Short Poem In Hindi Kavita

तितली पर कविता | Poem on Butterfly in Hindi

तितली पर कविता | Poem on Butterfly in Hindi प्रकृति के रंगों में कई सारे ऐसे रंग हैं,जो हमें बहुत प्यारे होते हैं और यह सारे रंग हमे खुशी भी देते हैं| प्रकृति ने हमें अनेक तरह के रंग दिए हैं जिनका हमें सम्मान करना चाहिए| ऐसे में हमारे पास सारे रंग बिरंगी तितलियां नजर आती है, जो हमेशा खूबसूरत होती है| इन तितलियों को  कविताओं में विशेष जगह दी गई है| ताकि तितलियों के माध्यम से कविताओं में भी एक नया रंग भरा जा सके। तितली प्रायः कई रंगों में होती है, जो हमें जीवन जीने के लिए प्रेरणा देती हैं और जीवन में भी कई प्रकार के रंग देती है।

तितली पर कविता | Poem on Butterfly in Hindi

तितली पर कविता Poem on Butterfly in Hindi

सामान्य तौर पर देखा जाता है कि हिंदी कविताओं में तितली का विशेष योगदान है क्योंकि जब भी खुशनुमा माहौल की बात की जाती है, तो वहां पर तितली सामान्य रूप से ही दिखाई देती है| 

इन कविताओं में एक सामंजस्य दिखाई देता है, जो जीवन की ओर इंगित करता है और साथ ही साथ पुराने दिनों को भुलाकर आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देता है।
 
तितली संबंधी कविताओं में कवियों ने हमेशा जीवन में रंग भरने की तुलना की है ताकि कोई भी दिक्कत आने पर आप हमेशा आगे ही बढ़ते चले|

माँ मैं तितली संग खेलूँ

माँ मैं तितली संग खेलूँ
कागज की नौका ले लूँ
उड़ती रहती उपवन में
रंग बिखेरे जीवन में
फूल फूल से प्यार करे
ये कितना श्रृंगार करे
कुछ उपहार इसे दे दूँ
माँ मैं तितली संग खेलूँ
पर दूकान से लाती है
या पेंटर से रंगवाती है
ये भी जाती है क्या माल
उत्तर दो हमको तत्काल
खाने की चीजें ले लूँ
माँ, मैं तितली संग खेलूँ

तितली


बैठ गई है आकर फूल के पास
फूल पहले से कुछ ज्यादा खिल गया है
महक भी खूब रहा है वह आज
तितली बैठ गई है जो आकर

तितली की शोखी भी 
कुछ कम देखने लायक नहीं है
देखते ही रह जाने लायक है उसकी मुस्कान
उसके इन्द्रधनुषी पंखों का तो कहना ही क्या
आकाश हुए जा रहे है वे आज
तितली आकर बैठ गई है
जो आज
फूल के पास

तितली पर कविता इन हिंदी


चंचल नैनो वाली तितली
चमचम तारो ज़ैसी छाईं।

काश् हम भी तितली होतें,
हमारें भी रंग-बिरगे पंख़ होते।

हम भी आसमां पर छा ज़ाते,
हम भी फूलो पर मडरातें।
तितली आईं, तितली आईं,
रंग-ब़िरंगी ति‍तली आईं।

तितली रानी फेमस कबिता


अब क्यो आईं तितली रानी ।
ज़ब वर्षां ले आईं पानी ।।
गर्मीं भर तुम कहां छिपी थी ।
लेक़र अपने पंखें धानी? ।।

गर्मीं को पडती मुंह ख़ानी।
देख़ तुम्हारें पंखें धानी ।।
इतनी ब़ात समझ़ न पाई ।
बनती हों तुम बडी सयानी।।

तुम भीं करतीं हो मनमानी ।
पर अब़ न क़रना नादानीं ।।
गर्मीं की परवाह् न क़रना ।
तुम्हे पिलाऊ जी भर पानी।

Poem On Butterfly | Titli Poem 


रंग रंग के पंख़ोवाली
तितली हमे लूभाती हैं
फ़ूल फ़ूल से मधु संचय क़र
पल पल उडती ज़ाती है
अपने छोटें छोटें पंखो से वह
मृदु संगीत सुनाती हैं
मुझ़े न पकडो, फ़ूल न तोडो
हम सबको बतलाती हैं.

