Short Poem In Hindi Kavita

पेड़ पर कविता | Poem on Tree in Hindi

पेड़ पर कविता | Poem on Tree in Hindi ऐसे तो पेड़ों को प्रकृति के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और यह भी सत्य है कि पेड़ों के बिना हमारा जीवन अधूरा है। 


यही वजह है कि पेड़ों के महत्व को बताते हुए कई सारी कविताएं लिखी गई है साथ ही साथ यह भी कहा गया है कि पेड़ ही हमारे जीवन हैं, जो हमें एक ऊर्जा देते हैं। 

पेड़ पर कविता | Poem on Tree in Hindi

पेड़ पर कविता | Poem on Tree in Hindi

पेड़ इंसानों को जिंदा रखने के लिए ऑक्सीजन देते हैं और हम उनका उपयोग एक सुनहरी पंक्ति लिखने में लगाते हैं। 


ये हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है और अगर आप गौर करेंगे तो निश्चित रूप से यह देखेंगे कि पेड़ों का महत्व कई सारे कविताओं, फिल्मों और नाटकों में किया जाता है जहां पेड़ों की किसी सजीव प्राणी से तुलना की जाती है, मानो वह हमारी बातों को बड़ी आसानी से ही समझ लेते हो।


पेड़ों के माध्यम से हम अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में माहिर हो जाते हैं, जहां उनकी पत्तियों, फूलों और फलों को भी हम उपमा देते हुए अपनी कविताओं में शामिल कर सकते हैं और निश्चित रूप से ही आने वाले किसी भी पड़ाव में इन्हें मुख्य उपमा के रूप में विश्लेषक कर सकते हैं। 


पेड़ों में जीवन है यह हमें आसान तरीके से ज्ञात हो जाता है क्योंकि समान रूप से हम पेड़ों में देवताओं का वास मानते हैं और यही वजह है कि कविताओं में हम उन देवताओं को भी विशेष स्थान देते हैं, जहां पर उनका मान सम्मान बना रहता है।


पेड़ पानी और धूप "शेफाली शर्मा"

यह मुझको समझाओ माँ
सोचो और बताओ माँ
भूख नहीं क्या लगती इनको
पेट कहाँ दिखलाओ माँ

पौधे पानी पीते हैं
पानी पर ही जीते हैं
अब तुम उनके पानी को
मिट्टी से छुडवाओ माँ
धूप में उनको रखती हो
मैं जाऊं तो डरती हो
भेदभाव इतना जो करती
कारण भी बतलाओ माँ

कितनी सुंदर बात कही है
चिंता तेरी खूब भली है
पौधों की दुनिया के राज
बतलाऊं जो बात चली हैं
खाना भी ये खाते हैं
खुद ही उसे पकाते है

धूप, हवा, पानी सब मिलकर
भोजन ही बन जाते है

मिट्टी जो पानी पीती है
पौधों को दे देती हैं
जड़ इनकी मिट्टी के अंदर
धीरे धीरे पानी पीती हैं.


अगर कहीं जो पेड़ चलते


अगर कहीं जो चलते पेड़
बच्चों जैसे पलते पेड़

बेसुध माता लगती कहने
कहीं नीम को देखा तुमने
चार घड़ी से वो गायब है
वस्त्र हरे थे पहने उसने

कहीं खो गया मेरा लाल
जग होशियारी में है डेढ़

नन्हें पौधे की माँ कहती
तुम मत खेलो साथ बड़ों के

बरगद पीपल भारी भरकम
नाना हैं ये सब झगड़ों के
नन्हों के संग चलते चाल
पौधों से सब जलते पेड़

दो पेड़ों में मारपीट की
खबरें आती अखबारों में
दुर्घटना में इतने घायल
इतने मरे बाजारों में

बुरा मान जाता एक पौधा
बलशाली जब देता छेड़

सुनो पेड़ जी "मेराज रजा"


खड़े खड़े हरदम रहते हो
कुछ न कहते चुप रहते हो
नीम, आम, जामुन, बहेड़ जी
सुनो पेड़ जी सुनो पेड़ जी

कभी बैठकर हमसे बोलो
दही जलेबी खा खुश हो लो
ललचाए से खड़े भेड़ जी
सुनो पेड़ जी सुनो पेड़ जी

