पिता पर कविता | Poem on Father in Hindi हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा हमारे पिता ही होते हैं, जो सब कुछ ना कहते हुए भी हर बात को बड़ी ही सादगी के साथ बयां करते हैं और जिनका योगदान हम अपने जीवन में कभी भी नहीं भूल सकते हैं। पिता के हमारे जीवन में होने से एक नई सकारात्मकता आती है जो हमें प्रेरित करती है कि अगर हम किसी मुसीबत में आ जाएं तो वे हमेशा हमारा साथ देंगे।
पिता पर कविता | Poem on Father in Hindi
आज तक पिता के ऊपर न जाने कितनी कविताएं लिखी गई हैं जिनके माध्यम से हम कविताओं को अपने आदरांजली प्रस्तुत कर सकते हैं। पिता ही वह इंसान है जो हमारे जीवन में एक मुकाम तय करते हैं और जिसके बाद ही हम हंसी-खुशी आगे बढ़ सकते हैं।
किसी भी कविता में पिता के अस्तित्व को बहुत ही खूबसूरती के साथ बयान किया गया है जहां उनके होने का विशेष रूप से ध्यान रखा गया है साथ ही साथ उनके द्वारा कही गई बात हमारे लिए पत्थर की लकीर साबित होती है।
कविताओं में यह भी दर्शाया जाता है कि कोई भी पिता अपने बच्चों पर पूर्ण विश्वास करते हुए उन्हें जिम्मेदारी देते हैं ताकि बच्चा अपने हिसाब से अपने जीवन में आगे बढ़ सके और बिना किसी विपत्ति के मुश्किलों का सामना आसानी के साथ कर सके।
पिता के द्वारा समर्पण भाव को भी हमेशा कविताओं में एक विशेष स्थान दिया गया है जो हम बयां नहीं कर सकते।
पापा की याद "अब्दुल समद राही"
पापा जी अब गए शहर
लौटकर कब आएँगे घर
मम्मी जल्दी दे दो तार
कह दो बिल्लू सख्त बीमार
पापा जल्दी लौटो गाँव
हम सब पड़े तुम्हारे पाँव
उनको सलामत लाना रब
बच्चे करते इंतजार सब
पापा शहर से आएँगे
क्या क्या देखो लाएंगे
पिंकी की लाएंगे गुड़ियाँ
बिल्लू की दवा की पुड़िया
पिंकी खेलेगी गुड़िया जब
बिल्लू मिठाई खाएगा तब
पापा जी घर आएँगे
सबके मन हर्षाएंगे
तुम कितने अच्छे हो बापू
रोज सुबह उठकर खेतों में
हल बैलों के संग जाते हो
दिन भर कठिन परिश्रम करके
सांझ ढले घर में आते हो
नहीं डांटते कभी हमें तुम
ईश्वर से सच्चे हो बापू
मुझसे कहते खूब पढ़ो तुम
लेकिन खेलो भी मन भरके
खुले नयन में स्वप्न सजोकर
पूरा करना तुम प्रण करके
खेला करते संग हमारे
सच बिलकुल बच्चे हो बापू
तुम कितने अच्छे हो बापू
जब भी नई फसल आती तब
तुम मेरे कपड़े सिलवाते
साल महीने मगर तुम्हारे
धोती कुर्ते में कट जाते
ठान लिया जो करना है वो
निश्चय के पक्के हो बापू
तुम कितने अच्छे हो बापू
पापा तुमने कभी न जाना "अखिलेश श्रीवास्तव चमन"
पापा तुमने कभी न जाना
क्यों हम गुमसुम होते हैं
मम्मी तुमने कभी न समझा
आखिर क्यों हम रोते हैं
नींद नहीं पूरी हो पाती
सुबह जागना पड़ता है
हडबड तड़बड भारी बस्ता
लाद भागना पड़ता है
सब कहते पढ़ने लिखने को
विद्यालय हो चाहे घर
कोई कभी नही कहता कि
बच्चों खेलो जी भर कर
नहीं चाहिए हमें खिलौने
नहीं चाकलेट ना टाफी
मम्मी प्यार करो दुलराओ
बस इतना ही है काफी
थोड़ा समय हमें दो पापा
धंधे से छुट्टी पाकर
कभी तो बैठों पास हमारे
ऑफिस से जल्दी आकर
पापा हमसे कहें कहानी
मम्मी हमको दुलराएँ
फिर तो हम खुश रहे हमेशा
कभी न रोएँ चिल्लाएँ
पापा प्यार जताना जी तो "रमेशचन्द्र पन्त"
जब भी खेल खेलने जाते
या मित्रों संग गप्प लगाते
मम्मी हमें रोकती क्यों हैं?
