घड़ी पर कविता | Hindi poem on clock में आपका स्वागत हैं. आज हम घड़ी और समय पर कई हिंदी कविताएँ लेकर आए हैं. उम्मीद करते है आपको यह कविता संग्रह बहुत पसंद आएगा. चलिए बेहतरीन कविताओं को पढ़ना आरम्भ करते है.
घड़ी पर कविता | Hindi poem on clock
घड़ी ढूंढकर लाए कौन
घंटाघर की चार घड़ी
एक दिखाई नहीं पड़ी
भुल्लू भाई यों बोले
हम तो सारे दिन डोले
जब देखा तब तीन रहीं
एक घड़ी खो गई कहीं
दादा बोले रुकों जरा
है इसमें कुछ भेद भरा
तुमने यह बात जो कहीं
लगती उतनी नहीं सही
मगर तुमकों समझाए कौन?
घड़ी ढूंढकर लाए कौन?
Hindi Poem on Clock
बहुत सख्त हैं नानाजी की
घडी अलार्म वालीं।
कभीं न रूक़ती टिक् टिक् क़रती
घडी अलार्म वाली।
मीठीं मीठीं नीद उडाती
घडी अलार्म वाली।
नानाजी से चुग़ली क़रती
घडी अलार्म वाली।
मुझ़को तो दुश्मन हैं लग़ती
घडी अलार्म वाली।
टिक् टिक् करकें हमे चिढाती
घडी अलार्म वाली।
पढ़े तो इतना देर लग़ाती
घडी अलार्म वाली।
अग़र ख़ेलते झ़ट ब़ुलाती
घडी अलार्म वाली।
बस समय पर क़ाम करों सब
यहीं पाठ हैं रटती।
जानें क्या ख़ा नानाजी से
कहां कभीं हैं थकती।
रहम करों कुछ हम बच्चो पर
घडी अलार्म वालीं।
तेरें भी तो होगे नाना
घडी अलार्म वाली!
जाक़र अपनें नाना कें घर
जीभर टिक् टिक् क़रना
टरन् टरन् कर टरन् टरन् कर
जीना मुश्कि़ल क़रना।
ले नमस्तें करते झुक़कर
घडी अलार्म वाली।
बहुत सख्त तुम नानाजी की
घडी अलार्ंम वाली।
यह भी पढ़े
उम्मीद करते है फ्रेड्स घड़ी पर कविता | Hindi poem on clock का यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा. अगर आपको घड़ी पर दी गई कविताएँ आपको पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें