नाव पर कविता | Poem On Boat in Hindi में आप सभी का स्वागत हैं. आज के लेख में हम नाव अथवा नौका विषय पर अलग अलग लेखकों द्वारा लिखी गई हिंदी कविताओं का एक संग्रह आपके साथ साझा कर रहे हैं. उम्मीद करते है आपको यह पसंद आएगा.
नाव पर कविता | Poem On Boat in Hindi
कहाँ नाव के पाँव
बहती जाती नाव
कहाँ नाव के पाँव
कोई जान सके ना
देखो उसका बहना
नहीं नाव के पाँव
वह पानी पर चलती
चलती और मचलती
बिन पांवों की नाव
चलती जाती बहती
बड़ी दूर के गाँव
जहाँ पेड़ की छाँव
नाव "कौशल पांडेय"
ढेरों बोझा और सवारी
नदी पार ले जाती नाव
गहरी नदिया जब इठलाए
सबका मन दहलाती नाव
हम तो डुबकी खा जाते हैं
क्यों रहती उतराती नाव
नाविक भैया जल्दी चलना
दूर बहुत है मेरा गाँव
चलो मनाएँ हम सब पिकनिक
ले करके एक छोटी नाव
वरखा रानी सबसे पूछें
कहाँ गई कागज की नाव
Hindi Poem On Boat
ज़ल्दी-ज़ल्दी दौडे आओं
रंग-बिरगे कागज़ लाओं
सुन्दर-सी एक़ नाव बनाक़र
मिल-ज़ुलकर उसको तैराओं
ख़ूब तेज़ चलती नाव
कभीं न थकतीं नाव
आगें-आगे बढती ज़ाती
पार हमे ले ज़ाती नाव
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उम्मीद करता हूँ दोस्तों नाव पर कविता | Poem On Boat in Hindi का यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा. यदि आपको नाव के विषय में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
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