पापा कुछ समझाना जी तो
हर पल हर क्षण घुटते रहना
टोका टोकी डांटे सहना
ऐसा भी अनुशासन कैसा
कोई राह दिखाना जी तो
सुबह शाम पढ़ना ही पढ़ना
नहीं तनिक भी बातें करना
बढ़ता बोझ किताबों का यह
पापा कम करवाना जी तो
कोई नहीं बात है सुनता
जिसे देखिए वही झिड़कता
हम बच्चे है कोमल कलियाँ
हम पर प्यार जताना जी तो
क्यों गुस्सा होते हो पापा
जब देखो तब बात बात पर
क्यों गुस्सा होते हो पापा
कोई छोटा या कि बड़ा हो
गलती तो सबसे होती है
मम्मी भी सहमी सी रहती
बेचारी छिपकर रोती है
इत्ती इत्ती सी भूलों पर
क्यों खोते रहते हो आपा
सब कहते है बच्चों से ही
घर आंगन होते फुलवारी
बचपन का मतलब नटखटपन
लगे बाँसुरी सी किलकारी
पाने को अनुराग आपका
हमने तो यह राग अलापा
गुस्से की ऐसी आदत से
हम भयभीत रहा करते है
हंसने गाने के ये दिन है
लेकिन कष्ट सहा करते हैं
दादी कहती गुस्सैलों को
ही जल्दी से आए बुढ़ापा
पापाजी
मैंने चित्रों में ही देखे
नदियाँ, पर्वत, जंगल
तितली, मछली, भालू, बंदर
गौरेया भी चंचल
कभी सामने उनको देखूं
यह इच्छा है मेरी
पापाजी! यह विनती सुनकर
करो नहीं अब देरी
अपनी आँखों से निहारकर
मैं खुश हो जाऊँगा
चित्रों भर से कहाँ तलक
अपना मन बहलाऊंगा
पापा सच सच मुझे बताना
पापा सच सच मुझे बताना
कुछ भी मुझसे नहीं छिपाना
मेरे जैसे जब बच्चे थे
तब के अपने हाल सुनाना
धींगा मस्ती धमा चौकड़ी
हल्ला गुल्ला शोर मचाना
और तुम्हे अच्छा लगता था
छत पर जाकर पतंग उडाना
दादाजी जब काम बताते
करते थे क्या नहीं बहाना?
मेरे भीतर देखो अपना
बचपन का वह रूप पुराना
पापा जल्दी आना
बोर अकेले में होता हूँ
पापा जल्दी आना
मेंरे उठने के पहले ही
तुम ऑफिस जाते हो
और हमेशा सो जाने पर
घर वापस आते हो
छुट्टी वाले दिन भी तुमको
पड़ता ऑफिस जाना पापा
मम्मी रही नहीं अब मेरी
जो मुझको नहलाती
टिफिन लगाती पानी देती
होमवर्क करवाती
सब कुछ मुझको करना पड़ता
हंसना रोना गाना पापा..
आज जन्म दिन मेरा पापा
तुमको याद दिलाता
खुश होते है सब इस दिन पर
मुझको रोना आता
आ जाओ तुम किसी तरह घर
आज नहीं बहलाना पापा
माना बहुत गरीबी घर पर
पास नहीं है पैसा
हम दोनों मिलकर सोचेंगे
काम बने कुछ ऐसा
अच्छे दिन आएँगे पापा
दूर बहुत मत जाना पापा
बोर अकेले में होता हूँ
पापा जल्दी आना
पापाजी
पापाजी मम्मी को हरदम
क्यों धमकाते हो
घर का सारा काम अकेली
करती मेरी मम्मी
खटती रहती सुबह शाम तक
कभी न थकती मम्मी
मम्मी सीधी गाय सरीखी
क्यों धकियाते हो
कभी न मीठे बोल बोलते
मैनें तुमको देखा
मम्मी का सब करा धरा
कर देते हो अनदेखा
दिखलाने भर को क्यों
महिला दिवस मनाते हो
ज्यादा दिन तक चल न सकेगी
पापाजी मनमानी
इसी महीने के आखिर में
आने वाली नानी
