Short Poem In Hindi Kavita

भिखारी पर कविता | Poem On Beggar in Hindi

 माँ कैसे यह रहता होगा?

बहुत सबेरे इस सर्दी में
एक फटा सा कुर्ता पहने
चिथड़ों की घुटनों तक धोती
कौन, ठिठुरता चला आ रहा
मांग रहा खाने को रोटी
ओ माँ बेचारे को दे दो
मैं भूखा ही रह जाऊँगा
वह घिघियाता चला आ रहा

अपने घर हैं कई बिस्तरे
हीटर गर्मी उगल रहा है
पर यह तो नंगा भूखा है
माँ कैसे यह रहता होगा
माँ कैसे यह बना भिखारी
किसने इसकी रोजी मारी
है यह बहुत गरीब बेचारा
दया करो, दुःख सहता होगा.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें