Short Poem In Hindi Kavita

ईद मुबारक कविता | Eid Mubarak Poem in Hindi

 त्यौहार ईद का

सुंदर है त्यौहार ईद का
बांटों मिलकर प्यार ईद का

एक माह तक रोजा रखकर
सबने यह अवसर पाया है
बनकर चाँद ईद का देखो
हर कोई मिलने आया है

रंग बिरंगे कपड़ों वाला
मुस्काता संसार ईद का

मस्जिद में नमाज पढ़ लो फिर
देखो मेला खूब लगा है
सभी लोग उमड़े पड़ते है
सबके दिल में प्यार जगा है

मेल मिलाप सिखाने वाला
लो अनुपम उपहार ईद का

घर घर पकी सिवइयाँ मीठी
जीभर खाओ और खिलाओ
भेदभाव के बिना सभी को
हँसकर अपने गले लगाओ

कभी न कम हों जिसकी खुशियाँ
ऐसा है भंडार ईद का !

खुशियाँ लाई ईद

खत्म हो गये रोजे सारे
खुशियाँ लाई ईद
ईदगाह को चले जा रहे
आसिफ और फरीद

जहाँ बड़ा मेला होगा
सभी मिलेंगी चीज
जेबें आज भरी है चीजें
लेंगे सभी खरीद

अब्बू आज ख़ुशी से सबके
चूम रहे हैं गाल
देख सजी नन्ही गुड़िया को
अम्मी हुई निहाल

घर पर सबके आज बने हैं
ढेर ढेर पकवान
दम दम दमक रहा घर सबका
आएँगे मेहमान

सोनू मोनू पंकज टोनी
मिलने आए ईद
पहले आसिफ मिला गले फिर
मिलने लगा फरीद

मिटे बुराई दुरी कम हो
कहता यह त्यौहार
नहीं साल में एक बार हो
रोज बंटे ये प्यार

ईद

मुसलमान हो या हिंदू हों
ईद सभी का है त्यौहार

मिलकर सबको गले लगाएं
भूल बैर बस झूमें गाएं
आओ सुखविंदर रोहित क्रिस
आओ कविता और रुखसार

गरम पकौड़े और पकवान
गजब जायके के सामान
देख सेवैयाँ ललचाए है
बच्चे आदत से लाचार

ईदी दी अब्बा ने मुझको
कहा बाँट दो सबमें इसको
झूलें झूला संग साथ सब
नहीं ख़ुशी का पारावार

रोजों में जो गुण है सीखे
क्यों न उनको आगे खींचे
बेमतलब की बात भूलकर
करें द्वेष का बंटाधार

हिन्दू मुस्लिम भाई भाई
ईद यही संदेशा लई
जीने का मतलब सिखलाती
तोड़े मतलब की दीवार

ईद संग होली आ जाए "नूरे निशाँ"

आगे से मैं बहुत नुकीली
चुभ चुभकर मैं चलती हूँ
एक बार घुसती हूँ अंदर
दूजी दफा निकलती हूँ

हाथों से जब मुझे चलाओ
आगे आगे बढ़ती हूँ
जब मशीन में मुझे लगाओ
ऊपर नीचे होती हूँ

नए पुराने कपड़े सिलकर 
मैं ही उन्हें सजाती हूँ
धागे की दो पूंछे मेरी
दर्जी को मैं भाती हूँ

जो जो मेरा नाम बताए
कपड़े नए पहनकर ऐ
ईद संग होली आ जाए
मिलकर गले ख़ुशी से गाए

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