तब देखूँगी आखिर
कैसे तुम गुर्राते हो
बाबाजी को हुआ जुकाम
बाबाजी को हुआ जुकाम
गरमी में भी हुआ जुकाम
मिला नहीं उनको आराम
ठंडा दही बड़ा था खाया
गरम चाय का मजा उठाया
नहीं जीभ पर लगी लगाम
बाबाजी को हुआ जुकाम
हुई धूप तो गये टहलने
आए तो फिर लगे मचलने
फ्रिज का पानी पिया तमाम
बाबाजी को हुआ जुकाम
बाबा तुरंत दवाई खाओ
ओढो चादर फिर सो जाओ
ताकि आपको हो आराम
बाबाजी को हुआ जुकाम
टहलों सुबह सवेरे जाकर
शुद्ध हवा का लाभ उठाकर
करो रोग का काम तमाम
बाबाजी को हुआ जुकाम
पापा जी की चिट्टी
आई पापा जी की चिट्ठी
समझी मीठी, निकली खट्टी
लिखते हैं मैं हूँ दौरे पर
एक माह में लौटूँगा घर
तब तक घर के काम सम्भालों
टामी को भी देखों भालों
मम्मी को तुम तंग न करना
मुन्नी से भी जंग न करना
आवारागर्दी सब छोड़ों
डोर पतंगों से मुंह मोड़ों
पढ़ने में अब ढील न देना
फर्स्ट डिविजन तुमको लेना
अबके भी यदि फेल हुए तुम
नहीं रहूँगा यों गुमसुम
कान खिंचाई और मरम्मत
से आएगी तुम पर शामत
लम्बे लम्बे बाल कटेंगे
जेब खर्च भी सभी घटेंगे
अत्याचार न हो पाएगा
सबका जीवन बच जाएगा
ऐसा ही फिर किया सभी ने
सुख का जीवन जिया सभी ने
मात खा गई मोटी मछली
जीत गई सब छोटी मछली
मेरे प्यारे पापा कविता
मेरें प्यारे प्यारें पापा,
मेरें दिल मे रहते पापा,
मेरी छोटी सी खुशी के लिये
सब क़ुछ सह ज़ाते है पापा,
पूरी करतें हर मेरी ईच्छा,
उनकें ज़ैसा नही कोई अच्छा,
मम्मी मेरी ज़ब भी डाटे,
मुझ़े दुलारते मेरें पापा,
मेरे प्यारें प्यारे पापा।
सच सच कह दो पापाजी
बात बात गुस्से में न डांटो हमको पापाजी
हम बच्चों के मन में क्या है ये भी समझो पापाजी
बचपन में तो कभी आप भी
करते होंगे शैतानी
थोड़ी बहुत बहानेबाजी
थोड़ी सी आना कानी
टाला टूली करो न हमसे
सच सच कह दो पापाजी
हंसी ख़ुशी के कुछ पल ही तो
मिल पते हैं दिनभर में
उछल कूद करने को लेकिन
जगह नहीं दिखती घर में
अपने इस छोटे से
घर का नक्शा बदलो पापाजी
भीतर भीतर जी न घुटता
तो बोलो, हम क्यों कहते
डांट आपकी या मम्मी की
सुबह शाम यूं क्यों सहते
कभी बाग़ में हमें घुमाने को भी निकलो पापाजी
Best Poem on Father in Hindi
हर घर मे होता हैं वो इन्सान
जिसें हम पापा क़हते हैं।
सभी की ख़ुशियो का ध्यान रख़ते
हर क़िसी की इच्छा पूरी करतें
ख़ुद गरीब और बच्चो को अमीर बनातें
ज़िसे हम पापा क़हते हैं।
बड़ो की सेवा भाई-बहनो से लगाव
पत्नी क़ो प्यार, बच्चो को दूलार
ख़ोलते सभी ख्वाहिशो के द्वार
जिसें हम पापा क़हते हैं।
बेटी की शादी, बेटो को मक़ान
बहुओ की ख़ुशियां, दामादों का मान
कुछ ऐसें ही सफ़र में गुज़ारे वो हर शाम
जिसें हम पापा क़हते हैं।
– एकता चितकारा
पिता क्या है?
