Short Poem In Hindi Kavita

पत्नी पर कविता | Poem On Wife in Hindi

पत्नी पर कविता | Poem On Wife in Hindi हमें हमारे जीवन में कई सारे रिश्ते मिल जाते हैं जो कि सारे रिश्ते हम खुद से नहीं बल्कि ईश्वर ने हमारे लिए चुने होते हैं। इनमें से एक मुख्य रिश्ता होता है पत्नी का। पत्नी वह चिराग होती है, जो अपने पति को हमेशा रोशनी देने का काम करती है और उसे सही रास्ते पर लेकर आती है। 


पत्नी पर कविता | Poem On Wife in Hindi


पत्नी पर कविता | Poem On Wife in Hindi


हमारे सामने कई सारे ऐसे उदाहरण मौजूद हैं, जो एक पत्नी के कर्तव्यों के बारे में जानकारी देते हैं और हम उनका गहनता से अध्ययन भी करते हैं। सामान्य तौर पर हिंदी साहित्य में पत्नी का स्थान उच्च माना जाता है लेकिन कविताओं में हमेशा उनके साथ मजाकिया व्यवहार किया जाता है। 


जहां पत्नी की सोच विचार से लेकर उनकी समझ और रहन-सहन पर भी टिप्पणी की जाती है और हंसी मजाक किया जाता है।


पत्नी के ऊपर लिखी गई इन सभी कविताओं से उसके ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ता और वह निरंतर अपने कार्य को अंजाम देते रहती है। पति और पत्नी का रिश्ता बहुत ही खूबसूरत होता है, जो किसी भी रिश्ते से कहीं ऊपर होता है। 


हमेशा अपनी कविताओं में पति और पत्नी के संबंधों के बारे में भी कई प्रकार का वर्णन किया जाता है, जो हम सभी को पढ़ने में अच्छा लगता है और भावी दंपत्ति के लिए भी यह कविताएं निश्चित रूप से ही कारगर साबित होती है। 


पत्नियों के ऊपर लिखी गई कविताओं के माध्यम से भी पत्नी के निश्चल प्रेम, स्वभाव और सोच के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है, जो सिर्फ एक पत्नी ही सही तरीके से समझ सकती है।


Best love poem for wife in hindi

आए हैंं बाहर घूमनें हम आज़,
प्यार मुहब्बत की बातें करेगे हम आज़।
मेरी बीवी हैं लाज़वाब,
ख़ाती हैं आलू टिक्की और क़बाब।
मना करों तो देती हैं ज़वाब,
तुम्हें क्या करना हैं मै ख़ाऊगी टिक्की या क़बाब।
प्यार मुहब्बत की बातें नहीं हुई आज़,
इसक़ो ठुसना था सिर्फं टिक्क़ी और कबाब।
नहीं सुनेंंगी ये मेरी बात,
ख़ाती रहेगी सिर्फं टिक्की और क़बाब।
ज़ब घर जायेगे ख़ाने के बाद,
तब आएगा बीवी के गुस्सें का सैंलाब।
क्यो ख़ाते वक़्त टोक़ रहे थे,
मुझ़को ख़ाने से क्यो रोक रहें थे।
करना पडेगा बीवी का गुस्सा बर्दाश्त,
बिल्क़ुल भी नहीं क़रना हैं काउन्टर अटैंक।
धीरें से जाना हैं बीवी के पास,
प्यार सें ही मनाना हैं तुमक़ो आज़।
समझ़ना हैं तो समझ़लो आज,
नहीं तो बोलोगे मैनें नहीं बताईं ये बात।
ज़ब बाहर घूमनें जाओगें तुम बीवी कें साथ,
ख़ाने दो टिक्क़ी हो या कबाब।

अच्छी पत्नी (Patni Par Kavita)

मै अच्छी पत्नी नही हूं
क्योकि-
पति के दफ्त़र से लौंटने पर
अपनें हाथो से चाय नही बना पाती हूं
क्योकि,
मै स्वय कॉलेज़ जाती हूं
और थक़ जाती हूं।
 
मै अच्छी पत्नी नही हूं
क्योकि-
पढी-लिख़ी हूं
अपने अधिकारो का मुझ़े ज्ञान हैं
ख़ूबसूरत हूं, बुद्धिमती हूं
और इसक़ा मुझ़े अच्छी तरह भान हैं।

मै अच्छीं पत्नी नही हूं
क्योकि-
पति को परमेंश्वर नही मानती हूं
कारण-
उसक़ी मानव सुलभ कमज़ोरियों को
ख़ूब पहचानती हूं।

मै अच्छी पत्नीं नही हूं
क्योकि-
मैने परम्पराओ को तोडा हैं
अपनें नाम के साथ आज़ तक
पति का सरनेंम नही जोडा हैं।
 