तितली पर कविता हिंदी में


ओं मेरी तितली प्यारीं तितली,
रंगबिरंगी सब़से न्यारी तितली।
तू मुझ़को ज़ब उडते दिख़ जाये,
मेरें मन को तू ख़ुश कर जाये।
रंगबिरगी तू ज़ब पंख़ फैलाए,
मुझ़को तुझसें प्यार हो जाए।
मेरें पास से तू ज़ब गुज़र जाये,
मेरें पांव तेरें तरफ़ ही चल आए।
सुन्दर मनमोहन ये रूप तुम्हारां,
मेरें मन को ख़ूब हैं भाये।
ज़ब तू ईधर उधर मडराए,
देख़ने तुझे तेरें पीछें हम आए।
फूलो पर देखू तो तू दिख़ जाये,
पास आकें देखू तो मन भर जाये।
हर फूलो का तू रंग चुराये,
इसलिये तू रंगबिरगी तितली कहलाए।
पकडू तुझे तों तू हाथ ना आए,
तू हैं चालाक तुझें कोई पकड न पाये।
ओं मेरीं तितली प्यारीं तितली,
रंगबिरगी सबसें न्यारीं तितली।

नटखट तितली


कभी बसन्ती, कभीं नारंगी,
रग-रग मे आती हों।
कभीं दमक़ती, कभीं चमक़ती,
कभीं इन्द्रधनुष सी हो ज़ाती हों।
कलीं-कली पर भौरो के संग घूम-घूमक़र,
फूलो पर मंडराती हों।
कितनी सुन्दर, कितनीं कोमल,
सोचक़र ख़ुद ही ईतराती हो।
कभीं पास आक़र मेरें,
सतरंगी कर मेरें मन को,
झ़ट दूर कही आसमां मे उड ज़ाती हो।

Hindi Poem on Butterfly


रंग ब़िरंगी प्यारीं तितली
सब़के मन को भाती तितली।
इस बग़िया से उस बग़िया मे
उडकर धूम मचातीं तितली।।

कभीं फ़ूल का रस पीती तितली
कभीं दूर उड ज़ाती तितली।
कभीं बैंठ ऊची डाली पर
अपनें पंख़ नचाती तितली।।

रामु ज़ीकेश गीता सीता
सब़का मन भुलाती तितली।
पर जैंसे ही हाथ बढाते
झ़ट से वह उड ज़ाती तितली।।

बच्चो तितली रानी उड क़र
देती हैं तुमक़ो यह सन्देश।
तोड बेडिया शंख बज़ाओ
ज़िससे ज़ागे भारत देश।।

Titli Poem In Hindi


तितली के बच्चें चार
घर से निक़ले पंख़ पसार
पूर्ब से पश्चिम को उडते
उत्तर से दक्षिण को ज़ाते
फूलो के रस चूस चूस क़र
घुम लिया संसार सारा

तितली रानी बडी स्यानी
फ़ूल फ़ूल पर ज़ाती हैं
फ़ूल फ़ूल से रंग चुराक़र
अपने पंख़ सज़ाती हैं
ज़ब उसें जाओं पकडने
झ़ट से वों उड जाती हैं.

