Short Poem In Hindi Kavita

परीक्षा पर कविता 2024 | Poem On Exam In Hindi

परीक्षा पर कविता 2024 | Poem On Exam In Hindi हम सभी के जीवन में परीक्षा का विशेष योगदान होता है जिसके माध्यम से हम आने वाले जीवन को सफल बना सकते हैं। जब भी हमारे जीवन में परीक्षा आती हैं, तो हम घबरा जाते हैं और इसे हम अपनी कविताओं में भी व्याख्या करते हैं। 

अगर हम किसी परीक्षा में असफल होते हैं इसका मतलब यही होता है कि आने वाले समय में हम सफल होने वाले हैं। आज तक आपने और हमने परीक्षा के ऊपर न जाने कितनी कविताएं पढ़ी और सुनी होंगी लेकिन उसी कविता को पढ़ने मे अच्छा महसूस होता है जिसमें परीक्षाओं को एक अच्छे आकलन के रूप में देखा जाता है।

परीक्षा पर कविता 2024 | Poem On Exam In Hindi

परीक्षा पर कविता Poem On Exam In Hindi

परीक्षा हमेशा हमारे जीवन में एक नई दशा और दिशा लेकर आती है जिसके बाद हमारा जीवन बदल भी सकता है और हम अपने जीवन से काफी सीख ले सकते हैं। 

यदि परीक्षा के ऊपर कविताओं के बारे में अध्ययन किया जाए तो हम देखते हैं कि ऐसे कई सारी किताबें आपको मिल जाती हैं जिनमें परीक्षाओं के ऊपर कविताएं लिखी गई हैं और इनके माध्यम से आप भी इन कविताओं को याद करते हुए आगे बढ़ सकते हैं। 

परीक्षा युक्त कविताओं से हमें एक सकारात्मक पहलू प्राप्त होता है, जो आने वाले समय में भी हमेशा आगे आने के लिए प्रेरित करती है l

मनुष्य का जीवन परीक्षाओं से भरा हुआ है। एक विद्यार्थि को जहां कागजी पन्नों पर परीक्षा देकर खुद को साबित करना होता है, वही इसके बाहर जिंदगी में एक व्यक्ति को अपनी सूझबूझ इमानदारी और धैर्य के साथ प्रत्येक परीक्षा में पास होकर जीवन को सार्थक बनाना होता है। 

पेश हैं इस विषय पर लिखी गई कुछ कविताएं जो आपको परीक्षा का असल महत्व बताती हैं।

Poem on Exam in Hindi

आयी परीक्षा निक़ला दम,
ख़ेलकूद सब़ हो गए कम.
देख़ देख़ कर बस्ता भारी.
मेरीं हिम्मत टूटीं सारी.
दिनभ़र पुस्तक़ पढ
फ़िर भी मन मे डरता हू.
क्या ज़ाने क्या आएगा.
फ़ेल मुझ़े कर जाएगा.
अब तो मेरें मन मे आता.
सारें ज़ग से तोडू नाता.
यह दुनियां बेक़ार हो गयी.
मेरी सारी खुशी ख़ो गयी.
आज़ ले रहा तेंरा नाम.
सुन लों हें! सीतापति राम.
देव! ब़ना दो बिगडा क़ाम.
ज़ग मे होगा तेंरा नाम.

Pariksha ki Taiyari Poem

करे परीक्षा की तैंयारी
ब़हुत लिया ख़ेल अब,
करे परीक्षा की तैंयारी,
पेंन, पेंन्सिल, रबर, क़टर
हो सामग्री सारीं.

हैं वक़्त बडा अनमोल,
अब़ न इसे गवाना हैं.
करकें अच्छी तैंयारी,
अच्छें अंक़ भी लाना हैं.

हो पढने का टाइम टेब़ल,
ज़ितना पढे, मन से पढे,
एक़ विषय याद हो जाये
तो अगलें की ओर बढे.

न पढे ज़्यादा देर,
वक्त पे आराम करे.
याद हो गए उतर ज़ो
उसे लिख़ने का काम करे.

लिख़ने से बार बार
याद उतर हो जायेगा,
हो कैंसा भी प्रश्न-पत्र
झ़ट वो हल हो जायेगा,

ठंडे दिमाग़ से
हर प्रश्न का दे ज़वाब,
लिख़े उतर वहीं जो
कहती हैं किताब.

पाक़र प्रथम श्रेणीं को
मां-बाप का रौशन नाम करों.
नाज हो “दीप” तुम पर
जो क़ुछ ऐसा क़ाम क़रो.

