Short Poem In Hindi Kavita

नाव पर कविता | Poem On Boat in Hindi


 कहाँ नाव के पाँव

बहती जाती नाव
कहाँ नाव के पाँव
कोई जान सके ना
देखो उसका बहना

नहीं नाव के पाँव
वह पानी पर चलती
चलती और मचलती
बिन पांवों की नाव
चलती जाती बहती
बड़ी दूर के गाँव
जहाँ पेड़ की छाँव

नाव "कौशल पांडेय"

ढेरों बोझा और सवारी
नदी पार ले जाती नाव
गहरी नदिया जब इठलाए
सबका मन दहलाती नाव

हम तो डुबकी खा जाते हैं
क्यों रहती उतराती नाव
नाविक भैया जल्दी चलना
दूर बहुत है मेरा गाँव

चलो मनाएँ हम सब पिकनिक
ले करके एक छोटी नाव
वरखा रानी सबसे पूछें
कहाँ गई कागज की नाव

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