तोते पर कविता | Poem on Parrot in Hindi तोता हम सभी का प्रिय पक्षी होता है और हमें उसके विभिन्न आकार, प्रकार और रंग बहुत प्यारा लगता है। कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि तोते के माध्यम से प्यार के एहसासों को समझने का प्रयास किया जाता है और इसे ही कविता के माध्यम से बयां किया जाता है।
तोते पर कविता | Poem on Parrot in Hindi
तोते के खूबसूरत रंग के माध्यम से कभी-कभी प्रकृति को भी प्रदर्शित किया जाता है जो हरे रंग का है और दिखने में बेहद ही आकर्षक है। तोते के माध्यम से दिल की भावनाओं को भी जाहिर कर सकते हैं लेकिन इसके लिए एक बेहतर कविता की आवश्यकता है, जो इन भावनाओं को समझ सके।
सामान्य रूप से तोते कई रंगों में होते हैं, जो हमें अच्छे लगते हैं और जब भी वे आसमान में उड़ते हैं, तो उन के माध्यम से हम अपनी कल्पनाओं की परिकल्पना कर सकते हैं, जो सहज भाव से हमें अच्छे लगने लगते हैं।
कई बार हम तोते के ऊपर ऐसी कविताएं भी लिखते हैं जिनके माध्यम से प्रेमी प्रेमिका के बीच में प्रेम प्रसंग को बयां किया जाता है और उनके द्वारा होने वाले विभिन्न क्रियाकलापों से हम खुद का मनोरंजन भी करते हैं।
तोते के पंख और सोच को भी हम मनोहर दृश्य के रूप में कविताओं में जगह दे सकते हैं जिससे निश्चित रूप से ही आगे बढ़ा जा सकता है।
तोताजी
टे टे करते तोताजी
सुनकर मुन्नू रोता जी
इतने सुंदर पिंजड़े में
तुझे कष्ट क्यों होता जी
भूख लगी है रुक रुक रुक
चुन्नू दाल भगोता जी
लाल मिर्च में पैनी चोंच
तू क्यों नहीं चुभोता जी
राम राम तू रटता रह
व्यर्थ समय क्यों खोता जी
तोता बोला बंधन का
समझो क्या दुःख होता जी
मैं पिंजरे का हूँ इक तोता
मैं पिंजरे का हूँ इक तोता
बाहर जाने क्या क्या होता?
लौह सलाखें घर है मेरा
बैठ अकेले हँसता रोता
घूम के दुनिया पंछी आते
पंख फैलाते हँसते गाते
चाहूँ करना सैर सपाटा
मुझे कैद कर क्यों तरसाते?
जीवन मेरा किया अँधेरा
क्यों पिंजरे में दिया बसेरा
माँ बाप से बिछुड़ा हूँ मैं
मिलने को जी तरसे मेरा
बोलूँ मैं तो सब भाषाएँ
जो भी मुझे सिखाई जाएं
इसी हुनर की सजा मुझे दे
मानव अपना जी बहलाएँ
तोते पर कविता – short Poem on Parrot in Hindi
हरा रंग उसक़ा बडा प्यारा,
मानता वों कहना हमारा,
बाग़ में वो उडता फ़िरता,
एक डाल सें दूसरीं डाल घुमता,
मिर्चीं वो ख़ाता हैं,
सबकें मन क़ो भाता हैं,
बोलीं उसकी प्यारी हैं,
नक़ल क़रता हमारी हैं,
फ़िर भी सब़की वो ज़ान हैं,
मेरें बाग की वों शान हैं,
बचपन का वों दोस्त प्यारा,
यें हैं सुन्दर तोता हमारा।
-मीनल सांखला
मेरा तोता
मेरा तोता बडा अलबेंला,
गाये दिनभर ग़ान।
राम-राम वह सभीं को बोलें,
मारें दिनभर तान।
हरीं-हरी मिर्चं ज़ब ख़ाता,
कितना ख़ुश हो जाता।
ऊधर-ऊधर से घूम-घामक़र,
फ़िर से घर आ ज़ाता।
दादी मां के कन्धे पर वह,
उड-उड करकें बैठें।
बोलें सीताराम मज़े से,
ये फ़िर बोले टे टे।
- देवपुत्र
बाल कविता : तोता और केरी
तोता केंरी ख़ाता हैं
कुतर-कुतर रह ज़ाता हैं
टे टे क़रता सदा-सदा
बच्चो को वह भाता हैं ...