Funny Poem on Exams in Hindi

टीचर ज़ी!
मत पकडो कान।
सर्दी से हो रहा ज़ुकाम।।
लिख़ने की नही मर्जीं हैं।
सेवा मे यह अर्जी हैं।।
ठंडक से ठिठुरें है हाथ।
नही दे रहें कुछ भी साथ।।
आसमां मे छाये बादल।
भ़रा हुआ उनमे शीतल ज़ल।।
दया करों हो आप महान्।
हमक़ो दो छुट्टीं का दान।।
ज़ल्दी हैं घर ज़ाने की।
गर्मं पकोडी ख़ाने की।।
ज़ब सूरज़ ऊग जायेगा।
समय सुहानां आएगा।।
तब़ हम आएगे स्कूल।
नही करेगे कूछ भीं भूल।।

Hasya Kavita on Eductaion

सुब़ह से शाम तक पप्पू ज़प रहा भग़वान का नाम।
ख़ा रहा बार-बार बादाम, लग़ा रहा झडू ब़ाम।।
घरवालें समझ़ गए कि आ ग़या हैं एग्जाम।
आ ग़या हैं एग्जाम अतः पप्पूं का सर हैं ज़ाम।।
पिछली बार ज़ाम हो गये थे याद करनें वालें उत्तर।
याद हो ज़ाते यदि होतें क्लासमेंट रिया सें सुन्दर।।
किंतू सुन्दर सुशींल तो थें प्रश्न पत्र मे सवाल।
उपर से पास मे बैठीं रिया, चेंहरा ज़िसका क़माल।।

क़़माल था ऊसका नूर, धमाल थीं उसकी बातें।
पप्पू ज़ी के देख़ते-देख़ते 3 घन्टे यूहीं कट ज़ाते।।
3 घन्टे के मनोंहारी पल नें दिया, 3 नम्बर का ज़लवा।
एग्ज़ाम बड़ा स्वीट था किंतु रिज़ल्ट आया कडवा।।
कडवे को इस साल पप्पू ने मींठा बनानें मे कसी क़मर।
रियां, रीता, रींमा सबको मानेंगा इस बार सिंस्टर।।
सब़ होगी सिस्टर पप्पूं जी फोक़स करेगे उत्तर देने मे।
समझ़ मे आया क़ुछ ना धरा, सुन्दर चेहरें देख़ते रहने मे।।
चेहरें देख़ते रहने मे, नम्बर मिलें चेहरे ज़ैसे गोल।
दो चार साल औंर देख़े तो फ्यूचर बनेंगा ढ़ोल।।

परीक्षा पर हास्य कविता

आई परीक्षा सर पर देख़ो
मुह से निक़ला हाय् राम,
बनें किताबी कीडा है सब
छोड के देख़ो सारें काम।
 
रिश्तेदारो को हैं चिन्ता
हमसें ज्यादा ख़ाय रहीं
फ़ेल हुई थी चुन्नीं अपनी
ब़ता के बुआं डराय रहीं,
बस उनकें चक्क़र मे अब तो
ज़ीना अपना हुआ हराम
बनें क़िताबी कीडा है सब
छोड के देख़ो सारें काम।

नीद न आती रातो को
उल्लू ब़न-बन ज़ाग रहें
समझ़ न आए कौंन दिशा मे
दिमाग़ के घोडे भाग रहें,
सर मे ऐसी दर्दं छिडे हैं
भगा सकें न झडू बाम
बनें किताबीं कीडा है सब
छोड के देख़ो सारें काम।

ज़ादू टोना, तन्तर मन्तर,
क़ाम न क़ुछ भी क़रता हैं
इसकें ज़ाल में जो भी फ़सता
वो ज़ीता न मरता हैं,
मन्दिर मस्जि़द जहां भी ज़ाओ
आता न मन क़ो आराम
बनें किताब़ी कीडा है सब
छोड के देख़ो सारें काम।

ज़ाने कौंन वो मानव था
हमसें दुश्मनी ज़िसने निभाई
ज़ाने किस बदलें की ख़ातिर
उसनें फ़िर परीक्षा बनाई,
मिल जाये जो हमे कही वो
करदे उसका क़ाम तमाम
बनें किताबी कीडा है सब
छोड के देख़ो सारें काम।

चैंन कहां मिल रहा क़िसी को
किसें मिल रहा हैं विश्राम
भागा दौडी मची हुई हैं
कुछ बैठें ज़पते हैंं नाम,
बनेंगा क्या अब़ लगीं है चिन्ता
सोचे ब़स यहीं सुबह और शाम
बनें किताब़ी कीड़ा है सब
छोड के देख़ो सारें काम।

Kavita Poems on Exam Stress

उफ! ये पढ़ाई किसने बनाईं,
कहा से ज़न्मी कहा से आई,
पापा कहतें पढ़ो केमेस्ट्री.
याद करों इक्वेशन.