पिता एक़ उम्मीद हैं, एक आश हैं
परिवार क़ी हिम्मत और विश्वास हैं,
बाहर से सख्त अन्दर से नर्मं हैं
उसकें दिल मे दफ़न कई मर्मं है।
पिता सघर्ष की आधियो में हौंसलो की दीवार हैं
परेशानियो से लडने को दुधारी तलवार हैं,
बचपन मे ख़ुश करनें वाला ख़िलौना हैं
नीद लगें तो पेट पर सुलानें वाला ब़िछौना हैं।
पिता जिम्मेदारियों से लदी गाडी का सारथी हैं
सबक़ो बराबर का हक दिलाता यहीं एक महारथी हैं,
सपनो को पूरा करनें मे लगनें वाली ज़ान हैं
इसीं से तो मां और बच्चो की पहचान हैं।
पिता जमीर हैं पिता ज़ागीर हैं
ज़िसके पास यें हैं वह सबसें अमीर हैं,
कहनें को सब उपर वाला देता हैं ए सदीप
पर ख़ुदा का ही एक़ रूप पिता का शरीर हैं।
किससे पूछूं पापा
पापा मुझे बताओ बात
कैसे बनते हैं दिन रात
चंदा तारे दिखें रात को
सुबह चले जाते चुपचाप
पापा पेड़ नहीं चलते हैं
इनके दिन और इनकी रात
और ढेर सी बातें मुझको
समझ क्यों नहीं आती हैं
ना घर में बतलाता कोई
ना मैडम बतलाती हैं
फिर मैं किससे पूछूं पापा
मुझको बतलाएगा कौन
डांट डपट के कर देते हैं
मुझको पापा सारे मौन
Short Poems on father in hindi
वों पापा ही होते है
जो बाहर से दिख़ते सख्त है
मगऱ बच्चो की आंख़ो मे
आसू देख़ कर टूट ज़ाते है
फ़ोन पर बच्चो से
ज्यादा बाते नही क़रते है
मग़र मम्मी से
सारी हाल पूछ लिया क़रते है
सब की मनमर्जीं
क़ाम मे टोकतें बहुत है
मग़र उसमे भी बच्चो की
भलाईं सोचते बहुत है
हा मम्मीं की डाट से
ब़चाया करते है
मग़र कुछ मामलो मे
सख्ती दिख़ाया करते है
कभीं सलीक़ा सिख़ाते है
तो कभीं जींना सिख़ाते है मगर
हर लम्हे मे साथ निभाना ज़ानते है
हां हर फर्जं निभातें निभातें
जीवनभर कर्जं चुकाते है
बच्चो की ख़ुशी के लिये
अपनें सारें गम भुल जाते है
हां वों पापा ही होतें है
जो बाहर से दिख़ते सख्त है
मग़र बच्चो की आंख़ो मे
आसू देख़ कर टूट ज़ाते है..!
पिता का स्नेह Hindi Poetry for Dad
प्यार का साग़र ले आते
फ़िर चाहें कुछ न कह पातें
बिन बोलें ही समझ़ जाते
दुःख़ के हर कोनें मे
खडा उनकों पहले सें पाया
छोटी सी ऊगली पकडकर
चलना उन्होने सिख़ाया
जीवन के हर पहलू को
अपनें अनुभव से ब़ताया
हर उलझ़न को उन्होने
अपना दुःख समझ़ सुलझ़ाया
दूर रहकर भी हमेंशा
प्यार उन्होने हम पर ब़रसाया
एक छोटी सी आहट से
मेरा साया पहचाना,
मेरीं हर सिसकियो मे
अपनी आँख़ो को भिगोया
आशीर्वांद उनका हमेंशा हमनें पाया
हर खुशी को मेरी पहलें उन्होंनें जाना
असंमंजस के पलो मे,
अपना विश्वास दिलाया
उनकें इस विश्वाश को
अपना आत्मविश्वाश बनाया
ऐसें पिता के प्यार से
बडा कोईं प्यार न पाया
पापा ऐसी कुर्ती ला दो
पापा ऐसी कुर्सी ला दो
जिसमें कलफ लगी कालर हो
झिलमिल झिलमिल तारों वाली
लटकी उसमें झालर हो
पहन के कुर्ती को जब मैं
निकलूँगा घर के बाहर
देख के मुझको लोग कहेंगे
लगता है प्यारा राजकुंवर
बैठूँगा मैं फिर घोड़ी पर
साथ चलेंगे बाजे गाजे
परी आऊँगा परी लोक से
कहलाएगी घर की रानी
पापा ऐसी कुर्ती ला दो
इस प्रकार से हमने जाना कि हमारे जीवन में पिता का एक विशेष योगदान है जिनके होने से हमें किसी बात की कमी नहीं महसूस होती और जिनके ना रहने से हमें जिंदगी सूनी सूनी लगने लगती है।
इस वक्तव्य को वही इंसान समझ सकता है जिसके सिर पर पिता का साया ना हो, ऐसे में पिता पर लिखी गई इन कविताओं के माध्यम से भी पिता के बारे में संपूर्ण जानकारी दी जाती है ताकि हम भी अपने पिता का विशेष रूप से सम्मान कर सकें और उन्हें प्यार भी दे सकें।
ऐसे में हमारी यही सलाह होगी कि कभी भी अपने पिता का अपमान ना करें और हमेशा उनसे सही तरीके से व्यवहार करते हुए प्रेम पूर्वक रहें ताकि उनका आशीर्वाद आपको मिलता रहे और पिता रूपी उपहार हमेशा आपके साथ रहे।
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