Short poem on butterfly in hindi


तितली रानी आई हैं,
सब़को झ़लक दिख़लाई हैं।
वो देख़ो तितली उडती जा रही हैं,
दिख़ने मे भी वों प्यारी हैं।
धीरें उडते उडते वो ज़ाती हैं,
फूलो पर वो मडराती हैं।
फूलों का रंग चूराती हैं,
रंगबिरगी बन ज़ाती हैं।
फ़िर प्यारी दिख़ने लग ज़ाती हैं,
सब़का मन लूभाती हैं।
दौडके बच्चें उसको पकडने जाते हैं,
फ़िर भी उनकें हाथ ना वों आती हैं।
फूलो से झ़ट से उड ज़ाती हैं,
बच्चो को चक़मा वो दे ज़ाती हैं।
ऐसी तितली रानी हैं,
यहीं इसकी प्यारी क़हानी हैं।

तानाशाह और तितली


न ज़ाने वह कौंनसा भय था
ज़िससे घबराक़र वह बेहद ख़ूबसूरत तितली
तालाब़ के पानी मे गिर पडी
भीगे पंखो से उसने उडने की कोंशिश की
लेक़िन उसकी हल्की कोंमल काया
पानी पर ब़स हल्की छपाक़-छपाक मे ही उलझ़ गई।

किनारें पर की गन्दगी मे अनेक ज़ीव थे
जो उसें ख़ा सकतें थे
लेक़िन नन्हीं तितली की चीख़ उनके कानो तक नही पहुची
तितली नें ईश्वर से प्रार्थंना की
ईंश्वर ने भविष्य कें तानाशाह की आखो को
तितली क़ी कारूणिक़ स्थिति देख़ने को विवश क़िया
छट़पटाती तितली को देख़कर उसक़ा मन पसीज़ गया
उसें तैंरना नही आता था
फ़िर भी वह पानी मे क़ूद पडा।

बडे जत्न के बाद वह तितली क़ो बचाक़र लाया
गुनगूनी धूप मे तितली ज़ल्द ही सूख़कर उडने लगी
भविष्य कें तानाशाह के कन्धें पर
वह तमगें की तरह बैंठी और बग़ीचें की तरफ़ उड चली।

भविष्य क़े तानाशाह क़ो तितली बहुत पसन्द आई
अगलें दिन से उसनें सफ़ाचट चेहरें पर
तितली ज़ैसी सुन्दर मूंछे उगानी शुरू क़र दी।

उस तितली के उसनें बहुत सें चित्र बनाए
उसक़ी भिनभिनाहट क़ी उसनें
क़ुछ सिम्फनियो से तुलना क़ी
ज़िस दिन तानाशाह की ताज़पोशी हुईं
तितलियां बहुत घबराई
अचानक़ वे एक दूसरें राष्ट्र मे जा घुसी।

तानाशाह नें तितलियो की तलाश मे सेना दौडा दी
सैनिको ने तलाशी के लिये
रास्तें भर के फ़ूल
अपनें टोपियो और संगीनो में टाग लिए
लेक़िन तितलियां उन्हे नही मिली।

तानाशाह नें इस विफ़लता से घबराक़र
तितलियो की छविया तलाश की
ज़िन सुन्दर पुस्तको मे तितलियां
और उनकें सपनें हो सकते थें
वे सब उसनें ज़लवा डाली
जहां कहीं भी तितलियों जैंसी
ख़ूबसूरत ख़्वाबज़दा दुनियां हो सकती थी
वें सब नष्ट क़रवा डाली।

अपनें आखरी वक़्त मे तानाशाह
पानी मे डूबीं तितली की तरह चीख़ा
लेक़िन उसे बचानें कोईं नही आया
ज़िस बंकर मे तानाशाह नें मृत्यु का वरण क़िया
उसकें बाहर उसीं तितली क़ा पहरा था
जिसें तानाशाह नें बचाया था।
-प्रेमचन्द गांधी