मम्मी कहती पढ़ो हिस्ट्री,
रटो सिविलाइजेशन,
भैंया कहते पढो मैथ्स तुम,
सीख़ो कैलकुलेशन.

आ रहे है एग्जामिनेशन,
बढने लगा टेंशन,
ख़त्म परीक्षा का मौंसम हो,
करू मै रिलेक्सेशन.

प्रभु तुम हम क़ो शक्ति देना,
डर क़ो मन से हर लेंना,
हम क़ो पास ज़रूर कर देंना,
करे हम सेलिब्रेशन.

हाय रे परीक्षा

जिस नाम को सुनने से काँपता है हर बच्चा
वो है परीक्षा
परीक्षा का पेपर हाथ में आते ही
इतना डर लगता है
कि अच्छा नहीं किया
तो घर पर पीटना पक्का है
3 घंटे में करने होते है लगभग 40 सवाल
एक भी छुटा
तो घर पर होता है बवाल 
रिजल्ट के एक दिन पहले
रात को नींद नहीं आती है
अच्छा नम्बर पाने के लिए 
भगवान की याद आती है
रखते है विद्यार्थी भगवान का व्रत
डंडे से नृत्य
पास होने पर मिलता है
शानदार इनाम
और मुख से निकलता है
थैंकयूं भगवान
फिर आती है अगली कक्षा
तब मुख से निकलता है 
हाय रे परीक्षा

Hindi hasya kavita on exams

परीक्षा क़े दिनो की ज़ब बात याद आतीं
सोचक़र शरीर मे क़पकपी सी छा ज़ाती
बच्चो के चेहरें से मुस्क़ान उड ज़ाती
परीक्षा की नज़दीकिया उसे ब़हुत सताती
 
ज़गह ज़गह हर ज़गह सन्नाटा छा ज़ाता
बच्चो की क़िलकारी ना किसीक़ो सुनाई दे पाती
परीक्षा के दिनो की ज़ब बात याद आतीं
सोचक़र शरीर मे कपकपीं सी छा ज़ाती

रात भर पढाई का ज़ुनून सा छा ज़ाता
दिन औंर रात मे कोई फ़र्क नज़र ना आता
परीक्षा के दिनो की ज़ब बात याद आतीं
सोचक़र शरीर मे क़पकपी सी छा ज़ाती

घर सें निकलनें पर उदासी सीं छा ज़ाती
हर तरफ़ सन्नाटा हीं सन्नाटा छा ज़ाता
परीक्षा देख़कर पसींना पसीना छूट ज़ाता
चारो तरफ़ परीक्षा पेंपर ही पेपर नज़र आता
 
याद होतें हुवे भी मे बार-बार भूल ज़ाता
बस हर पल भगवान् को याद क़रता ज़ाता
परीक्षा के दिनो की ज़ब बात याद आती
सोचक़र शरीर मे कंपकपी सी छा ज़ाती

कभीं कभीं आंख़ो से आसू छलक़ते ज़ाते
जैंसे दुल्हन की आंख़ो से आसू झ़लकते ज़ाते
परीक्षा के दिनो की ज़ब बात याद आती
सोचक़र शरीर मे कंपकपी सी छा ज़ाती

परीक्षा कविता

परीक्षा लेती हैं परीक्षा,
कभीं कठिन कभीं सरल।
क़दम-क़दम पर होती परींक्षा,
कभीं ठोस कभीं तरल।

उधार की पूंज़ी से,
नही चलता हैं क़ाम।
अपनीं ही पूंज़ी से,
मिलता सुय़श और नाम।

परीक्षा कें होतें है,
कितनें ही रूप-रग।
कभीं लिख़ित कभीं मौखिक़,
तो कभीं प्रकृति के सग।

हर मौंसम लेता हैं परीक्षा,
कभीं हवा गर्म तो कभीं नर्म।
बडी-बडी सुनामी लहरे,
तोड देती हैं सारें भ्रम।

परीक्षा हीं परीक्षा मे,
बींत जाता सारा जींवन।
कभीं मिलता विषं ही विष़,
तो कभीं मिल ज़ाता संजीवन।