मिट्टी से तुम जल जाते हो
मीठे मीठे फल देते हो
खाएँ बच्चे और अधेड़ जी
सुनो पेड़ जी सुनो पेड़ जी

करो सुखी जीवन की राहें
जो भी तुम्हें काटना चाहे
हम उनको देगे खदेड़ जी
सुनो पेड़ जी सुनो पेड़ जी

सोचो


सोचो गर ये वृक्ष न होते
हरियाली ये लाता कौन
शीतल शीतल पवन के झोंके
तन, ठंडक पहुंचाता कौन

सोचो गर ये वृक्ष न होते
कंद मूल फिर लाता कौन
पेट में चूहे कूद रहे जो
शांत उन्हें कराता कौन

सोचो गर ये वृक्ष न होते
श्वास हमें दिलवाता कौन
सदा सिलेंडर लिए ऑक्सीजन
उसका बोझ उठाता कौन

सोचो गर ये वृक्ष न होते
वन उपवन कहलाता कौन
पशु पक्षी के ये जीवन रक्षक
ठांव उन्हें दिलवाता कौन

रूपये का पेड़ "उपेन्द्रनाथ शुक्ल"


हे ईश्वर रुपयों का मेरे
घर पर पेड़ लगाओ
चाहे बदले में पापा के
सब रूपये ले जाओ

रोज मैं बरफी पेडे वा
रसगुल्ले ही लाऊंगा
मम्मी सा लांची दानों में
नहीं मैं फुस्लाऊंगा

टाफी बिस्कुट और गुब्बारे
भी तुमको लाऊंगा
नई नई ड्रेस रोज पिन्हा कर
मंदिर सजवाऊंगा

एक था पेड़ "गिरीश पंकज"


एक पेड़ था हरा भरा वह
सबको छाया देता था
बदले में वह कभी किसी से
कुछ भी नहीं लेता था

हम बच्चें उस पर चढ़ कर
मस्ती करते रहते थे
मगर पेड़ गिर न जाए
थोडा थोडा डरते थे
हमें देख कर पेड़ भी शायद
ताऊ जी बन जाता था
हवा चले जब सन्न सन्न तो
मस्ती में कुछ गाता था
उस पेड़ पर बैठे पक्षी
अपना राग सुनाते थे
सारे बच्चे खेल कूद कर
घर वापस आ जाते थे

मगर एक दिन आया कोई
किया पेड़ पर अत्याचार
काट दिया आरी से उसको
सबको दुःख हुआ अपार
नहीं वहां अब कोई छाया
ना चिड़ियों का गाना
पेड़ बिन सूनी है धरती
वहां न अपना जाना है
हम सब उसको दोस्त सरीखे
वह जैसे अभिनेता था
एक पेड़ था हरा भरा वह
सबको छाया देता था
बदले में वह कभी किसी से
कुछ भी तो ना लेता था

पेड़ चाहते होंगे "दिशा ग्रोवर"


हम बच्चों के झूले खातिर
टहनी सदा झुकाएं
खुद पीड़ा सहकर भी वे तो
किलकारी फैलाएं

लिख दें कविता पेड़ों पर हम
पेड़ चाहते होंगे
हमें देखते होंगे जब ये
खुश भी होते होंगे

फल फूल और छाया देते
पीछे कभी न हटते 
फिर भी क्यों ये सच्चे साथी
बिना वजह भी कटते

पेड़ "रमेश कौशिक"


तुम्हारी मेज कुर्सी
जिस पर तुम पढ़ते हो
मैं हूँ

मेले में काठ का घोड़ा
जिस पर तुम चढ़ते हो
मैं हूँ

गाँव में लकड़ी का पुल
जिस पर तुम चलते हो
मैं हूँ

नाव जिसमें बैठ
तुम नदी पार करते हो
मैं हूँ

पतला सा कागज
जिस पर तुम लिखते हो
मैं हूँ

पेड़ पर कविता (Poems on Trees in Hindi)


गर पेड भी चलतें होते,
कितनें मज़े हमारे होतेे।
बांध तने मे उसकें रस्सी,
चाहें जहा कही ले ज़ाते।
जहा कही भी धुप सताती,
उसके नीचें झ़ट सुस्ताते।
जहा कही वर्षा हो ज़ाती,
उसकें नीचे हम छिप ज़ाते।
लग़ती ज़ब भी भूख़ अचानक,
तोड मधुर फ़ल उसके ख़ाते।
आती कीचड, बाढ कही तो,
झ़ट उसके ऊपर चढ ज़ाते।
गर पेड़ भी चलतें होते,
कितने मज़े हमारे होते।