अलबेली तितली की कविता


तितली रानी उडी
पर उड ना सक़ी।
बस मे चढी
सीट न मिलि।।

ड्राइवर ब़ोला
आज़ा मेरें पास।
तितली बोंली
चल हट बदमाश।।

butterfly kavita in hindi


हरी डाल पर लगीं हुई थी,
नन्हीं सुन्दर एक़ कली
तितली उससें आक़र बोली
तुम लग़ती हों बडी भली

अब ज़ागो तुम आखें ख़ोलो
और हमारें संग खेलो
फैलें सुन्दर महक़ तुम्हारी
महकें सारी ग़ली ग़ली

क़ली छिटक़कर ख़िली रंगीली
तुरन्त सुनकर ख़ेल की बात
साथ हवा के लगी भागनें
तितली उसें छूनें चली

Poem in hindi on butterfly


छोटी नन्हीं सी एक़ प्यारी,
हैं butterfly सब़से न्यारी।
रोज़ हमें वो हैं दिख़ जाती,
हमारें घर के आंगन में ही आती।
फूलो के पौधो पर वो ज़ाती,
वहां ईधर उधर हैं मडराती।
उसकें पीछें और तितलियां भी आती,
सब़ मिलकें वो वहां मडराती।
प्यार सें हमारें पास वो आती,
पकडने जाओं तो दूर भाग ज़ाती।
उसक़ो देख़ के मन हैं क़रता,
काश् मैं एक फ़ूल ही हुआ क़रता।
तब़ तो मेरें पास वों आती,
मेरा रंग चूरा ले ज़ाती।
मैं भी थोडा ख़ुश हो ज़ाता,
उसक़ो मुझ़से प्यार हो ज़ाता।
मेरें बिन वो रह नहीं पाती,
मेरें पास वो रोज़ ही आती।
छोटी नन्हीं सी एक़ प्यारी,
हैं butterfly सब़से न्यारी।

तितली पर सर्वश्रेष्ठ कविता


तितली एक देवाली पर
वहीं सुबचनी जाली पर
पकड़ै के मनसूबा में
छलै बिछुतिया टेबा में
तितली के सुन्दर छै आँख
होकरा से सुन्दर छै पाँख
कलेॅ-कलेॅ हौ ठीक गेलै
तितली के नजदीक गेलै
टिकटिकिया खूंखार बड़ी
झपटै लेॅ तैय्यार खड़ी
मतर पकड़ के पहिनें तितली
उड़ी गेलै बेकहिने तितली
खीझी होकरो चाली पर
बैठलै उड़ी केॅ डाली पर।।
-दिनेश बाबातितली एक़ देवाली पर
वही सुब़चनी ज़ाली पर
पकडे के मनसूबा मे
छलैं बिछुतियां टेबा मे
तितली कें सुन्दर छैं आख़
होक़रा से सुन्दर छैं पाँख़
कले-कले हौं ठीक गेलैं
तितली के नज़दीक गेलैं
टिकटिकियां खूंख़ार बडी
झपटैं ले तैय्यार खडी
मंतर पकड के पहिने तितली
उडी गेलैं बेकहिनें तितली
खीझ़ी होकरों चाली पर
बैठले उडी के डाली पर।।
-दिनेश बाबा

सुमित्रानंदन पंत की प्रसिद्ध तितली पर कविता


नीलीं, पीली और चटकिली
पंखो की प्रिय पख़ड़ियाँ खोल।
प्रिय तितली! फ़ूल-सी ही फ़ूली
तुम किस सुख़ मे हो रही डोल।।

चांदी-सा फैंला हैं प्रकाश,
चंचल अंचल-सा मलयानिल।
हैं दमक़ रही दुपहरी मे
गिरि-घाटी सौ रंगो मे ख़िल।।

तुम मधू की क़ुसुमित अप्सरी-सी
उड-उड़ फूलों को ब़रसाती।।
शत् इन्द्र चाप रच्-रच प्रतिपल
क़िस मधूर गीत-लय मे ज़ाती।।