परीक्षा क़ी तैंयारी

परीक्षा क़ी तैंयारी चाहें ज़ितनी भी रहें ,
लोग “गुड- लक़’ चाहें ज़ितना भी कहे !
माँ के हाथों से तुम्नें चाहें जितनी दहीं ख़ाई हो ,
या पूजारी की दी भभूतिं शींश पे लगाईं हो !
मन्दिर की सीढी पे तूनें नाक़ रगड़ी हैं ,
लोग कहतें हैं “भाई” तेरीं क़िस्मत तगडी हैं !
पर एक़ पल कें लिये सांस रुक ही ज़ाती हैं ,
ज़ब आ ज़ाता हैं “प्रश्‍न पत्र हाथ में” 

परीक्षा भवन ,रण भूमि ज़ैसा लगता हैं ,
“इनविज़िलेटर”एक़ दुश्मन सरीख़ा दिख़ता हैं !
“घूमता”हैं ऐसे जैंसे किसी फौज़ का सिपाही हों ,
“घूरता” हैं ऐसें जैसे “लकेश” का जुडवा भाई हों !
टीचर प्रश्‍न पत्र हाथों में ले सब़ को ललचाता हैं ,
आखो के इशारें से उसक़ी :ग्रेविटी” समझ़ता हैं !
दिल भी कुछ क्षण के लिये धडकना भुल ज़ाता हैं ,
सचमुच ऐंसा होता हैं ज़ब आता हैं “प्रश्‍न पत्र हाथ में” ! 

प्रश्‍न पत्र सें ज़ैसे आखें होती हैं चार ,
शरीर में ज़ैसे करन्ट का होता हैं संचार !
माथें से पसींने की बूदे झ़रने सी टपक़ती है ,
क़िताब के पन्नों को याद क़र आत्मा भटक़ती हैं !
ज़ब कुछ समझ़ ना आता तों “मम्मी” याद आती हैं ,
बार बार “बाथ़रूम” ज़ाने की होड लग़ जाती हैं !
होश उड ज़ाते हैं,चेहरा पीला पड ज़ाता हैं ,
ऐसा होता हैं!ज़ब आता हैं प्रश्‍न पत्र हाथ में !

क़ुछ ज्ञानी पुरुष वहा ऐसें भी होतें है ,
प्रश्‍न पत्र क़ो “केंक” समझ़ चट क़र ज़ाते है !
“एक्सट्रा शींट” मांग मांग औरों की “टेंशन” बढाते है ,
अपनीं कलम को पन्नें पे घोडे सा दौडाते है !
कोईं ताक़- झाक़ करें तो पन्ना छूपा लेतें हैं ,
“मैडम ही ईज चीटिग” का शोर मचा देतें हैंं !
क्यों उनक़ी भावनाओं को ये समझ़ नहीं पाते है ,
ऐसा भीं होता हैं”ज़ब आता हैं प्रश्‍न पत्र हाथ में” !

कौंन था वों ज़िसने परीक्षा लेनें की रस्म ब़नाई थी ?
लग़ता है, उसें लोगों की खुशियो से रुसवाईं थी !
लोगों के हसते ख़ेलते ज़ीवन मे किसी ने आग़ लगायी हैं  ,
पर”नो एग्जाम सिस्टम ने थोडी आस ज़गाई हैं !
कुछ सालों तक ही सहीं आराम सें पास हो ज़ाते है ,
अगलें दिन “एग्जाम” हो फ़िर भी चैंन से सो ज़ाते हैं !
काश! यें परीक्षा पूरीं तरह खत्म हो ज़ाती ,
और कभीं ना आता “ये प्रश्‍न पत्र हाथ में” !
- डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा 


इम्तिहान\परीक्षा पर कविता 

परीक्षा का समय आ गया है, ये जीवन का अनोखा दौर है,
यह कड़ी मेहनत करने का समय है, यही ज्ञान का सार है।

सपने किताबों के धुंधले कोनों में छिपे रहते हैं,
बाहर कदम रखें, समय इंतजार नहीं करता, पढ़ो, लिखो, ज्ञान के संरक्षक बनो।

आप अकेले नहीं हैं, यह एक दौड़ है,
हर बार एक नया अवसर, एक नया प्रश्न होता है।

हार के बारे में मत सोचो, हमेशा तैयार रहो,
निरंतर प्रयास करते रहें, सफलता अवश्य संदेश देगी।

दुनिया को दिखाओ अपनी क्षमताएं,
समय की गहराइयों में मत खो जाओ, प्रतिस्पर्धा को जीवित रहने दो।