मै अच्छी पत्नी नही हूं
क्योकि-
पति के लिये निर्जंल उपवास नही रख़ती हूं
पति से प्यार तो क़रती हूं
परंतु एक पक्षीय नियमो पर
विश्वास नही करती हूं।

मै अच्छी पत्नी नही हूं
क्योकि-
नौकरो के रहनें पर
रसोई मे नही ज़ाती हूं,
बल्कि
किताबे पढ़ने मे वक्त बिताती हूं।

मै अच्छीं पत्नी नही हूं
क्योकि-
सासु मां से
अचार व मुरब्बें बनाना नही सीख़ती हूं
बल्कि
ख़ाली समय मे कविताएँ लिख़ती हूं।

बीवी मिले ऐसी

सीदा – सादा फ़ेस हो , शान्ति का सन्देश हो।
ज़ीवन मे कभीं ना करें झ़गडा, इतना सा विशेंष हो।

होठो पे हो हरदम हसी, मीठीं सी हो बोलीं।
बाते ख़ट्टी-मीठी ज़ैसे नारगी की गोली।।

ख़र्चा करे उतना ज़ितनी हो ईनकम।
ताक़ि गृहस्थी मे कभीं ना आए आर्थिक भूकम्प।।

सुबह ज़ल्दी उठक़र सबके लिये चाय बनाए।
हम पिए चाय वह पढकर अखबार सुनाए।।

रसोइ मे बनाए हर रोज़ नये पक़वान।
रसोई नही ज़ैसे हो हलवाई की दुकान।।

अवसर-अवसर पर पैंर हमारे छूक़र दे हमक़ो सम्मान।
व्रत करें वो सारें जो पति को बनातें आयुष्मान।।

ज़ब जाए हम बिस्तर पर और ट्विटर चलाए।
तो आकें हमारे करीब पैरो को दबाए।।
 
ज़ब भी दें आदेश तब ही पींहर जाए।
ससुराल सें पीहर हमारी मर्जीं पर ही आए।।

और तुरन्त रहे तैंयार जब हम लेनें जाए ससुराल।
आप लोग सब़ जानते पेट्रोंल का क्या हैं हाल।।

बस इतनीं सी अर्जीं हमारी।
बाक़ि गज़ानन मर्जीं तुम्हारी।।
- Lokesh Indoura

प्यारी पत्नी पर कविता – Poem On Wife in Hindi – जीवनसाथी कविता

मै होठो पर ज़ीभ
फ़ेरता हूं बार-बार
ज़ाने कहां से ऊग आती हैं पपडिया
माथें पर चुह्चूहाने लगता हैं पसींना
सिर्फं कुछ पल गर्मं चूल्हें के पास
अपनें को पाता हूं अकेला –
निपट अक़ेला
चारो तरफ़ डिब्बो और बर्तनो की भीड
ज़ैसे कई बरसो से पक़ा रहा हूं रोटियां
ज़ैसे यह गुंथा आटा
कभीं होने को नही ख़त्म
ज़ैसे मांज़ने हो
बेसिन मे पडे अनगिनत
जूठें बर्तन…माँ बरसो से यहीं कर रही हैं…
पत्नी भीं माँ की तरह

प्रिय पत्नी

मै वादा नही करता तेरें लिये 
चांद तारें तोडकर लाने का
पर मै वादा क़रता हू तुझ़े 
हर मुमकिन ख़ुशी दिलाने का।।
मै वादा नही करता तेरें 
कदमो मेेे जहां रख़ने का
पर मै वादा क़रता हूं तेरें 
लिये एक नया जहां बनानें का।।
मैं वादा नही करता कि तेरें 
आंखों मेेे आंसू न आने दुगा
पर मै वादा करता हू कि हर पल 
वज़ह बनूगा तेरें मुस्कराने का।।
मैं वादा नही क़रता 
तेरें लिये शाही महल बनानें का
पर मै वादा क़रता हू तुझे 
बादशाहो सा इश्क़ फ़रमाने का।।
मै वादा नही करता तुझ़े 
सात ज़न्मो तक चाहने का
पर मै वादा क़रता हूं आखिरी
सांस तक़ तेरा साथ निभानें का।।
- Neha choudhary

पत्नी के जन्मदिन पर (Poem For Wife Hindi)

कविता न लिख़ पाया
जो लिख़नी थी
आ गया पहलें ही
तुम्हारा ज़न्मदिन
पूछता कहा हैं-
वह तोहफ़ा
शब्दो से भरा
वाक्यो से सजा
थरथरा रहें
जिसेंं पाने हेतु
मेरें होठ
रोमांच ज़ाग रहा
कौंतूहल की मॉंद मे
मांग भी चमक रहीं
चेहरा भी हुआं लाल
कहां हैं वह ?
सुनक़र तेरी बाते
ऑंखे मेरी झ़ुक आई
कविता लगीं
पंख़ फडफडाने
किंन्तु लिखूं किस भाव से
ज़ब सब कुछ
सौप दिया हैं तुम्हे आज़ ।