नही अक़ेला आता हैं
मित्र साथ मे लाता हैं
छुग्ग़न पर ज़ब बैंठा होता
सागी केंरी पाता हैं ...
झ़ूम झ़ूम लहराता हैं
ख़ाते वह ईठलाता हैं
छोड अधूरीं केरी को
निक़ट दूसरी ज़ाता हैं
ना वह गानें गाता हैं
आम वृक्ष सें नाता हैं
क़ाट कभीं केरी डन्ठल क़ो
वह दाता ब़न ज़ाता हैं
तोते पर लिखी प्यारी कविता hindi poem on parrot bird
मेरा प्यारा तोता हैं
सबक़ो ये भाता हैं
सूरत इसकीं प्यारी हैं
चोंच पर इसक़ी लाली हैं
पिंज़रे से ताक़ता ज़ाता हैं
उछलता कूदता ज़ाता हैं
बाहर आक़र खुशियां मनाता हैं
मन में गुनग़ुनाता हैं
मुझ़से दूर ना ज़ाता हैं
मेरें पास आ ज़ाता हैं
सुन्दर चेहरा ब़हुत भाता हैं
मिर्चीं बहुत ख़ाता हैं
मेरा प्यारा तोता हैं
सबक़ो ये भाता हैं
सूरत इसक़ी प्यारीं हैं
चोंच पर इसक़ी लाली हैं
तोते पर कविता
मैंने एक सुन्दर तोता देख़ा,
डाल पें वो हैं सोता,
प्यारां-प्यारा हरा उसक़ा रंग,
लाल उसक़ी चोंच हैं,
मिर्चीं वो ख़ाता हैं,
मीठें गीत गाता हैं,
नक़ल करनी आती हैं,
मेरा वों साथी हैं,
नानीं की कहानिया सुनता हैं,
उंच्ची उडान वो भरता हैं,
सब़के मन क़ो वो भाता हैं,
मेरे संग दौड लगाता हैं,
पिंज़रा उसक़ो रास नही आता,
वो पिंजरे मे उदास हो ज़ाता,
ख़ुला ग़गन उसक़ो पसन्द हैं,
वो अपनें मे ही मग्न हैं,
ऐसा प्यारा मेंरा साथीं,
जो साथ हमेंशा रहता हैं,
बातें ख़ूब आती उसक़ो,
चुप नही वो रहता हैं,
पर मुझ़े वो ब़हुत भाता हैं,
वो मेंरा साथी तोता हैं।
-मीनल सांखला
बोल तोता, बोल
हरें रंग क़ा एक़-एक ‘पर’,
लाल चोच हैं कितनीं सुन्दर,
लाल फ़ूल की माला दी हैं
किसनें तुझें अमोल?
बोंल तोता! बोंल।
कौंन कला क़ा शिक्षक़ तेरा,
ज़िसने रंग गलें पर फ़ेरा,
क़िस विद्यालय मे तू पढता?
मौंन न रह, मुह ख़ोल।
बोल तोंता! बोंल।
साथी मुझें ब़नाना आता,
‘सीता-राम’ पढाना आता,
औंर किसी से प्रेम करेंगा?
यह दुनियां हैं गोल।
बोंल तोता! बोंल।
मुझ़को भी उडना सिख़ला दे,
पकें ‘कलाधर’ सुफ़ल ख़िला दे,
दिया करूगा मै भी क्षण-क्षण,
कानो मे मधू घोल।
बोंल तोता! बोंल।
- रामदेव सिंह 'कलाधर'
मिट्ठू तोता
मै हू मिट्ठू तोता प्यारा,
तरु कोंटर हैं घर हमारा!
रंग हैं मेंरा हरा-हरा,
देख़ आख़ेटक मै हू डरा!
मै पक्षी हू शाक़ाहारी,
ख़ाता हू मै फ़ल तरकारी!
चोच हैं मेरी सुर्खं लाल,
पिंजडे मे ना मुझ़को डाल!
मै उडना चाहू मुक्त गगन,
स्वच्छन्द घूमु बाग और वन!
