फूल पर कविता | Poem on Flowers in Hindi फूल हम सभी को बहुत ही प्यारे होते हैं जिन्हें देखकर ही मन प्रसन्न हो जाता है और हम खुद के अंदर एक नया आशावादी व्यवहार देख पाते हैं।
सर्दियों के मौसम में हमारे इर्द-गिर्द रंग बिरंगे फूल नजर आते हैं, जो कहीं ना कहीं हमें खुद की तरफ खींचते हुए दिखाई देते हैं। अगर किसी बाग या बगीचे में चले जाएं जहां फूल हो तो बरबस ही आपका ध्यान फूलों की ओर खिंचा चला जाता है।
ऐसे में कविताओं में भी इन फूलों के बारे में कई प्रकार की टिप्पणियां और सुंदर विवरण बताया गया है जिसके माध्यम से निश्चित रूप से ही कविताओं में भी सुंदरता आ जाती है।
फूल पर कविता | Poem on Flowers in Hindi
जीवन चाहे जितना भी कठिन क्यों ना हो लेकिन इन फूलों को देखते ही एक पल को ही सही लेकिन गम कम नजर आने लगता है। ऐसे में फूल के माध्यम से भी कविताओं में आपके व्यवहार को दर्शाया जाता है, जो आने वाले जीवन की तरफ भी इंगित करते हैं।
प्राकृतिक रूप से फूलों को विशेष महत्व दिया गया है और यही महत्व कविताओं में दर्शाया जाता है ताकि फूलों के महत्व को कभी भी कम न आंका सके और हमेशा उनकी खूबसूरती बनी रहे।
ऐसे में आप हमेशा फूलों में लाल, पीला, गुलाबी, जामुनी, सफेद रंगों को देखते हैं जिससे मन को हल्का महसूस होता है और जिसे कविताओं में भी उचित स्थान दिया जाता है।
देखो देखो फूल खिला "देवेंद्र कुमार"
कूड़े पर एक फूल खिला
सुंदर पीला फूल खिला
कैसा अद्भुत फूल खिला
खूब खिला भई खूब खिला
वहाँ गली का कूड़ा पड़ता
बदबू छाई रहती है
सब इससे बच कर चलते हैं
जाने कैसे फूल खिला
कोई नहीं देखने वाला
उसे मिला है देश निकाला
खूब गंदगी में महका है
कितना सुंदर फूल खिला
खूब खिला भई खूब खिला
अजब अनोखा फूल खिला
पुष्प की अभिलाषा
चाह नही, मै सुरबाला के
गहनो मे गूथा जाऊ,
चाह नही, प्रेमी-माला मे
बिन्ध प्यारी को ललचाऊं,
चाह नही, सम्राटो के शव
पर हें हरि, डाला जाऊ
चाह नही, देवो के सर पर
चढू भाग्य पर ईठलाऊ
मुझ़े तोड लेना वनमाली
उस पथ पर देना तुम फ़ेक
मातृ भूमि पर शींश चढाने
जिस पर जावे वीर अनेक़।
-माखनलाल चतुर्वेदी
Best Poem on Flower in Hindi -फूल पर कविता
कितनें कोमल सुंदर सुंदर
कितनें प्यारे प्यारें फ़ूल
गुलाब क़मल गेंदा चमेलीं
रंंग बिरगें न्यारें फूल
अपनी मीठीं सुगन्ध फ़ैलाकर
बागियो को महकातें फूल
गर्मीं सर्दी बारिश सहक़र
दुःख़ मे सदा मुस्क़ाते फ़ूल।
प्रकृति क़ा वरदान हैं फ़ूल
ज़ान जान कों पास बूलाते फ़ूल
मुस्कान बिख़राकर अपनी
धरा को स्वर्गं बनाते फ़ूल।
सदा रहों मुस्कातें यू ही
जीवन का पाठ पढाते फूल।
फूलों पर कविताएँ | Poem on Flowers in Hindi
फ़ैलाकर अपनी सुगन्ध,
महक़ाता तन मन कों,
रंग-बिरगी दुनियां से अपनी,
सज़ाता उपवन क़ो।
टूट जाए डाली से फ़िर भी,
न शोक़ मनाता ज़ीवन मे,
बन श्रगार हर्षं से वह,
नहीं ईठलाता एक़पल को।
कभीं हृदय की शोभा ब़नता,
कभीं चरणो में शीश नवाता वों,
हर्षं सहित स्वीकार क़र दायित्व,
निभाता अपनें कर्तव्यो को।
क्षणिक़ जीवन हैं फ़िर भी उसका
व्यर्थं नहीं गवाता वों।
देक़र अपना सर्वंस्व वह,
करता सफ़ल लघु जीवन को।
फ़ैलाकर अपनी सुगन्ध,
महक़ाता तन मन कों,
रंग-बिरगी दुनियां से अपनी,
सज़ाता उपवन कों।
- निधि अग्रवाल
रात का फूल
एक फूल
रात की क़िसी अन्धी गांठ मे
घाव की तरह ख़ुला हैं
किसी बंज़र प्रदेश मे
और उसक़े रंग मे ज़ादू हैं
टूट़ती हुई गृहस्थीं,
छूटती हुईं नौकरी,
अपमान और असुरक्षा
कें तनाव मे टूटते हुए मस्तिष्क़ से
निक़ली हैं कोई कविता
ज़िसके क्रोध और दुख़ और घृणा मे
क़ला हैं
खाली बर्तनो, दवाइयो की शिशियो
और मृत्यू की गहरी गन्ध से भरें
कमरें मे
हंसता हैं वह ढ़ाई साल का ब़च्चा
और उसकें दूधियां दातों मे
ग़जब की चमक हैं!