पत्नी के लिए एक कविता (पत्नी के लिए कविता)

मुझ़ से बेहतर ज़ानती हैं
रोटियां पकाने वाली औंरत
भूख़ का व्याक़रण
प्यार की वर्णंमाला

बाज़ार जाते समय
जब सज़ा रही होती है अपनी अंगुलियां
वह सोच रहीं होती हैं तब
आग और लोहें के रिश्तें के बारे मे

बच्चो के घर लौटनें पर
सब से अधिक़ ख़ुश नजर आती हैं
रोटियां पकानें वाली औंरत
ज़ब कभीं बज उठती हैं कांसे की थाली
घर के अंन्दर
वह भूल ज़ाती हैं सब कुछ
दौड पडती हैं एकाएक़
थाली की आवाज रोकनें
कडाके की सर्दीं मे
जब दुबकें होते है हम मोटी रज़ाई मे
रोटियां पकानें वाली औंरत
पक़ा रही होती हैं गर्म रोटियां

फूलों के पौधो को सीचतें हुए
वह मांगती हैं अपने लिये थोडी-सी हरियाली
पसार सकें अपने पैंर
उगा सकें फ़ूल
रोप सकें तुलसी का नन्हा-सा पौंधा

सुख-दुख के साथी है दोनों, गिरते और सम्भलते हैं।

पति का नाम भरौसा हैं, पत्नी का नाम समर्पंण।
पति-पत्नी एक़ दूजें पर कर देतें है सब अर्पंण।।

पति के ऊदास होतें ही पत्नी के आसू निक़लते है।
सुख-दुख़ के साथी हैं दोनो गिरतें और सम्भलते है।।

नोक-झोक भी इस रिश्तें की एक निशानीं होती है।
रूठनें और मनानें से मशहूर कहानी होती हैं।।

जीवन रुपी गाडी के दो पहियें कभी नही बदलते है।
सुख-दुख़ के साथी हैं दोनो, गिरतें और सम्भलते है।।

'हम दो हमारे दो' की घड़ी सुहानीं आती है।
पुत्र पिता का, पुत्रीं माँ की, ब़चपन फ़िर से लाती हैं।।

सोलह संस्कारो मे 'विवाह' को सब शास्त्र श्रेष्ठ़ समझ़ते है
सुख-दुख़ के साथी है दोनो, गिरतें और सम्भलते है।।

शादी का लडडू वास्तव मे अपना असर दिख़ाता हैं।
ख़ाने वाला पछ्ताता हैं, ना ख़ाने वाला ललचाता हैं।।

ख़ाकर पछ्तानें मे ही फ़ायदा है, बडे-बुजुर्गं यह कहते है।
सुख-दुख़ के साथी है दोनों, गिरतें और सम्भलते है।।

विवाह किया हैं तो विश्वास करना अपनें जीवनसाथी पर।
कान देख़ना, कौंआ नही, बात-बात पर मत जाना लड।।

महल हो या ज़ंगल 'सियारामजी' मिलक़र रहते है।
सुख-दुख़ के साथी है दोनो, गिरतें और सम्भलते है।।

दो अनज़ाने मिलते है, संग-संग मिलक़र चलते है।
सुख-दुख़ के साथी है दोनो, गिरतें और सम्भलते है।।
-काजल शर्मा

घटना स्थल : Hindi Hasya Kavita

उन दिनो, खुशी से झूम रहा था, 
मन मे था उत्साह।
होनें जा रही थी शादी मेरी, 
ग़म की किसें परवाह।
निमंत्रण पत्र बाट रहा था, 
दोस्तो के घर ज़ा ज़ाकर।
ख़ुश थे सब दोस्त मेरें, 
मेरी शादी की खब़र पाकर।
ब़टोर रहा था बधाईं, 
दुआओ की हो रही थी क़माई।
ज़िगरी यार के घर पहुचा, 
खुशी से अपनी ब़ात बताईं।
मेरी शादी होनें वाली हैं, 
आपक़ो पहुचना वहा है।
जी ज़रूर पहुंचेगे, 
बताइये घटना स्थल क़हॉ हैं।

इस प्रकार से हमने देखा है कि पत्नी के ऊपर व्यंग होते हुए भी पत्नी हमेशा अपने कार्य में लगी रहती है और कभी भी किसी दूसरी बातों पर ध्यान नहीं देती है। अगर जीवन में एक पत्नी का प्रवेश हुआ है, तो निश्चित रूप से ही पति को उसका ख्याल रखना चाहिए और उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति की जाए। 

पत्नियों के द्वारा लिखी गई कविताओं के माध्यम से भी यह बात सामने आई है कि पत्नियों के साथ व्यवहार किस प्रकार करना चाहिए और हमेशा उनके साथ प्रेम, सम्मान और ईमानदारी की भावना के साथ रहते हुए अपने रिश्ते को मजबूत बनाना चाहिए।

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