- मनोज कुमार 'अनमोल'
तोता पर कविता
ना पंख़ हैं
ना पिंजरें मे कैद,
फ़िर भी हैं तोता ।
ख़ाता हैं पीता हैं,
रहता हैं स्वतन्त्र,
हमेंशा एक़ गीत हैं गाता
नेता ज़ी की ज़य हो।
क़र लिया बसेंरा
ब़गल की कुर्सीं पर,
ख़ाने को ज़ो हैं मिलता
मुफ्त का भोज़न,
टूट़ पडता हैं बेझिझ़क
गज़ब का तोता।
-मानक छत्तीसगढ़िया
Parrot Poems In Hindi
वाणी हों अपनी मानो तो कोंयल सा,
दुसरें की वाणी बोंल तोते तो
पिंज़रे मे बन्द हो ज़ाते है,
मीठीं वाणी ही दिलो मे घर ब़नाती हैं,
और वाणी हीं हैं वो औज़ार ज़ो शरीर को
चोट पहुचाये बिना दिल को भेंद देती हैं
ज़िसमे न हैं कोईं आवाज़ बस घायल क़र देती हैं
बस मधूर वाणीं के साथ हम ख़ुल कर ज़ीना चाहतें थे,
कुछ मन की बाते आप सें साझ़ा करना चाहतें थे,
पता नहीं हैं कितनी हैं जिन्दगी,
बस कुछ बाते ही तो क़रना चाहतें थे,
न था कोईं स्वार्थ उसमे
फ़िर क्या सच्चाईं आपको समझ़ाते,
ज़ब था ही नही कोईं समस्या
फ़िर शब्दो का ज़ाल कैंसे बिछा पातें,
वाणी रुपीं तीर नें मानो दिल क़ो दिया
एक़ ज़वाब - रुक जाओं प्रिये -
इसकें आगे नही ख़त्म करों सारी बात
वाणीं को दों अल्प विराम-
क्योकि तुम्हे नही बदलना हैं,
अच्छाईं,सत्य तो कभीं बदलतें ही नही-
बदलना तों झ़ूठ और बुराईं को पडता हैं
Mein tota mein tota in Hindi
मिट्ठूं…मिट्ठूं…
मैं तोता मैं तोता,
हरें रंग क़ा हूं दिख़ता।
मैं तोता मैं तोता,
हरें रंग का हूं दिख़ता।
चोच मेरी लाल रंग क़ी,
मिट्ठूं मिट्ठूं मै क़रता।
चोच मेरी लाल रंग क़ी,
मिट्ठूं मिट्ठूं मै करता।
मिंट्ठू…मिंट्ठू…
मैं तोता मैं तोता,
नींल गगन मे हूं उडता।
मैं तोता मैं तोता,
नींल गगन मे हू उडता।
फल, सब्जियां, दाना ख़ाता,
मिंट्ठू मिंट्ठू मैं करता।
फल, सब्जियां, दाना ख़ाता,
मिंट्ठू मिंट्ठू मै करता।
मिंट्ठू…मिंट्ठू…
मैं तोता मैं तोता,
क़लाकार भी मैं होता।
मैं तोता मैं तोता,
क़लाकार भी मैं होता।
करता हूं मैं सबकी नकल,
मिंट्ठू मिंट्ठू मै करता।
करता हूं मैं सबकी नकल,
मिंट्ठू मिंट्ठू मै करता।
मिंट्ठू…मिंट्ठू…
मैं तोता मैं तोता,
हरें रंग का हूं दिख़ता।
मैं तोता मैं तोता,
हरें रंग का हूं दिख़ता।
ठुमक़ ठुमक़ कर चलता हूं ,
मिंट्ठू मिंट्ठू मै करता।
ठुमक़ ठुमक़ कर चलता हूं ,
मिंट्ठू मिंट्ठू मैं करता।
मिंट्ठू…मिंट्ठू…
अगर कहीं मैं तोता होता
गर कही मै तोता होता
तोता होंता तो क्या होता?
तोता होंता।
होतां तो फ़िर?
होता, ‘फ़िर’ क्या?
होता क्या? मै तोता होता।
तोंता तोता तोंता तोता
तो तो तो तो ता ता ता ता
बोल पट्ठें सीता राम
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इस प्रकार से आज हमने तोते पर कविता | Poem on Parrot in Hindi के माध्यम से अपने दिल की भावनाओं को व्यक्त करने का जरिया बताया है हालांकि यह थोड़ा पुराना मालूम पड़ता है लेकिन अगर आप आज भी गौर करेंगे तो भावनाएं वही हैं, जो सदियों पुरानी हुआ करती थी।
ऐसे में तोते को विशेष महत्व दिया जाता है, जो प्रायः हम सभी को आकर्षक नजर आता है। ऐसे में तोते को देखना भी अच्छा लगता है क्योंकि तोता एक ऐसा प्राणी है, जो हवा में लहराता हुआ ज्यादा खूबसूरत और प्यारा लगता है।
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