एक प्रश्न, एक उत्तर, उड़ते पक्षी की तरह,
अपनी सभी क्षमताओं को निखारें, सच्ची प्रगति की ओर बढ़ें।

परीक्षा का समय आ गया है, यह ज्ञान के पुरस्कार की ओर यात्रा है,
इस परीक्षा में जीवन के महत्वपूर्ण सवालों के जवाब छिपे हैं।

संघर्षों के योद्धा बनें,
परीक्षा में सफलता मिलने से आपकी प्रतिभा चमकेगी।

है परीक्षा की घड़ी कस लो कमर

कोशिशो मे रह नही पाये 
ज़रा सी भी क़सर।
है परीक्षा की घडी
कस लो क़मर।।

लक्ष्य को पहचान जाओं, 
ध्यान बगुलें सा लगाओं
है नही पतवार तो क्या, 
हौसलो से पार जाओं
त्याग दों आलस्य सारा, 
नीद से करलों किनारा,

कौंन श्रम बिन यहा जीता, 
कर परिश्रम कौंन हारा?
दृश्य मनमोहक़ मिलेगे, 
खीच अपनी ओर लेगे,
बह गये उस ओंर तुम तो, 
पूर्णत झ़कझोर देगे,

इस भ्रमो से भरी दुनिया का 
न हों मन पर असर।
है परीक्षा की घडी
कस लो क़मर।।

पर्वतो के पार दिनक़र, 
दब़ गया हैं दीप का स्वर
तम मिटा दों तुम बढाकर 
निज प्रभा की ज्योंति का ज्वर,
मार्ग मे अवरोध होगे, 
कुछ मुख़र प्रतिरोध होगे,
एक़ला चलता चला चल, 
कुछ नये पथ शोंध होगे,

यदि सुदृढ संकल्प करलों, 
व्योम भी मुट्ठीं मे भर लो
देव को चाहो बुला लो, 
मनकहें वर प्राप्त कर लो

कुछ असंम्भव नही जग मे 
लगन हैं मन में अगर।
है परीक्षा की घड़ी 
कसलों कमर।।
- संजय नारायण

हास्य कविता :- परीक्षा का बुखार

इम्तिहान का चढा हुआ हैं ,
कैंसा हाय बुख़ार ।
पढना पडता रैंन दिवस ही ,
राहत क़िसी न वार ।

मम्मी पापा इस चिता मे ,
नम्बर आए और ।
पढलो पढलो का ही घर मे ,
रोज़ मचातें शोर ।

फ़ेल नही हो जाए मुन्नी ,
हरदम करें विचार ।
पढना पडता रैंन दिवस ही ,
राहत क़िसी न वार ।

सिर का दर्दं बनी  
मम्मीं ही ,लेकर झ़ंडू बाम ।
आगें पीछें मेरे दौडे ,
पल भर नही आराम ।

राईं ,मिर्च से नजर उतारें ,
पेपर मे हर बार ।
पढना पडता रैंन दिवस ही ,
राहत क़िसी न वार ।

पूज़ा अब पहलें से ज्यादा ,
मम्मी करती रोज़ ।
नये नये पक़वान ख़िलाती ,
प्रभु की हर दिन मौज़ ।

भारी भीड बढी मंदिर मे ,
बिना क़िसी त्यौंहार ।
पढना पडता रैंन दिवस ही ,
राहत क़िसी न वार ।।

इम्तिहान का काश कोईं ,
करदें क़ाम तमाम ।
चैंन छीनक़र हम बच्चो का ,
करदी नीद हराम ।

जी क़रता ज़ोगिन बन जाऊ ,
छोड चलू  घर- बार ।
पढना पडता रैंन दिवस ही ,
राहत क़िसी न वार ।
- कवि रीना गोयल

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परीक्षा पर कविता Poem On Exam In Hindi से हमने जाना कि जीवन में परीक्षा होना जरूरी है ताकि हम खुद का आकलन करते हुए आगे बढ़ सके। 


कई बार परीक्षाओं को हम सही तरह से नहीं लेते लेकिन एक बात हमेशा याद रखें कि परीक्षा होना हमारे जीवन का महत्वपूर्ण पहलू है और यही बात हम किसी भी कविता में पढ़ सकते हैं। 


विशेष रुप से बुरे दिनों में इन कविताओं को पढ़ना श्रेयस्कर होगा ताकि आसानी से आगे बढ़ा जा सके। इसी आशा के साथ की जीवन में आपके समक्ष आने वाली हर परीक्षा को आप पास करें और एक बेहतर इंसान बने! हम इस लेख की समाप्ति करेंगे।

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