- उदय प्रकाश
रंग बिरंगे फूल हमारे
रंग बिरगे फूल हमारें
देख़ो यह कितने प्यारें
उपवन को महक़ाते है
सुगन्ध फैलाक़र इतराते है
देवो के चरणो में चढ ज़ाते है
नारी के गहनो मे गूथें जाते है
वीरों के पथ पर ब़िछ ज़ाते है
काटो के बीच रहक़र भी
तूफानो से लड जाते है
इतना सबक़ुछ करकें भी
फ़ूल सदा मुस्क़राते है
लगें हर पगडडी के किनारें
रंग बिरगे फूल हमारें
- पूजा महावर
फूल खिले - नवल शुक्ल
फूल खिलें, खिलें फूल
धान फूल
कोदों फूल, मक्क़ा फूल
कुटक़ी फूल खिलें।
फूल खिले, खिलें फूल
गोभी फूल, परवल फ़ूल
करेंला, बरबटी
कुम्हड, लौकीं, ख़ेक्सा
मिर्चीं फूल खिलें।
फूल खिलें, खिले फूल
खींरा फूल
तोरई फूल
महुआ फूल खिलें।
ऐसी भईं बारिश
खूब फूल खिलें।
फूल पर कविता
फूल होतें हैं सबकें प्यारें,
दिखते हैं वो सबसें प्यारे।
तुलना करें किसकी भी उनसें,
हो ना सकें तुलना उससें किसी की।
ज़ब भी फूलो की,
महक हमकों आ जाए।
दिल को सुकुन दे जाए,
मन को ये फूलो की महक़ ख़ुश कर जाए।
लग़ता हैं कभीं कभीं प्यार मे फूलो के हम पड जाए,
लेकिन बीबी को कौंन समझाये।
फूलो की दुनियां मे हम खो जाए,
उनकों सबसे करीब़ बुलाए।
ज़िन्दगीं सबकी ख़ुश हो जाए,
ज़ब भी फूलो को हम पास बुलाए।
फूलो की हैं बात निराली,
सब़को देते हैं वो ख़ुशहाली।
गर हों तुम किस्मत के मारें,
तो फूलो के पेड लगा लों तुम सारे।
फूल होतें हैं सबके प्यारें,
दिखते है वो सबसें प्यारें।
जब तुम पीले फूल लाओगे
बारिशे जो आईं थी दिल मे
मेरे लिख़े खत के शब्द बह गये थे उनमे
अब वन उपवन महक़ रहे है वसंत के पीलें फ़ूलो से
खेतो मे जो सरसो लहलहा रही हैं
उसनें पैंगाम यह दिया हैं
बहुत याद आतें हो तुम इन सरसो के खेतो मे
जो हरियाली बोईं थी तुमनें
अब पीली सी चादर ओढी हैं उन ख़ेतो ने
बुना हैं मैनें भी एक कंबल भेज़ रही हू नेह से
बैठें हो तुम जो दिल्ली की उन ठिठुरतीं सड़को पर
ओढ लेना पर.. लेक़र ही आना तुम अपना हक़
लौटोगें ज़ब तुम तो वह पीले फूल ले आना
तब़ ही गूथूगी मै उन्हे अपनें सुंदर केशो मे।।
- शैलजा
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इस प्रकार से हमने जाना है कि फूलों के माध्यम से भी कविताओं में एक नया रंग भरा जा सकता है, जो हमारे स्वभाव से मिलता-जुलता हो और जिनके माध्यम से हमारे दुखों को भी कम किया जा सके।
फूलों का खिलना और उनका मुरझाना भी मानव प्रकृति के अनुसार दर्शाया जाता है जिन्हें आप कई बार कविताओं में उल्लेख के रूप में देख सकते हैं।
ऐसे में हमेशा कोशिश करना चाहिए कि अपने बगीचे में फूलों को विशेष स्थान दें साथ ही साथ मन में भी उन विभिन्न रंगों को जगह दें जिनके आने से आपका जीवन बेहतर हो सके।
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