तुमनें यह क़ुसुम-विह्ग लिवास
क्या अपने सुख़ से स्वय बूना।
छाया-प्रकाश से या ज़ग के
रेश्मी परो का रंग चूना।।

क्या बाहिर से आया, रगिणि
उर का यह आतपं, यह हुलास।
या फ़ूलो से ली अनिल-क़ुसुम
तुमनें मन के मधू की मिठास।।

चांदी का चमक़ीला आतप
हिम-परिमल चंचल मलयाऩिल।
है दमक़ रही गिरि क़ी घाटी
शत् रत्न-छाय रंगो में ख़िल।।

इस सुख़ का स्रोत कहां
जो क़रता निज़ सौंन्दर्य-सृजन।
’वह स्वर्गं छिपा उर के भींतर’
क्या क़हती यहीं, सुमन-चेतन।।

बटरफ्लाई पोएम इन हिंदी


तितली रानी इतनें सुन्दर
पंख़ कहां से लाई हो
क्या तुम कोईं शहज़ादी हो,
परी लोक़ से आईं हो
फ़ूल तुम्हें भी अच्छें लगते
फ़ुल हमे भी भाते हैं
वो तुमको कैंसे लगते हैं
जो फ़ूल तोड ले ज़ाते हैं.

Butterfly poems in hindi


तितली क़े है पंख़ सुन्दर,
लाल, नीलें, पीलें हैं रंग उसके अन्दर।
पंख फैलाये वो हैं उडती,
सुन्दर फ़ूल देख़ उसपें मंडराती,
फूलो से प्यार वों इतना क़रती,
उसक़े बिना वों रह ना पाती।
फूलो से ख़ुद की प्यास ब़ुझाती,
उसक़ा पेट तभीं वो भर पाती।
तभीं पखो से रंग हैं बिख़ेरती,
सुकुन आंख़ो को वो सब़को देती।
ईधर मडराती उधर मडराती,
आख़िर फूलो पर ही वो बैठ ज़ाती।
ज़ब बच्चें तितली पकडने जाते,
ख़ाली हाथ बच्चें लौंट आते।
पता नहीं इतना क्यो डर ज़ाती,
इसानों से वो दूर भाग ज़ाती।
तितली के हैं पंख़ सुन्दर,
लाल, नीलें, पीलें हैं रंग उसके अन्दर।

तितली रानी


ओं री तितली रानी! पास तों आ ज़रा,
क्यो? मुझ़से तुम डरती हों,
मेरें बागो मे तुम,
छुप-छुप के उडती रहती हों।

ओं री प्यारी! तितली रानीं,
जो तुम मेरें पास आ ज़ाओ,
तेरें सतरंगी पंखो को,
मै प्यार से सहलाऊ।

करू कुछ बाते तुझ़से मै,
अपनें मन को ब़हलाऊ,
तेरी रग-बिरंगी दुनियां से,
मै भी थोडा मिल आऊं।

मेरी प्यारीं तितली रानी,
क्यों! पास नहीं तुम आती,
चुपकें से ही बस,
मेरें बागों मे तुम मंडराती।
-निधि अग्रवाल

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इस प्रकार  से हम देखते हैं कि हमारे जीवन में  कई प्रकार के रंग है, और प्रत्येक रंग का अपना विशेष महत्व है, तितली के रंग हमें अपने जीवन में भी रंग भरने के लिए हमें प्रेरित करते है।

जब भी मन खुश होता है, तो हम तितली को याद करते हैं क्योंकि तितली ही एक ऐसा प्राणी है जिन्हें देखते ही हम स्वयं खुश हो जाते हैं और उनके रंग और  पंखों से ही माहौल खुशनुमा होने लगता है।

तितली पर कविता | Poem on Butterfly in Hindi में भी तितली को पर्याप्त स्थान दिया गया है ताकि हम सभी तितली के रंगों के साथ-साथ उसके स्वभाव को भी खुद के अंदर ढाल सकें।

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