Short Poem In Hindi Kavita

जामुन पर कविता | jaamun Par Kavita

 काले जामुन

आओ बाबू, आओ आओ
मेरे काले जामुन खाओ
झटपट पैसे इधर बढ़ाओं
ले लो दाना, गप कर जाओ

एक बार इनको खाओगे
तो तुम बार बार आओगे
इनको नहीं भूल पाओगे
जीभ चटाचट चट्काओगे

बड़े जायके वाले जामुन
कैसे काले काले जामुन
देखो ये भौंराले जामुन
झट घुल जाने वाले जामुन

जामुन नहीं फ्रेंदे है ये
खिले हुए गुल गेंदे हैं ये
पीलें नहीं मगर हैं काले
मन को बहुत लुभानेवाले

इनमें गुठली नाम नाम की
यह रबड़ी है बिना दाम की
भूल जाएगी यह आम की
सुधि न रहेगी काम धाम की

बिलकुल सस्ता किया भाव है
दो आने में एक पाव है
सस्ता करके कर दी हलचल
बच्चे आते है दल के दल

चुनमुन आओ मुनमुन आओ
आकर मेरे जामुन खाओं
जल्दी करों न देर लगाओ
आओ जल्दी मत शरमाओं

क्या कहते है पास न पैसे
सभी खड़े हो चुप चुप ऐसे
अजी फिकर क्या हाथ बढाओं
ले लो दोना जामुन खाओ

पापा से जब पैसे पाना
आकर तब मुझको दे जाना
वाह वाह मतवाले जामुन
मेरे काले काले जामुन

खूब रसीले जामुन "विनोद चंद्र पांडेय"

ये जामुन काले काले हैं
जब बादल जल बरसाते है
ये पेड़ों पर पक जाते है
भौरों सा रूप दिखाते है
करते सबको मतवाले है

होते सब खूब रसीले है
बैंगनी लाल या नीले हैं
सबके सब रंग रंगीले हैं
सुंदर सुकुमार निराले है

देखों डालों पर लटके है
गिरते जब लगते झटके है
बच्चे खाते डट डट के हैं
बेचते इन्हें फलवाले हैं

मानो रस में ही पगते हैं
सबको ही अच्छे लगते है
ले भी लो बिलकुल सस्ते है
सब पर जादू सा डाले है
ये जामुन काले काले है

मीठे मीठे जामुन

हम बच्चे मिलजुलकर सारे
चलो चलें जी नदी किनारे
अजब रसीले काले काले
गुदेवाले स्वाद निराले
मीठे मीठे जामुन खाकर
आ जाएंगे मन बहलाकर

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