Short Poem In Hindi Kavita

करेले पर कविता | Poem on Bitter gourd in Hindi


 सोच रहा था एक करेला

सोच रहा था एक करेला
सब्जी मंडी जो भी आए
आलू अदरक प्याज तुलाए
मुंह लटकाए मेरा ठेला

पहले छीलो नमक लगाओ
जरा धूप में उसे सुखाओ
मेरी सब्जी का बड़ा झमेला

बिल्लू खाए नाक चढ़ाए
पिंकी को भी तनिक न भाए
फ्रिज में रहता पड़ा अकेला

डायबिटीज में मैं गुणकारी
दूर करूं मोटापा भारी
हरा भरा सेहत का मेला

दादी माँ ही मुझे पकाती
दादाजी को रोज खिलाती
खिल जाता तब मैं अलबेला
सोच रहा था एक करेला

कटहल कद्दू और करेला

कटहल कद्दू और करेला
गये घूमने मेला
जमकर खूब मिठाई खाई
पास न पैसा धेला
पकड़ लिया तब हलवाई ने
पैसा अभी निकालो
वरना सभी कड़ाही मांजो
और मिठाई खालो
है मंजूर खिलाओ पहले
हमको खूब मिठाई 

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