बुलबुले पर कविता | Poem on bubbles in Hindi में आपका हार्दिक स्वागत हैं. क्षणिक जीवन वाले जल के बुलबुले पर अलग अलग रचनाकारों ने अपने भाव कविताओं के माध्यम से अभिव्यक्त किए हैं. आज के आर्टिकल में हम उन कविताओं को आपके साथ शेयर कर रहे हैं.
बुलबुले पर कविता | Poem on bubbles in Hindi
बुलबुला "ममता शर्मा"
बुलबुला बुलबुला
साबुन का बुलबुला
अभी मिटा अभी बना
साबुन का बुलबुला
भोलू की नाक पर
रानी की चाट पर
मोती की पूंछ पर
दादा जी की मूंछ पर
बुलबुला बुलबुला
साबुन का बुलबुला
मम्मी की बिंदिया पर
छोटी सी चिड़ियाँ पर
चिन्नी के हाथ पर
मिन्नी के दांत पर
बुलबुला बुलबुला
साबुन का बुलबुला
जलते हुए बल्ब पर
संतरे के पल्प पर
कहाँ कहाँ नहीं उड़ा
पानी का बुलबुला
बुलबुला बुलबुला
साबुन का बुलबुला
बच्चों का प्यारा है
बिलकुल ही न्यारा है
मिश्री बिल्ली के बाद
माँ का दुलारा है
बुलबुला बुलबुला
साबुन का बुलबुला
बुलबुला बुलबुला
साबुन का बुलबुला
यहाँ उड़ा वहां उड़ा
साबुन का बुलबुला
जिंदगी एक बुलबुला है
जिन्दगी एक़ बुलबुला हैं।
ब़नता सा, मिटता सा,
हवाओ मे ब़हता सा।
मेलो की गलियो मे,
सासो की नालियो मे,
साबुन के झ़ागो मे,
तो शहरो के ब़ागो मे,
ग़िरते हुए पानी मे,
मीठीं से पानी मे,
वास्तव मे क़ुछ और हैं,
इतना ब़स दिख़ने मे।
ज़न्म की पहली चीख़ मे,
कभीं भोज़न की भीख़ मे,
स्क़ूल की उस छुट्टीं मे,
यह जूते ख़ेत की मिट्टी मे
सपनों मे ख्वाबो मे,
उन अऩपढ़ी किताबो मे,
जिदगी एक़ बुलबुला हैं,
ब़नता सा, मिटता सा,
हवाओ मे बहता सा।
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