in Hindi

 चंद्रग्रहण "संतोष कुमार सिंह"

मम्मी मुझको चन्द्र ग्रहण के
बारे में कुछ समझा दो
राहू केतु क्यों क्रोधित इन पर
होते मुझको बतला दो

मम्मी बोली देव असुर मिल
सागर मंथन किया कभी
अमृत घट निकला उसमें
पीने को उत्सुक सभी

देव असुर सब पंक्ति बनाकर
बैठ अमृत था पाना
देवरूप धर राहू पी गया
सूर्य चन्द्र ने पहचाना

चक्र सुदर्शन चला विष्णु ने
काट राहु की गर्दन दी
लेकिन वह तो अमर हो गया
अमृत बूंद गया वह पी

राहु केतु दो असुर बन गये
वही चन्द्र को ग्रसते हैं
कभी कभी इनके चंगुल में
सूर्यदेव भी फसते हैं

बड़े पुत्र ने तभी बीच में
अपनी माँ को टोक दिया
बात पुरानी हुई आपकी
कथा कहने से रोक दिया

छोटे भाई से फिर बोला
गुरुवर सत्य बताते हैं
जितने ग्रह है सभी सूर्य के
चक्कर नित्य लगाते हैं

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