Latest Poem on Tree in Hindi for Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12


धरती की बस यहीं पुक़ार,
पेड़ लगाओं बारम्बार।
आओं मिलक़र कसम ख़ाएं,
अपनी धरती हरित बनाये।
धरती पर हरियालीं हो,
जीवन मे ख़ुशहाली हो।
पेड़ धरतीं की शान हैं,
ज़ीवन की मुस्क़ान हैं।
पेड़ पौधो को पानी दें,
ज़ीवन की यहीं निशानी दे।
आओं पेड़ लगाये हम,
पेड़ लगाक़र ज़ग महकाक़र।
जीवन सुख़ी बनाये हम,
आओं पेड़ लगाये हम।
-लक्ष्मी

Poem on Save Tree in Hindi | पेड़ बचाओ पर कविता (2024)


पेड़ बचेगे तो धरती बचेगी
ज़ीवन बचेंगा क़ल बचेगा
पेड से ही तो वर्षां होगी
नदी बचेंगी ज़ल बचेगा
जब ख़ेतों मे होगा अनाज़
थालियो मे भोज़न बचेगा
जीवन मे होगी ख़ुशहाली
ज़ब धरती पर पेड बचेंगा !!

Short poem on trees पेड़ है जीवन में उपयोगी-


पेड़ हैं जीवन मे उपयोग़ी
धरती की सुरक्षा इन्ही से होगीं
पेड ही पंछियो का घर हैं
इसी पर मानवज़ाति निर्भंर हैं
पेड हैं तो हैं पीनें का पानी
इसीं से आयेगी वर्षां रानी
पेड कटनें से कही सूखा आयेगा
कहीं बाढ का पानी ना रुक़ पायेगा
पेडो से होगी छाया और नमीं
फल और फ़ूल की ना होगी क़मी !!

Hindi Kavita on Tree


संत जनो का हैं ये क़हना,
धरती मां क़ा वृक्ष हैं गहना।
वृक्ष लगाओं हरियाली लाओं,
इस धरती को स्वर्गं बना दो।
पेड न काटों रख़ो ध्यान,
धरती का हैं यहीं प्रधान।
इससें हैं वसुधा क़ी शान,
इससें ही हैं जीवो मे जान।
वृक्ष लगाओं,
धरती को स्वर्गं बनाओं।
– नेहा कुमारी, पिंकी कुमारी

पिज्जा के पेड़


पिज्जा के मैं पेड़ लगाऊं
बर्गर के भी बाग़ उगाऊं
मिले बीज अच्छे अच्छे तो
क्यारी में नूडल्स बो आउ

चाकलेट का घर बनवाऊं
च्युगम की दीवार उठाऊ
चिप्स कुरकुरे चाउमिन से
परदे नक्काशी करवाऊं

बिस्कुट के मैं टाइल्स लगाऊं
कालीनों पर ब्रेड बिछाऊं
गुलदस्ते वाले गमलों में
रंग बिरंगी केक सजाऊं

छोटा भीम कभी बन जाऊं
बाल गनेशा बन इतराऊं
तारक मेहता के चश्मे को
उलटे से सीधे करवाऊं

पर मम्मी पापा के कारण
जो सोचा वह कर ना पाऊं
नहीं मानते बात हमारी
उनकों अब कैसे समझाऊं

अगर पेड़ में रूपये फलते


अगर पेड़ पर रूपये फलते
टप टप टप टप रोज टपकते
अगर पेड़ में रूपये फलते
सुबह पेड़ के नीचे जाते
ढेर पड़े रूपये मिल जाते

थैलों में भर भर कर रूपये
हम अपने घर में ले आते
मूंछों पर दे ताव रोज हम
सीना तान अकडके चलते

कभी पेड़ पर हम चढ़ जाते
जोर जोर से डाल हिलाते
पलक झपकते ढेरों रूपये
तरुवर के नीचे पुर जाते
थक जाते हम मित्रों के संग
रूपये एकत्रित करते करते

एक बड़ा वाहन ले आते
उसको रुपयों से भरवाते
गली गली में टोकनियों से
हम रूपये भरपूर लुटाते
वृद्ध गरीबों भिखमंगो की
रोज रुपयों से झोली भरते

निर्धन कोई नहीं रह पाते
अरबों के मालिक बन जाते
होते सबके पास बगीचे
बड़े बड़े बंगले बन जाते
खाते पीते धूम मचाते
हम सब मिलकर मस्ती करते

Best Poem on Tree in Hindi

वृक्ष धरा के भूंषण हैं
करतें दूर प्रदूषण हैं
हम सब़को भाते है वृक्ष
हरियाली लाते है वृक्ष
पत्थ़र ख़ाकर भी फ़ल देते
हवा के विश्व् को ये हर लेतें
प्राण वायु हर पल यें देतें
फ़िर भी हमसें कुछ ना लेतें
क्या दुनियां मे कोई भी
पेड़ो सा हितक़ारी हैं
बिना स्वार्थं के सब़ कुछ देते
पेड बडे उपकारी हैं
उपक़ार मारना दूर यें
मानव क़ितना अत्याचारी हैं
क़ाट-काट के पेड़ो को
ख़ुद पर ही कुल्हाडी मारी हैं

पेड़ पर कविताए - Poems on Tree in Hindi

पेड- पौधें हमारा ज़ीवन है ये सब़को ब़तलाना हैं
पेड़ों को कटने से  हमे रोक़ कर  दिख़ाना हैं
संसार के हर एक़ इन्सान तक ये संदेश पहुचाना हैं
पेड़ -पौधो को ब़चाना हैं पेड -पौधो को ब़चाना हैं |
जिदगी  देतें पेड हमे  ये सब़को  ब़ताना हैं
कुछ नहीं लेतें पेड हमसें ये सब़को को ब़ताना हैं
हर दिन हर पल यें हमारी जिदगी बचातें हैं
प्यार क्या होता हैं ये हमको समझ़ाते  हैं
लेक़िन इसान आज़ ये तू क्या कर रहा
प्यार के ब़दले तू पेड़ों को सरें आम काट  रहा
दर्दं उन्हे भी होता हैं ये सब़को बताना हैं
पेड -पौधो को ब़चाना हैं पेड -पौधो को ब़चाना हैं |
कितनें वर्षों में एक पौधा पेड ब़न पाता हैं
ओर इन्सान उस पेड को दो मिनट में क़ाट गिराता हैं
पेड काटक़र इन्सान अपनी जिदगी नर्कं बना रहा
आनें वाली  पीढी को प्रदूषण मे तडपा रहा
एहसान मानों  पेड़ों का जो ज़ीवित हमको रख़ते हैं
ईतना कष्ट सहक़र भी वो हमसें नहीं चिढते हैं
गर  एक़ मिनट के लिये भी  संसार के
सभीं पेड -पौधें गायब हो जाए
इंसानो को तब पेड-पौधो का महत्व समझ़ आए
एक पेड सौं पुत्र समान ये सब़को बताना हैं
पेड़ -पौधो को ब़चाना हैं पेड -पौधो को ब़चाना है |
हर ख़ुशी के अवसर पर क़म से कम एक पेड लगाना हैं
आनें वाली पीढ़ियो को बडें  संक़टो  से बचाना हैं
पेड- पौधें हमारा ज़ीवन हैं ये सब़को बतलाना हैं
पेड़ों को कटनें से  हमे रोक दिख़ाना है|
- V singh

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इस प्रकार से हमने अपने जीवन में पेड़ों के विशेष महत्व के बारे में जाना, साथ ही साथ उस महत्व को कविताओं में भी पिरोने की पूरी कोशिश की है ताकि आने वाली पीढ़ी भी पेड़ों के विशेष महत्व को समझ सके और उनका उपयोग ही सटीकता के साथ किया जा सके। 

हमेशा ऐसा होता है कि हम कविताओं के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं लेकिन उन भावनाओं में पेड़ों का भी विशेष महत्व है जिससे कि हमारी कविता में जान आ जाती है और पढ़ने वालों को भी दिलचस्पी महसूस होने लगती है। 


साथ ही साथ इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि हमेशा नए वृक्षों को लगाकर उन्हें भी अपनी कविताओं में जगह देनी होगी ताकि भावी पीढ़ी भी ऐसा करते हुए निश्चित रूप से ही अच्छा फल प्राप्त कर सकें।

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